आठवां महीना(8th month pregnancy in hindi) लगने के बाद गर्भवती महिला का लगभग गर्भावस्था का पूरा समय निकल चुका होता है इस समय में महिला की एक्साइटमेंट 4 गुना बढ़ जाती है और वह महिला जो पहली बार मां बन रही होती हैं यह अवस्था उनके लिए बहुत ही रोचक और अप्रत्याशित होती है. इस समय महिला पूरी तरह से अपने आने वाले नए मेहमान की मेहमाननवाजी में जुट जाती हैं. इस समय में महिला अपनी सारी शॉपिंग भी कर लेते हैं और अपने शिशु के लिए सभी तैयारी कर चुकी होती हैं. इस समय में महिला और शिशु दोनों का वजन काफी बढ़ चुका होता है और साथ ही साथ बढ़ते वजन के चलते बहुत से दिक्कतों और परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
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आठवें महीने के लक्षण(Symptoms of the 8th month pregnancy in hindi)
- इस समय महिला का वजन बढ़ने के साथ उसका पेट भी बाहर की ओर बढ़ जाता है जिस कारण उसका वजन कुछ किलो और अधिक बढ़ जाता है साथ ही साथ गर्भाशय के फैलने से फेफड़ों पर दबाव पड़ता है और महिला को सांस लेने में तकलीफ होने की दिक्कत होने लगती है इस स्थिति में महिला अपने हर काम को धीरे-धीरे करती है नहीं तो वह अत्यधिक थकान महसूस करती है जब शिशु सिर के बल वाली स्थिति में आता है तभी इस स्थिति से महिला को आराम मिलता है।
- गर्भावस्था के दौरान महिला को सबसे ज्यादा पीठ में दर्द देखा जाता है क्योंकि सारा वजन पीछे की ओर पड़ता है जिसके कारण पीठ में दर्द रहना लाजमी होता है।
- गर्भावस्था की तीसरी तिमाही का लगभग यह अंत होता है जिसमें महिला के स्तनों से गाढ़ा और पीले रंग का स्त्राव होने लगता है। यह धीरे-धीरे सामान्य हो जाता है और जैसे-जैसे प्रसव का समय पास आता है तो इस रिसाव का कोई रंग नहीं रह जाता।
- गर्भवती महिलाओं को गर्भाशय की मांसपेशियों में कसाब महसूस होता है जिसे ब्रेकस्टन हीक्स कहते हैं। यह लगभग 30 सेकेंड से 1 मिनट तक हो जाता है। यह प्रक्रिया लगभग सातवें महीने से शुरू होकर आठवें महीने और नौवें महीने तक बनी रहती है।
- बहुत ही गर्भवती महिला को आठवें महीने में बवासीर की शिकायत हो जाती है यह कब्ज के कारण होती है।
बच्चे का विकास(development of the child in the 8th month pregnancy in hindi )
यह लगभग गर्भावस्था का आखिरी समय होता है इस समय शिशु गर्भ में पूरी तरह विकसित हो चुका होता है वह छोटी-छोटी आवाजो पर अपनी प्रतिक्रिया देने लगता है। मां और गर्भ में पल रहे शिशु का एक बहुत ही सुंदर रिश्ता बन जाता है क्योंकि जल्दी मां अपने गर्भ में पल रहे शिशु से बात करती है तो शिशु की बातें सुनकर एक प्रतिक्रिया करता है जो बहुत ही सुंदर अनुभव होता है।
- इस समय में शिशु की पूरी तरह आंखें एवं पलकें बन चुकी होती है और अब वह आगे भी गर्भ में खोल सकता है।
- इस समय शिशु के सभी अंग और फेफड़े पूरी तरह विकसित हो चुके होते हैं।
- आठवें महीने(8th month pregnancy in hindi) के दौरान शिशु के सिर पर बाल भी आ जाते हैं।
- इस महीने से शिशु के मस्तिष्क का विकास तेजी से होने लगता है।
- इस समय में लड़का एवं लड़की के प्राइवेट पार्ट भी पूरी तरह विकसित हो चुके होते हैं।
- 8 मई महीना यानी 30 वे सप्ताह तक शिशु की लंबाई 14 इंच तक हो जाती है और उसका वजन लगभग 1133 ग्राम के आसपास हो जाता है।
शारीरिक बदलाव(Physical changes 8th month pregnancy in hindi )
- बढ़ते हुए महीनों के साथ-साथ शिशु भी धीरे-धीरे बढ़ता है। आठवें महीने के अंतर्गत शिशु पूरी तरह से विकसित हो चुका होता है। बढ़ते हुए गर्भाशय के कारण मूत्राशय पर दबाव पड़ने लगता है जिस कारण आपको बार-बार पेशाब जाने की स्थिति बनी रहती है।
- बार-बार पेशाब आने के कारण नींद में भी कमी हो जाती है जिससे आपको कम आराम मिलता है।
- गर्भाशय धीरे-धीरे बढ़ने लगता है और इसी के साथ-साथ निचले हिस्से में स्ट्रेच मार्क्स की निशान उभर जाते हैं।
- बहुत ही गर्भवती महिलाओं की त्वचा पर नसे बहुत ज्यादा उभरकर नजर आते हैं जिसे आप भाषा में वेरिकोज़ वैन कहा जाता है।
अंतिम तिमाही में इन बातों का रखें ध्यान(Keep these things in mind in the last quarter)
- इस समय के दौरान गर्भवती महिला को सबसे ज्यादा तकलीफ सांस लेने में होती है जिसके चलते सांस लेने संबंधी व्यायाम सभी गर्भवती महिलाओं को आवश्यक करने चाहिए।
- इस समय में ज्यादा से ज्यादा पानी का सेवन करना चाहिए साथ ही साथ ताजे फल का जूस लेना बहुत ही सेहतमंद साथ ही साथ गर्भ अवस्था में सबसे ज्यादा लाभकारी होता है।
- अगर आपको किसी प्रकार का ज्यादा रिसाव होता है तो बिस्तर पर प्लास्टिक शीट लगा लो नहीं चाहिए इसी के साथ साथ यदि आप कहीं बाहर जाते हैं तो आप एक छोटा तौलिया लेकर जा सकते हैं।
- किसी भी प्रकार का जंग फूड तला हुआ खाने से बच्चे यह आपको ज्यादा एसिडिटी की समस्या पैदा कर सकता है
- गर्भावस्था के दौरान महिला को अपनी डिलीवरी को लेकर मन में बहुत से चिंताएं पैदा हो जाती है और एक तनाव की स्थिति पैदा हो जाती है इसी कारणवश उन्हें तनाव के कारण थकान और कमजोरी महसूस हो सकती है। तनाव की स्थिति पैदा होने से बचना चाहिए इसके लिए आप उस खुशी के कल्पना कीजिए जो आपके पास आने वाली है।
परहेज(avoiding)
- अक्सर बहुत से गर्भवती महिलाओं को कुछ चिकित्सक परेशानी होती है जिस कारण उनकी समय से पहले डिलीवरी हो जाती है। इसके लिए उन्हें अपना पहले से ही खास ख्याल रखना चाहिए।
- गर्भावस्था में महिलाओं को अक्सर रक्तचाप बढ़ना एक आम बात होती है कुछ महिलाओं को इस समय में यह समस्या ज्यादातर अधिक बढ़ जाती है जिसे क्रॉनिक हाइपरटेंशन कहा जाता है।
डाइट(Diet – what to eat? , What not to eat)
गर्भवती महिला को खाने में बहुत सी का सेवन करना चाहिए और बहुत सी चीजों का परहेज करना चाहिए।
क्या खाएं?
- गर्भावस्था के दौरान विटामिन और खनिज से भरपूर पदार्थों का सेवन करना चाहिए क्योंकि डिलीवरी के दौरान महिला का बहुत खून बहता है जिसके लिए खून अधिक मात्रा में होना बहुत ही आवश्यक है।
- महिला को ज्यादा से ज्यादा बींस मीट चिकन दूध अंडा और कब मरकरी वाले पदार्थों का सेवन ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए।
- गर्भावस्था के किस समय में कब्ज की समस्या बहुत अधिक होती है जिसके लिए फाइबर युक्त भोजन करना महिला के लिए लाभकारी होता है जैसे कि ओट्स पालकी हूं आटे की ब्रेड हरी सब्जियों का सेवन ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए।
क्या ना खाएं
- गर्भावस्था में कॉफी का सेवन कम से कम करना चाहिए यदि आप कॉफी के आदी हैं तो कम से कम दिन में एक कॉफी का सेवन कर सकते हैं।
- गर्भावस्था में पाश्चर्ययुक्त दूध नहीं लेना चाहिए। यह गर्भावस्था में हानिकारक होता है।
- कच्चा अंडा कच्चा माल का सेवन बिलकुल नहीं करना चाहिए इसमें सालमोनेला बैक्टीरिया होता है जो कि भोजन में विषाकतता की समस्या पैदा कर सकता है।
- गर्भावस्था के दौरान शराब और तंबाकू के सेवन से बिल्कुल परहेज करना चाहिए। यह गर्भवती महिला एवं गर्भ में पल रहे शिशु दोनों के लिए हानिकारक होता है।