ब्लैडर कैंसर की जानकारी: Information
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- यह इतना ज़्यादा डरावना रोग होता है, की यदि इसका वक़्त रहते उपचार नही कराया गया, तो माना जाता है, कि मौत ही इसका अंजाम होता है। वैसे भी लोग कैन्सर का नाम सुनते ही, ऐसे ही नही डर जाते। उसकी एक ज़ाहिर सी वजह है। कैन्सर शरीर के कई अंगों को अपने चपेट में ले लेता है। उदाहरण के तौर पर ब्रेस्ट कैन्सर, ओवेरीयन कैन्सर, लंग कैन्सर, ब्रेन कैन्सर, ब्लड कैन्सर इत्यादि भी कैन्सर के प्रकार होते हैं।
- आज कल विश्व भर में बहुत ज़्यादा लोग इस रोग से ग्रस्त होते हैं। वह धीरे-धीरे मौत को आता देखते हैं और कुछ ज़्यादा कर नाही पाते। हम तो फ़िलहाल कई नामी और प्रसिद्ध लोगों को इस ख़तरनाक रोग से लड़ते हुए सुना ही होगा। अगर वक़्त रहते इस रोग का पता चल जाए तो, इससे बाहर निकलना साम्भव है, मगर आप इसे पहचानने में देर लगा देते हैं, तो यह बीमारी एक बहुत ही बड़ी दिक्कत बन जाती है। इतनी बड़ी दिक्कत, की यह आपकी जान भी ले सकती है।
- कैन्सर का ही एक प्रकार है ब्लैडर कैन्सर, जिसमें कैन्सर की कोशिकाएँ मरीज़ के यूरीनरी ब्लैडर तक बढ़ जाते हैं। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएँगे कि ब्लैडर कैन्सर होता क्या है, इसके लक्षण क्या होते हैं और आप इससे कैसे बच सकते हैं। तो चलिए शुरू करते हैं।
- मूत्राशय का कैन्सर, यानी की ब्लैडर कैन्सर, चिकित्सकों के कथन से ब्लैडर की दीवारों के टिश्यूज़ में, संक्रमण होने के कारण ही, इस कैन्सर का आरम्भ होता है। इस बीमारी में मूत्राशय (ब्लैडर) के सेल्ज़ में बदलाव आने लगता है। इस रोग के बाद, ब्लैडर उस तरीक़े से कार्य नाही करता, जैसे इसे करना चाहिए।
- हर इंसान में, जब भी मोटरशय या ब्लैडर, पूरी तरह पेशाब से भर जाता है, तब वो मस्तिष्क के नसों (नर्व्ज़) को संदेश भेजने लगता है, की उसे ब्लैडर को खली करना है। तभी इंसान को ब्लैडर खली करने का भाव उत्पन्न होने लगता है।
- जब इंसानी शरीर में, इन कम्पोनेंट में आवश्यकता से ज़्यादा कोशिकाएँ बनने लगती हैं, तभी उसे ब्लैडर कैन्सर कहा जाता है। यह रोग दोनो महिलाओं और पुरुषों को हो सकता है।
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ब्लैडर कैंसर होने की वजह : Reason Of Bladder Cancer in Hindi
- जो इंसान, जो बहुत ज़्यादा धूम्रपान करते हैं, उन्हें यह बीमारी होने का ख़तरा अधिक होता है। कोई भी इंसान जितनी ज़्यादा सिगरेट, तम्बाकू आदि का इस्तेमाल करेगा, उतना ही अधिक यह कैन्सर होने का चान्स बढ़ जाएगा। ऐसा इस वजह से होता है, क्योंकि इन तम्बाकू के सामान में ऐसे ख़तरनाक रसायन और केमिकल होते हैं, जो रक्त में आसानी से मिल जाते हैं, और गुर्दे से निकलकर मूत्राशय या ब्लैडर में आजाते हैं। उसके बाद, यह ख़तरनाक रसायन धीरे-धीरे मूत्राशय के भीतर के हिस्सों को हानि पहुँचाना शुरू करते हैं। इसी वजह से ब्लैडर कैन्सर का डर और ख़तरा, दोनो बढ़ जाते हैं।
- यह कैन्सर, चालीस साल के बाद ही पाया जाता है। इसी कारण इस बीमारी का बुढ़ापे में ही पता चलता है और देखा जाता है।
- जहाँ आप काम करते हैं, वहाँ यदि आप हानिकारक केमिकल को छूटे हैं या सम्पर्क में आते हैं, तो वहाँ से भी इस रोग आने की ज़्यादा सम्भावना होती है। वो ख़तरनाक जगह हो सकते हैं चमड़े का कार्यस्थल, कपड़े का कारख़ाना, प्लास्टिक की फ़ैक्टरी इत्यादि का इस्तेमाल करने वाले रासायन, ब्लैडर कैन्सर की मुख्य वजह बन जाते हैं।
- यदि हम दोनो लिंगों की तुलना करें, तो यह कैन्सर पुरुषों में अधिक होता है।
- जिन मरीज़ों को लकवा या परैलिसस हो, उनको यह जोन की ज़्यादा सम्भावना होती है।
- यदि परिवार में किसी को भी पहले ब्लैडर कैन्सर, हो चुका है, तो उस हालत में, यह बीमारी, परिवार के किसी भी नए व्यक्ति को यह होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
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ब्लैडर कैंसर के लक्षण : Symptoms Of Bladder Cancer in Hindi
नीचे दिए हुए लक्षण ही ब्लैडर कैंसर के लक्षण माने जाते हैं।-Bladder Cancer in Hindi
- पेशाब करते हुए रक्त भी निकलना, यह ब्लैडर कैंसर का सबसे कॉमन लक्षण होता है।
- पेशाब करते वक़्त जलन होना, या फिर बार-बार पेशाब का आना। इस लक्षण में पेशाब के लिए मरीज़ बार-बार उत्तेजित होता है।
- ऐब्डमेन यानी कि पेट या पीठ के निचले हिस्से में पीड़ा होना|
- गुर्दे में पथरी का होना|
- वजन का कम हो जाना
- पाँव के निचले हिस्से में सूजन|
- हड्डियों में पीड़ा।
- एनेमिया होना।
- मूत्र के साथ-साथ छोटे-छोटे मांस का निकलना।
- मूत्र का रुक जाना|
- सदा बुखार रहना।
- खांसने के समय खून निकलना|
- स्तन में गाँठ या ट्यूमर होना|
- मासिक धर्म के समय ज़्यादा ख़ून आना।
- मूत्र का रंग गाढ़ा होना|
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ब्लैडर कैंसर का इलाज : Treatment Of Bladder Cancer in Hindi
- सर्जरी या शल्य चिकित्सा।
- एक विशिष्ट थेरपी जिसका नाम होता है ‘इंट्रावेसीकल थैरेपी’
- रेडिएशन थैरेपी
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ब्लैडर कैंसर की जांच : Bladder Cancer Checking in Hindi
- यूरिन या मूत्र का निरीक्षण (Urine Test)
- अल्ट्रासाउंड (Ultrasound)- अल्ट्रासाउंड से ब्लैडर ऊया मूत्राशय कैंसर के बारे में चीज़ें जल्दी समझ में आती हैं। इस तरीक़े से शुरुआती चरणों में ही इस कैंसर का पता लगाया जा सकता है।
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ब्लैडर कैंसर के प्रकार : Types of Bladder Cancer in Hindi
ब्लैडर कैंसर के दो प्रकार होते हैं। पहले प्रकार का नाम होता है ‘स्लो ग्रोइंग’ और दूसरे का नाम, ‘मल्टिपल ग्रोइंग’। तो आइए आपको समझते हैं कि इन दोनो की विशेषताएँ क्या-क्या होती हैं:
- स्लो ग्रोइंग:- इस प्रकार में मूत्राशय का ट्यूमर ज़्यादा भीतर नही जाता। इसे सिर्फ़ एक दूरबीन की सहायता से निकला जा सकता है। इस चरण में ब्लैडर का उपचार, बड़ी ही आसानी से किया जा सकता है। इस चरण में ऐसा भी होता है की ऐसी 75% सम्भावना बनी रहती है कि यह बीमारी फिर से ना हो।
- मल्टीपल ग्रोइंग:- इस प्रकार में ब्लैडर का ट्यूमर काफ़ी॰सारी कगाहों पर हो जाता है। इस स्थिति में अगर ट्यूमर ब्लैडर के अंदर तक चला जाता है, तो बहुत ही भयानक स्थिति बन सकती है। इस चरण में बीमारी के फैलने की बहुत ज़्यादा सम्भावनाएँ होती हैं। यह रक्त के ज़रिए ग्रंथियों, लिवर और कई और अंगों में कैन्सर फैल सकता है। ब्लैडर कैन्सर के इस प्रकार में क़रीब पचास फ़ीसदी मरीज़ों की मृत्यु हो सकती है। इसके उपचार के लिए सगेरय कारी जाती है और पूरा का पूरा यूरिनरी ब्लैडर निकाल दिया जाता है।
इन बातों का ध्यान रखकर ब्लैडर कैंसर से बचा जा सकता है
- एक सेहतमंद लाइफ़्स्टायल या जीवनशैली को अपनाया जाना चाहिए|
- धुम्रपान और तम्बाकू का इस्तेमाल बिलकुल ना किया जाए|
- नुक़सान-देह रसायनों और कैमिकल से दुरी बनाये रखनी चाहिए|
- योग, ध्यान और व्यायाम करें|
- इस बात का ध्यान दें की शरीर में किसी भी प्रकार की गंदगी का घुसने पाए|
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