कीमोथेरेपी(Chemotherapy in Hindi) का उपयोग कैंसर का इलाज करने के लिए किया जाता है। कीमोथेरेपी दो शब्दों से मिलकर बना है कीमो तथा थेरेपी जहां कीमो अर्थात केमिकल अर्थात रसायन तथा थेरेपी का मतलब उपचार होता है। कीमोथेरेपी में जिन दवाओं का उपयोग किया जाता है वे दवाएं कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने और उनका विभाजन होने से रोकते हैं।
प्रकृति ने सभी का एक समय निश्चित किया हुआ है जिसके पश्चात उनका अंत हो जाता है, उसी प्रकार से शरीर में उपस्थित कोशिकाओं का भी एक समय होता है जिसके बाद उन पुरानी कोशिकाओं की जगह नई कोशिकाएं ले लेती है। परंतु कैंसर जैसी स्थिति में यह कोशिकाएं अनियंत्रित हो जाती हैं। जिसके फलस्वरूप नई कोशिकाओं का निर्माण तेजी से होने लगता है और यह नई कोशिकाएं अन्य उपयोगी कोशिकाओं की जगह ले लेती है।
कीमोथेरेपी में जो दवाएं प्रयोग की जाती है वहीं कैंसर कोशिकाओं के विभाग विभाजन और इनके पुनर्निर्माण को प्रभावित करती है। कुछ अन्य दवाओं का भी प्रयोग किया जाता है इन दवाओं को या तो सीधे नसों में या जिस स्थान पर कैंसर है उस स्थान पर चढ़ाया जाता है अथवा दिया जाता है।
कीमोथेरेपी के प्रकार :-Types of chemotherapy–Chemotherapy in Hindi
कीमोथेरेपी मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं जो कि निम्न है-
- आल्कयलटिंग एजेंट (क्षारीयकरण एजेंट) :- यह एजेंट कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए सीधे हमारे डी एन ए पर कार्य करते हैं। इसमें कुछ रासायनिक पदार्थ जैसे क्लोरमबुसिल, साइक्लोफॉस्फेमाइड, थिओटेपा और बुसुल्फान आदि मिले होते हैं।
- एंटीमेटाबोलाइट्स :- इसके द्वारा ऐसे प्रोटीन्स का निर्माण होता है जिसमें किसी भी प्रकार का तत्व नहीं होता है और जब कैंसर कोशिकाएं इन प्रोटीन्स को अपने आहार के रूप में ग्रहण करती हैं तो उन्हें कोई पोषक तत्व उपलब्ध ना होने के कारण मृत्यु हो जाती हैं। इसमें कुछ रसायनिक पदार्थ जैसे प्यूरीन एंटागोनिस्ट्स तथा पाईरिमीडाइन एंटागोनिस्ट्स तथा फोलेट एंटागोनिस्ट्स आदि उपस्थित होते हैं।
- प्लांट एल्कलॉइड्स :- इसके द्वारा कैंसर कोशिकाओं के विभाजन और उनकी वृद्धि की क्षमता में अवरोध करके उन्हें रोक दिया जाता है। इसमें जो रासायनिक पदार्थ उपलब्ध होते हैं वह कुछ इस प्रकार से हैं एक्टीनोमायसिन डी, डॉक्सोरुबिसिन तथा माइटोमायसिन आदि।
- एंटीट्यूमर एंटीबायोटिक्स :- इस प्रकार में रासायनिक पदार्थ डी एन ए से जुड़कर आर एन ए ने को सिंथेसाइज करने से रोकती हैं जिसके कारण कैंसर कोशिकाओं का निर्माण दोबारा ना हो सके। यह सामान्य एंटीबायोटिक्स से बिल्कुल भिन्न होता है। इसमें जो रसायनिक पदार्थ उपलब्ध होते हैं वह कुछ इस प्रकार से हैं डॉक्सोरूबिसिन, माइटोक्सैट्रोन तथा ब्लेओमायसिन आदि।
कैंसर के अलग-अलग तरह के स्टेज पर अलग-अलग तरह की कीमोथेरेपी का उपयोग डॉक्टर के द्वारा किया जाता है इसके कुछ तरीके निम्न है
- रेडिएशन थेरेपी या सर्जरी के पूर्व ट्यूमर को संकुचित या सिकुड़ाने के लिए किया जाने वाली थेरेपी है इसे निओएडजुवेंट कीमोथेरेपी कहा जाता है।
- सर्जरी या रेडिएशन थेरेपी के पश्चात जो कैंसर कोशिकाएं बची होती है उन्हें मारने के लिए इस थेरेपी का उपयोग किया जाता है इसे एडजुवेंट कीमोथेरेपी कहा जाता है।
- उपचार के पश्चात् अगर कैंसर पुनः हो जाये (जिसे आवर्तक कैंसर या रेकर्रेंट कैंसर कहते है।) तो इसके उपचार में जो थेरेपी उपयोग होती है।
कैंसर किस प्रकार का है और किस स्टेज का है डॉक्टर उसी हिसाब से दवा देते हैं।
कीमोथेरेपी किस प्रकार से दी जाती है :-How is chemotherapy given?-Chemotherapy in Hindi
कीमोथेरेपी दो प्रकार से दी जाती है
- इंट्रावेनस :- इस प्रकार में एक छोटी सी ट्यूब व्यक्ति की बांह या छाती में डालकर के उससे दवा उसकी नसों के द्वारा भेजी जाती है। जिससे उसकी कीमोथेरेपी हो सके।
- ओरल :- इस प्रकार में व्यक्ति को दवाइयां उसके मुंह के द्वारा दी जाती है जिससे उसकी कीमोथेरेपी होती है।
कीमोथेरेपी की सलाह कब दी जाती है? :-When is chemotherapy recommended-Chemotherapy in Hindi
कीमोथेरेपी कराने की सलाह डॉक्टर सिर्फ कुछ ही लोगो को देते है जो की निम्न हैं-
- कैंसर पीड़ित को :- कीमोथेरेपी मुख्य रूप से कैंसर पीड़ित व्यक्तियों पर किया जाता है। कीमोथेरेपी के द्वारा ही कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करके कैंसर पीड़ित का इलाज किया जाता है।
- जिसे ट्यूमर हो :- जब कोई व्यक्ति ट्यूमर से पीड़ित होता है तो उसके लिए कीमोथेरेपी एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
- जब कोई अन्य इलाज कैंसर पीड़ित के लिए कारगर साबित नहीं होता तब डॉक्टर पीड़ित व्यक्ति को कीमोथेरेपी कराने की सलाह देते हैं।
कीमोथेरेपी से कैंसर ट्रीटमेंट कैसे करते हैं? :-How to treat cancer with chemotherapy
कीमोथेरेपी से कैंसर ट्रीटमेंट कुछ इस प्रकार से किया जाता है जो कि निम्नलिखित है-
- इंट्रावेनस कीमोथेरेपी :- कुछ दवाएं ऐसी होती जीने नसों के द्वारा शरीर में पहुंचाना अत्यन्त आवश्यक होता है अतः इसे इंट्रावेनस या आई वी (IV) कीमोथेरेपी कहा जाता है। इस कीमोथेरेपी में कुछ मिनट से कुछ घण्टों का समय भी लग सकता है। इस कीमोथेरेपी में दवा को नसो में एक छोटे पम्प के द्वारा पहुँचाया जाता है, आता जिससे आपको हमेशा अपने साथ रखना पड़ता है। इसे कंटीन्यूअस कीमोथेरेपी कहते हैं।
- ओरल कीमोथेरेपी :- कुछ दवाएं ऐसी होती हैं जो मुंह के द्वारा दी जाती है जैसे गोली कैप्सूल या तरल रूप में कोई दवा हो सकती है। दवाई खाने के कारण ही आप इस कीमोथेरेपी को घर पर भी ले सकते हैं। अब इसी प्रकार के उपचार को अब अधिक महत्व दिया जा रहा है क्योंकि अब अधिकतर दवाइयां इसी तरह से लाभ पहुंचा रही है।
- इंजेक्टेड कीमोथेरेपी :- इस प्रक्रिया में रोगी के शरीर में दवा इंजेक्ट करके पहुंचाई जाती है कभी यह इंजेक्शन मांस पेशियों में तो कभी त्वचा में लगाया जाता है। इसका उपयोग रोगी के हाथ, पैर या पेट में किया जा सकता है।
- आर्टरी (धमनी) के माध्यम से कीमोथेरेपी :- शरीर में धमनी का कार्य हृदय से रक्त का संचार कर के शरीर के अन्य भागों तक पहुंचाने का होता है अतः कभी-कभी कीमोथेरेपी दवा को सीधे धमनी में इंजेक्ट कर दिया जाता है जिसके फलस्वरूप वह कैंसर कोशिकाओं को प्रभावित करती हैं।
- पेरीटोनियम में कीमोथेरेपी :- इस प्रक्रिया में कीमोथेरेपी दवा को सीधे मरीज के पेट में पहुंचाया जाता है यह प्रक्रिया सिर्फ तभी उपयोग में लाई जाती है जब कैंसर पेरीटोनियम (पेट में एक प्रकार की झिल्ली) में हो जाता है।
- टॉपिकल कीमोथेरेपी :- इस प्रक्रिया में रोगी की त्वचा पर कीमोथेरेपी की दवा को क्रीम के रूप में लगाया जाता है।
कीमोथेरेपी के फायदे :- Benefits of chemotherapy
कीमोथेरेपी के फायदे कुछ इस प्रकार से हैं-
- कैंसर के प्रभाव को काफी हद तक कम करने में सहायक होता है और कुछ जगहों पर कैंसर को भी कम करने में सहायक होता है।
- सर्जरी के पश्चात कीमोथेरेपी से कैंसर का दोबारा होने का जोखिम कम होता है।
- कीमोथेरेपी के कारण रोगी की नियमित रूप से जांच, टेस्ट तथा डॉक्टर से संपर्क में रहता है और इससे वह आश्वस्त रहता है।
- कैंसर की आरम्भिक अवस्था में कीमोथेरेपी करने से कैंसर इतना संकुचित अर्थात इतना सिकुड़ जाता है कि उसे सर्जरी के द्वारा बाहर निकाला जा सकता है।
कीमोथेरेपी के नुकसान :-Disadvantages of chemotherapy
कीमोथेरेपी(Chemotherapy in Hindi) से निश्चित रूप से कई लोगो को जीवनदान मिला है, परन्तु कीमोथेरेपी के कुछ नुकसान भी है जो की निम्न प्रकार से हैं-
- थकान महसूस करना,
- बालो का झड़ना,
- कब्ज की दिक्कत,
- डायरिया होना,
- रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना,
- पेट में दर्द,
- नसों का क्षतिग्रस्त होना जिसके फलस्वरूप जलन होना, दर्द होना, शरीर के कुछ अंगो का सुन्न होना, अंगुलियों या पंजों में तेजी से दर्द उठना,
- रक्त कोशिकाओ की संख्या में कमी इत्यादि।
कीमोथेरेपी के दौरान आहार :-Diet during chemotherapy- Chemotherapy in Hindi
कैंसर के इलाज के लिए अच्छा खानपान इलाज को और भी ज्यादा प्रभावशाली बना सकता है और इसका परिणाम भी अच्छा हो सकता है। अपने आहार में प्रोटीन की मात्रा अधिक रखें तथा दिन में कम से कम तीन बार भोजन अवश्य करें शरीर में पानी की कमी बिल्कुल भी ना होने दें। क्या भोजन आपको करना चाहिए उस संबंध में निम्न बताया गया है
- मुर्गा, मछली, अंडा
- दही, पनीर, दूध
- फल, दाल, बादाम, बीज, टोफू महत्वपूर्ण है।
प्रोटीन युक्त आहार -Protein rich diet
- सोया, टर्की, फलियां, सी फूड
- सब्जियां कम वसायुक्त दूध के उत्पाद
- साबुत अनाज, स्टार्च युक्त सब्जियां जैसे- जौ, भूरे चावल, मक्के का लावा, मक्का, आलू, मटर, कद्दू आदि।
क्या नहीं खाना है उस संबंध में भी निम्न जानकारी है
- गर्म तथा मसालेदार भोजन जैसे- तेल, मिर्च और ज्यादा मसाले वाले भोजन को नहीं करना है,
- मीठी चीजें का सेवन नहीं करना है,
- भारी भोजन नहीं करना है
- खाने के तुरंत पश्चात् विश्राम नहीं करना है।
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