What to eat and what not to eat in pregnancy in hindi:प्रेगनेंसी में क्या खाए और क्या न खाएं

हर गर्भवती महिला यह चाहती है कि जन्म के समय उसका बच्चा बिल्कुल स्वस्थ ओर तंदरुस्त हो। अपनी यह इच्छा पूरी करने के लिए गर्भवती महिलाएं अक्सर में बहुत सी नई चीजों को शामिल करती है, पर कई महिलाएं ऐसी होती है, यह पता नहीं होता की गर्भ धारण करने के बाद कौन कौन सी चीजे कितनी मात्रा में खानी चाहिए । गर्भावस्था के दौरान खाई जाने वाली चीजो के साथ कई तरह की के मिथक से जुड़े हुए है। इस वजह से गर्भवती महिलाओं तक कभी सही जानकारी नहीं पहुंच पाती हैं। वे यह नहीं जान पाते कि गर्भावस्था के दौरान उनको क्या खाना चाहिए क्या नहीं(What to eat and what not to eat in pregnancy in hindi), आइये जानते है।

अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गर्भावस्था चार्ट को पढ़िए ,जो आपको प्रेगनेंसी में हैल्थी बनाए रखने में मदद करेगा

Diet chart pregnancy in hindi:गर्भावस्था आहार चार्ट सम्पूर्ण जानकारी

गर्भावस्था में क्या खाना चाहिए ?(What to eat in pregnancy?)

अगर आप गर्भवती है,तो अपने खान -पान(What to eat and what not to eat in pregnancy in hindi) में नीचे बताई गई चीजो को जरूर शामिल करें:

  • डेयरी उत्पाद:   आप गर्भवती है, तो आपको अपने और अपने शिशु के विकास के लिए ज्यादा प्रोटीन और कैल्शियम की जरूरत होगी। 19 से 50 साल तक की उम्र वाली गर्भवती महिला के शरीर को रोजाना 1,000mg कैल्शियम की जरूरत पड़ती है। इसलिए आप अपने खान पान में डेयरी के उत्पादों को जरूर शामिल करें। दही, छांछ,दूध आदि जैसे डेयरी उत्पाद गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे शिशु के विकास के लिए काफी फायदेमंद होते हैं, ध्यान रहे कि गर्भवती महिलाओं को पाश्रुरीकृत डेयरी उत्पादों का ही इस्तेमाल करना चाहिए।
  • ब्रोकली और हरी पत्तेदार सब्जियां : गर्भवती महिलाओं को अपने खान पान में हरी पत्तेदार सब्जियां जरूर शामिल करनी चाहिए। इसलिए, आप पालक,पत्तागोभी, ब्रोकली जैसी सब्जियां जरूर खाए।पालक में मौजूद आयरन गर्भावस्था के दौरान खून की कमी दूर कर सकता है।
  • सूखे मेवे : गर्भावस्था में सूखे मेवों को भी अपने खान पान में शामिल करें।मेवों में कई तरह  के विटामिन , कैलोरी, फाइबर, ओमेगा 3 फैटी एसिड, पाएं जाते है , जो सेहत के लिए काफी अच्छे होते है। अगर आपको एलर्जी नहीं है, तो अपने खान पान में काजू, बादाम, अखरोट आदि को शामिल करें। अख़रोट में भारी मात्रा में ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है, इसके अलावा बादाम और काजू गर्भावस्था में काफी फायदा पँहुचाते है।
  • शकरकंद : गर्भावस्था में शकरकंद खाना भी बहुत फायदेमंद होता है। इनमे विटामिन ए होता है, जो शिशु की देखने की शक्ति को विकसित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा इसमे विटामिन-सी ,फोलेट और फाइबर भी मौजूद होते है।
  • साबूत अनाज : गर्भावस्था के दौरान साबूत अनाजो को अपने आहारों में जरूर शामिल करें। खासतौर पर गर्भावस्था की दूसरी ओर तीसरी तिमाही के दौरान साबूत अनाजों का सेवन  बहुत फायदेमंद होता है। इससे आपको भरपूर कैलोरी मिलती है, जो गर्भ में शिशु के विकास में मदद करती है। आप साबूत अनाज के तौर पर ओट्स, किनोआ, भूरे चावल आदि को अपने आहार में शामिल कर सकती है। इन अनाजो में प्रचूर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है, इसके अलावा इनमें फाइबर,विटामिन -बी , मैग्नीशियम भी मौजूद होता है, जो गर्भावस्था में फायदा पँहुचाते है।
  • एवोकाडो ( रुचिरा) :  एवोकाडो एक ऐसा फल है,जिसे हर गर्भवती महिला को खाने की सलाह दी जाती है, इसमे भरपूर मात्रा में फ़ोलेट होता है, जो गर्भ में पल रहे शिशु के मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के लिए बेहद फायदेमंद होता है।इसके अलावा , एवोकाडो में विटामिन -के , पोटैशियम, कॉपर, विटामिन- ई आदि भी मौजूद होते है इसलिए गर्भवति महिला को रोजाना एक एवोकाडो खाने की सलाह दी जाती  है।
  • फल और फलों का जूस : गर्भावस्था में महिला को तरह तरह के मौसमी फल खाने चाहिए। हो सके तो उन्हें संतरा,तरबूज, नारियल आदि जैसे फलों को अपने आहार में शामिल करना चाहिए।इसके अलावा वह इन सब फलों का रस भी पी सकती है। दरअसल, गर्भवती महिलाओं को अलग अलग चार रंगों के फल खाने की सलाह दी जाती है। 
  • बेर की प्रजाति के फल : गर्भावस्था में बेर की प्रजाति का सेवन भी फायदेमंद माना जाता है इनमे भरपूर मात्रा में पानी, कार्बोहाइड्रेट ओर विटामिन-सी होता है,जो गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे शिशु के विकास के लिए जरूरी होता है। इसलिए,गर्भवती महिला को अपने खान पान में स्ट्रॉबेरी, रास्पबेरी,ब्लैकबेरी आदि जैसे फलों को शामिल करना चाहिए ।
  • फ़लिया: गर्भावस्था में फलियों का सेवन करना बहुत जरूरी होता है। इनमें फ़ोलोट, आयरन,पोटैशियम,मैग्नीशियम, फाइबर आदि मौजूद होते हैं, जिन्हें गर्भावस्था के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसलिए, गर्भवती महिलाओं को मटर, चना, सोयाबीन आदि खाने की सलाह दी जाती है।

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गर्भावस्था में क्या नहीं खाना चाहिए

ऐसी बहुत सी चीजें है जिनका सेवन गर्भवती महिलाओं को नहीं करना चाहिए(What to eat and what not to eat in pregnancy in hindi)।निचे हम आपको एक एक करके ऐसी चीजों का नाम बताने जा रहे है, जिनसे गर्भवती महिलाओं को परहेज(What to eat and what not to eat in pregnancy in hindi) करना चाहिए :

  • कभी भी कच्चा अंडा नहीं खानी चाहिए : गर्भवती महिला को अच्छी तरह से पका हुआ अंडा ही खाना चाहिए। अधपके अंडे के सेवन से सालमोनेला संक्रमण का खतरा हो सकता है । इस संक्रमण से गर्भवती महिला को उल्टी ओर मतली जैसी समस्या हो सकती हैं।
  • शराब से बिल्कुल दूर रहें :  नशीली का सेवन हर किसी के लिए हानिकारक होता है। गर्भवती महिलाओं को तो केवल शराब ही नहीं, बल्कि हर तरह के नशे से बिलकुल दूर रहना चाहिए। दरअसल ,शराब के सेवन से गर्भ में पल रहे शिशु बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। शराब से भ्रूण के दिमागी और शारीरिक विकास में बंधा आती है और इतना ही नहीं शराब पीने से गर्भपात होने का खतरा बढ़ जाता है।
  • कैफ़ीन का सेवन न करें : गर्भावस्था में डॉक्टर बहुत कम मात्रा में कैफीन लेने की सलाह देते हैं। चाय, कॉफी और चॉकलेट जैसी चीजो में कैफीन पाया जाता है। ज्यादा मात्रा में कैफीन लेने से गर्भपात का खतरा भी बढ़ जाता है। इसके अलावा , कैफीन का ज्यादा सेवन करने से जन्म के समय शिशु का वजन कम रहता है। हालांकि,गर्भावस्था के दौरान 200 मिलीग्राम तक कैफीन का सेवन सुरक्षित माना जाता हैं।
  • गर्भावस्था में कच्चा पपीता न खाएं: यूं तो कच्चा पपीता खाना असुरक्षित हो सकता है। कच्चे पपीते में एक ऐसा केमिकल पाया गया है, जो भ्रूण को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए गर्भावस्था में कच्चा पपीता खाने से बचें।
  • उच्च स्तर के पारे वाली मछली न खाएं: जैसा कि हम पहले बता चुके है,गर्भावस्था में मछली खाना बहुत फायदेमंद होता है। लेकिन, गर्भवती महिलाओं को ऐसी मछलियों को खाने से बचाना चाहिए, जिनके शरीर मे पारे का स्तर अधिक होता है।जैसे कि – स्पेनिश मेकरल ,मार्लिन या शार्क , किंग मकरल और टिलेफिश जैसी मछलियों में पारे का स्तर ज्यादा होता हैं।ऐसी मछलियों को खाने से भ्रूण के विकास में बांधा आ सकती हैं।
  • क्रीम दूध से बना पनीर बना न खायें: गर्भावस्था में क्रीम के बने दूध से बना पनीर नहीं खाना चाहिए। क्योंकि इस तरह के पनीर को बनाने के लिए पाश्रुरीकृत दूध का इस्तेमाल नहीं किया जाता है, इसलिए इसमें लिस्टेरिया नाम का बैक्टीरिया मौजूद होता है। इस बैक्टीरिया  की वजह से गर्भपात और समय से पहले प्रसव का खतरा बढ़ सकता है।

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Ruchi singh chauhan
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