थायराइड क्या है?(What is thyroid) :-
थायराइड(Thyroid) का प्रकोप आज पूरा विश्व देख रहा है, केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में आज लोग इस रोग से ग्रसित हैं सिर्फ भारत में ही चार करोड़ लोग थायराइड से ग्रसित हैं और यह बहुत ही चिंतनीय है। थायराइड गले में एक प्रकार की ग्रंथि होती है। इसका आकार तितली के बराबर होता है। इस ग्रंथ के द्वारा शरीर की कई गतिविधियां नियंत्रित होती है। इस ग्रंथ का सबसे मुख्य कार्य भोजन को ऊर्जा में बदलना होता है। थायराइड ग्लैंड टी 3 अर्थात ट्राईआयोडोथायरोनिन तथा टी 4 मतलब थायराॕक्सिन हार्मोंस को बनाती है। इन हार्मोन का असर हमारी सास हृदय की गति, पाचन तंत्र तथा शरीर के तापमान पर पड़ता है। इन सभी के साथ-साथ हड्डियों मांस पेशी तथा कोलेस्ट्रोल का भी नियंत्रण इन्हीं के द्वारा होता है। जब यह हार्मोंस असंतुलित हो जाए तो शरीर के वजन में गिरावट या बढ़ोतरी होने लगती है इसे ही थायराइड कहते हैं।
मस्तिष्क में एक पिट्यूटरी नामक ग्रंथि होती है इससे एक अन्य हार्मोंस निकलता है जिसका नाम THH ( थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन) होता है तथा यह हार्मोन शरीर के से निकलने वाले हार्मोन टी 3 व टी 4 को नियंत्रित करता है, पुरुष के मुकाबले महिलाओं में यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है खासकर तब जब महिलाएं 30 वर्ष से अधिक उम्र की हो जाती हैं। थायराइड एक प्रकार की अनुवांशिक रोग भी है मतलब अगर आपके परिवार में या पहले से किसी को रहा होगा तो यह रोग आपको होने की आशंका ज्यादा रहती है।
थायराइड के लक्षण(Symptom of Thyroid in hindi):-
शरीर में अगर निम्न प्रकार के परिवर्तन आते हैं तो यह संकेत है थायराइड के हैं, कभी-कभी थायराइड के संकेत सामान्य बीमारियों के जैसे भी होते हैं इसीलिए शरीर में किसी प्रकार के परिवर्तन को गंभीरता से लेना चाहिए।
- कब्ज होना,
- थकावट ज्यादा लगना,
- हर वक्त तनाव में रहना,
- त्वचा में रूखापन रहना,
- वजन में बढ़ोतरी होना,
- ह्रदय की गति में कमी आना,
- ब्लड प्रेशर हाई होना,
- जोड़ों में सूजन या दर्द होना,
- याददाश्त कमजोर होना,
- मासिक धर्म में अनियमितता,
- प्रजनन क्षमता में असंतुलन आना,
- मांसपेशियों में दर्द होना,
- चेहरे पर सूजन आना,
- समय से पहले ही बाल का सफेद हो जाना।
थायराइड के कारण(Causes of Thyroid in hindi):- थायराइड के प्रमुख कारण निम्न है-
- पहले कभी थायराइड का होना,
- 30 वर्ष की उम्र का होना या उससे ज्यादा उम्र के होने पर,
- टाइप 1 मधुमेह होने पर,
- गर्भपात या समय से पहले बच्चे को जन्म देने पर या बांझ होने पर,
- अनुवांशिक होने पर (परिवार में किसी भी सदस्य को पहले यह रोग रहा हो जैसे माता-पिता या बाबा दादी या नाना-नानी),
- वजन में बढ़ोतरी होना या मोटापा आना,
- थायराइड ग्रंथि में गांठ आना,
- आयोडीन का अधिक मात्रा में सेवन करना|
थायराइड के कुछ प्रमुख प्रकार(Types of Thyroid):-
1.हाइपोथायरॉइडज्म(Hypothyroidism)
इस प्रकार में जब ग्रन्थि कम मात्रा में हार्मोन्स का निर्माण करती है अर्थात् जरूरत से कम मात्रा में निर्माण हो तो उसे इस प्रकार के थायराइड में रखा जाता है।
2.हाइपरथायरॉइडज्म(Hyperthyroidism)
जब ग्रंथि जरूरत से ज्यादा मात्रा में हार्मोंस का निर्माण करे तो उसे इस प्रकार के थायराइड में रखा जाता है।
3.गॉइटर(Goiter)
जब भोजन में आयोडीन की मात्रा की कमी होती है जिसके कारण शरीर में भी आयोडीन की जरूरत पूरी नहीं हो पाती है जिसके कारण गले में सूजन तथा गांठ जैसी नजर आने लगती है उसे इस प्रकार के थायराइड में रखा जाता है।
4.थायराइडिटिस(Thyroiditis)
इसमें थायराइड ग्रंथि में सूजन आ जाती है।
5.थायराइड नोड्यूल(Thyroid Nodules)
इस प्रकार में ग्रंथि में गांठ बन जाती है।
6.थायराइड कैंसर(Thyroid Cancer)
थायराइड का इलाज( Treatment of Thyroid in hindi):-
थायराइड का इलाज बहुत सी बातों पर निर्भर करता है जैसे मरीज की उम्र कितनी है, मरीज के थायराइड में कितनी मात्रा में हार्मोंस बन रहे हैं, मरीज की चिकित्सकीय स्थिति कैसी है आदि। यह इलाज उपर्युक्त बताए गए प्रकार के आधार पर है। ध्यान रहे यह सिर्फ सुझाव है इस रोग का इलाज डॉक्टर ज्यादा बेहतर बता सकता है।
1- हाइपो थायराइड:-
इस प्रकार के थायराइड का इलाज दवा के द्वारा किया जा सकता है। उस दवा के द्वारा शरीर को एक निश्चित मात्रा में हार्मोंस मिलने लगते हैं। हाइपो थायराइड में मरीज को यह दवा अपने पूरे जीवन भर लेनी पड़ती है अथवा लेनी पड़ सकती है।
2- हाइपर थायराइड:-
इस प्रकार के थायराइड का इलाज लक्षण तथा कारणों के आधार पर कुछ इस प्रकार किया जाता है।
1- एंटीथायराइड:- इस प्रकार के इलाज में डॉक्टर एंटी थायराइड दवा दे सकता है जिसे लेने से थायराइड ग्रंथि में हार्मोंस का निर्माण नहीं होता है।
2- बीटा-ब्लाकर दवा:- इस दवा के सेवन से थायराइड हार्मोंस का शरीर पर असर नहीं पड़ता है। साथ ही साथ यह दवा हृदय गति को भी संतुलित कर देती है। यह दवा दूसरे लक्षणों के असर को भी कम करती है।
3- रेडियोआयोडीन:- इससे थायराइड हार्मोंस बनाने वाली फिल्म को नष्ट किया जाता है परंतु यह फिर हाइपो थायराइड का कारण भी बन सकता है।
4-सर्जरी:- इसकी आवश्यकता तब पड़ती है जब मरीज को श्वास लेने अथवा कुछ निगलने में दिक्कत हो। लेकिन जब सर्जरी करके थायराइड को निकाला जाता है तो इससे हाइपो थायराइड का खतरा और ज्यादा ही बढ़ जाता है।
3- गॉइटर:-
इस प्रकार में अगर थायराइड ग्रंथि सही कार्य कर रही है तो इसमें किसी प्रकार की इलाज की जरूरत नहीं होती है क्योंकि कुछ समय बाद वह अपने आप ही ठीक हो जाती है। वहीं पर अगर इसका इलाज होता है तो डॉक्टर ऐसी दवा देते हैं, जिससे थायराइड ग्रंथि सिकुड़ कर अपने पुराने आकार में आ जाती है। लेकिन कुछ गंभीर मामलों में इसकी सर्जरी बहुत आवश्यक हो जाती है।
4- थायराइडडिटिस:-
एक रिपोर्ट के मुताबिक रोज 20 मिलीग्राम प्रेडनिसोलोन (एक प्रकार की स्टेरॉयइड दवा) को लेने से थायराइड का असर कुछ कम हो जाता है यह रिपोर्ट NCBI (National Center of Biological Information) के द्वारा प्रकाशित की गई थी।
5- थायराइड कैंसर:-
थायराइड कैंसर का एक मात्र इलाज सर्जरी होती है। सर्जरी के द्वारा सामान्यता पूरी थायराइड ग्रंथि को निकाला जाता है अगर ऐसा नहीं हो पाता तो पूरी ग्रंथि ना निकालकर जितनी निकलती है उस हिस्से को सर्जरी के माध्यम से निकाल लिया जाता है। इस बारे में डॉक्टरों की सलाह सर्वश्रेष्ठ होती है।
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