Swine flu in hindi : स्वाइन फ्लू क्या है ? इसके लक्षण कारण उपचार और सम्पूर्ण जानकारी

स्वाइन फ्लू क्या है ? : What is swine flu in hindi?

स्वाइन फ्लू (एच 1 एन 1 और एच 3 एन 2 इन्फ्लूएन्ज़ा वायरस ) तथ्यों एच 1 एन 1 फ्लू को स्वाइन फ्लू भी कहते है। स्वाइन फ्लू अथवा H1N1 इन्फ्लुएंजा एक प्रकार का संक्रमण वायरस होता है। यह जो वायरस होता है वह कठोर सतह पर २४ घंटे तक जीवित रहता है। और कोमल सतह २० घंटे तक जीवित रहता है क्योकि जिन लोगो में यह वायरस पाया गया ,उन लोगो में सुअरो के साथ सीधा संपर्क पाया गया था । उन्ही लोगो को स्वाइन फ्लू हो रहा था। इसलिए इस बीमारी का नाम स्वाइन पड़ गया।कुछ सालो बाद एक नए तरह के वायरस की वजह से ये बीमारी उन लोगो को भी होने लगी जिनका सुअरो से कोई संपर्क नहीं था। –  swine flu in hindi

2009 अप्रैल में एच 1 एन 1 वायरस दुनिया भर में तेज़ी से फैलते जा रहा था | और इस वजह से दुनिया भर में कई लोगो की मौत हो गयी थी। इसलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे जून 2009 में महामारी (Pandemic) घोषित कर दिया था। 

स्वाइन फ्लू (स्वाइन एन्फ्लूएंजा) एक स्वसन रोग होता है जो वायरस (एन्फ्लूएंजा वायरस) की वजह से होता है। जो की सुअरो के स्वसन तंत्र को संक्रमित कर देता है। जिसकी वजह से आपको खांसी,नाक बहना और भूख न लगने की समस्या हो जाती है जिन लोगो की प्रतिरोधक क्षमता काम होती है जैसे छोटे बच्चे, वृद्ध लोग , दमा के मरीज , डायबिटीज के मरीज , गर्भवती स्त्री  , HIV के मरीज ,एनीमिया के मरीज , कुपोषण एवं अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रसित व्यक्ति इस वायरस के चपेट में आसानी से आ जाते है|

जब सर्दी के दिन आते है  स्वाइन फ्लू के मरीजों की संख्या बढ़ती जाती है। जैसे -जैसे मौसम ठंडा होता जाता है वैसे ही स्वाइन फ्लू का संक्रमण  तेज़ी से फैलता है। स्वाइन फ्लू वायरस आमतौर पर बहुत ज्यादा खतरनाक नहीं होता है लेकिन किन्ही कारणों से स्वाइन फ्लू में मौत भी हो सकती है। यदि ये बिगड़ जाता है या सही समय पर इसका उपचार नहीं कराया जाता है। 

H1N1 फ्लू, जिसे आमतौर पर स्वाइन फ्लू के रूप में जाना जाता है, मुख्य रूप से फ्लू (इन्फ्लूएंजा) वायरस के H1N1 स्ट्रेन के कारण होता है। H1N1 एक प्रकार का इन्फ्लूएंजा ए वायरस है, और H1N1 कई फ्लू वायरस उपभेदों में से एक है जो मौसमी फ्लू का कारण बन सकता है। H1N1 फ्लू के लक्षण मौसमी फ्लू के समान ही होते हैं।

स्वाइन फ्लू के कारण / स्वाइन फ्लू कैसे फैलता है – swine flu causes in  hindi

जब भी व्यक्ति जिसे स्वाइन फ्लू है वह खासता या छीकता है । तो हवा के अंदर या जमीन के ऊपर मुँह और नाक से इस बीमारी के वायरस छोटी-छोटी बूंदो के साथ बाहर आ जाते है। जो लोग इन बूंदो के संपर्क में आते है वह इस वायरस की चपेट में आ जाते है। यह जो छोटी बूंदे होती है वह हवा के द्वारा किसी भी व्यक्ति के सांस के साथ उसके अंदर जाकर उसे संक्रमित कर सकती है। या आप किसी ऐसी चीज़ को छू लेते है  जिस पर ये सूक्ष्म बूंदे गिरी है जैसे कि दरवाजे की हैंडल पर ,फोन पर ,रिमोट कंट्रोल पर ,कीबोर्ड पर ,टेबल का सरफेस,तकिया आदि के जरिये भी यह वायरस फैल सकता है। अगर इन सब चीजों का उपयोग किसी संक्रमित व्यक्ति के दवरा किया गया हो। 

H1N1 जैसे इन्फ्लुएंजा वायरस आपके नाक, गले और फेफड़ों को लाइन करने वाली कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं। जब आप दूषित बूंदों को अंदर लेते हैं या दूषित सतह से जीवित वायरस को अपनी आंखों, नाक या मुंह में स्थानांतरित करते हैं तो वायरस आपके शरीर में प्रवेश करता है।

जोखिम

यदि आप ऐसे क्षेत्र में रहते हैं या यात्रा करते हैं जहां कई लोग H1N1 वायरस से संक्रमित हैं, तो आप वायरस के संपर्क में आ सकते हैं।

स्वाइन फ्लू के लक्षण : Swine Flu Symptoms in Hindi 

H1N1 वायरस के कारण होने वाले फ्लू के लक्षण और अन्य फ्लू के कारण होने वाले लक्षण के संक्रमण के समान होते हैं  स्वाइन फ्लू के लक्षण हर इंसान में अलग – अलग होते है। इसके शुरुआती लक्षण जुकाम और बुखार आना हो सकते है । आपको तेज ठंड लगती है और गला ख़राब हो सकता  है। अगर आपको स्वाइन फ्लू होता है तो आपको सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।

स्वाइन फ्लू के लक्षण बहुत ही नियमित एन्फ्लूएंजा की तरह हो सकते है और इसमें शामिल हो सकते हैं:

  1. बुखार, लेकिन हमेशा नहीं, दवाई खाने के बाद भी बुखार का लगातार बढ़ते जाना ।
  2. ठंड लगना
  3. गले में दर्द होना या खराश हो जाना और खराश का लगातार बढ़ते जाना।
  4. बहती या भरी हुई नाक
  5. सिर में भयंकर दर्द का होना ।
  6. उनींदे महसूस करना और बहुत ज्यादा थकान होना।
  7.  दस्त लग जाना ,मतली और उलटी आना।
  8. मासपेशियो में दर्द हो जाना  या अकड़न महसूस होना या बदन में दर्द होना।
  9. सांस का फूलना, कमजोरी का महसूस होना।

ये सब लक्षण स्वाइन फ्लू में में महसूस हो सकते है। इनके अलावा कुछ लोगो में निम्न लक्षण भी देखने को मिल सकते है-

१.  लाल आँखे हो जाना ।

२.  बदन में दर्द महसूस होना ।

३.  भूख न लगना।

आपके वायरस के संपर्क में आने के लगभग एक से तीन दिन बाद फ्लू के लक्षण विकसित होते हैं।

इन लक्षणों से आपको यह पता नहीं चलता है की आपको स्वाइन फ्लू हुआ है। अगर यह लक्षण ३-४ दिन से ज्यादा रहते है तो आप डॉक्टर से तुरंत संपर्क करे। 

स्वाइन फ्लू जैसे-जैसे आपकी body में फैलता जाता है वैसे -वैसे ही मरीज कि जो भूख है वह कम होने लगती है और नाक से पानी बहने लग जाता है। कुछ लोगो को तो गले में जलन होना , सूजन होना ,उल्टिया या डायरिया भी हो जाता है। जब किसी भी व्यक्ति को स्वाइन फ्लू होता है। तो ये लक्षण उसकी बॉडी में देखने को मिल जाते है। 

स्वाइन फ्लू का इलाज / स्वाइन फ्लू का उपचार – Swine flu treatment in hindi

आपकी बॉडी में जैसे ही स्वाइन फ्लू के लक्षण दीखते है उसके दो दिन के अंदर ही एंटीवायरल दवाये लेना जरूरी हो जाता है।  दवाइयों का सेवन करने से एक तो मरीज को राहत मिल जाती है तथा बीमारी की जो तीव्रता है वह भी कम हो जाती है। स्वाइन फ्लू के इलाज के लिए Oseltamivir (Tamiflu) ये दवा मरीज को उसकी उम्र और वजन के हिसाब से दी जाती है। दवा आपका डॉक्टर निर्धारित करता है की आपकी स्थिति के अनुसार आपके लिए कोनसी दवा उपयुक्त है। 

स्वाइन फ्लू के इलाज में एंटीबायोटिक्स दवाई काम नहीं करती है क्योँकि यह जो बीमारी है वह वायरस की वजह से होती है, कोई भी दवा का सेवन करने से पहले डॉक्टर अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य ले।

स्वाइन फ्लू से ज्यादा खतरा उन व्यक्तियों को होता है जिनकी उम्र जो है वह 50 से ज्यादा होती है और 5 साल से कम उम्र के बच्चे और गर्भवती महिलाये को भी इससे ज्यादा खतरा होता है। ऐसे व्यक्ति जिन्हे इनमे से किसी भी प्रकार की बीमारी है,उन्हें सावधानी रखना चाहिए –

१.  जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम होती है।

२.  डायबिटीज वाले व्यक्ति को , जिनको फेफड़े में दिक्कत हो , किडनी या दिल की बीमारी वाले लोग , जिनको मस्तिष्क सम्बन्धी समस्या हो वह लोग और ऐसे व्यक्ति जिन्हे अस्थमा की समस्या हो तो ऐसे लोगो को फ्लू के शुरुआती लक्षण दिखते ही अपने डॉक्टर से तुरंत सलाह लेनी चाहिए। और ऐसे व्यक्ति को सावधान रहने की आवश्यकता होती है। 

स्वाइन फ्लू का घरेलु उपचार  / swine flu ka gharelu upchar – Home remedies for swine flu in hindi

स्वाइन फ्लू से उपचार के लिए आप निम्न उपाय उपयोग कर सकते है ,पर यह उपाय कुछ हद तक ही उपयोगी होते है। 

  • जिन लोगो को हल्दी से एलर्जी नहीं होती है उन लोगो को हर दिन गुनगुने दूध के साथ हल्दी का सेवन करना चाहिए। 
  • बहुत सारे तरल पदार्थ का सेवन करना चाहिए ।
  • आपको आराम करना चाहिए । संक्रमण शक्ति बढ़ाने के लिए अच्छी नींद लेना चाहिए। 
  • दैनिक प्राणायाम करना चाहिए , सुबह-शाम टहलना चाहिए ।
  • कपूर का एक टुकड़ा लेना चाहिए उसे लगभग एक टैबलेट के आकर का एक महीने में एक या दो बार सेवन करना चाहिए । बड़े लोग जो होते है उनको पानी के साथ निगल से और बच्चे इसे मैश किये हुए आलू या केले के साथ सेवन कर सकते है। कृपया ये ध्यान रखना चाहिए की  कपूर को हर रोज नहीं सेवन करना चाहिए  बल्कि प्रत्येक मौसम में केवल एक बार आपका इसका सेवन कर सकते है या महीने में एक बार।
  • आपको अपने हाथो को साबुन से धोना चाहिए। खासतौर से भोजन करने से पहले या जो जिस जगह को छूने से आपको डर हे की इसको छूने के बाद आपको स्वाइन फ्लू के वायरस लग सकते है। 
  •  ४-५ तुलसी के पत्ते ले उन्हें अच्छे से धो लेना चाहिए उसके बाद उसमे ५ ग्राम अदरक और चुटकी भर काली मिर्च पाउडर और चुटकी भर हल्दी को १ कप पानी में उबाल लेना चाहिए और दिन में २-३ बार इसका सेवन करना चाहिए ।
  • आधा चम्मच आंवला पाउडर को लेना चाहिए और उसे आधा कप पानी में मिला देना चाहिए इसका पानी दिन में दो बार पीना चाहिए  , इससे आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है।

स्वाइन फ्लू से बचाव / स्वाइन फ्लू से बचने के लिए ये चीजे करे

  • सर्दी-जुकाम से ग्रसित लोगो से बचना चाहिए ।
  • स्वाइन फ्लू से बचने के लिए आपको अपने डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए आप  Nasovac Vaccine ले सकते है।
  • अगर आप खांसते या छीकते है तो समय अपने मुँह और नाक को ढंकने के लिए रुमाल का या टिसू पेपर का उपयोग करना चाहिए । अगर यदि संभव हो तो अपने पास खड़े हुए व्यक्ति से आपको करीब 6 फीट की दूरी बनाए रखना चाहिए। 
  • भीड़ वाली जगह से , सिनेमा हॉल से  या बाजार जाने से पहले सावधानी के लिए मास्क को पहन लेना चाहिए। 
  • अपने हाथों को हमेशा खाना खाने से पहले १५-२० सेकंड तक साबुन से धोना चाहिए । यदि ये संभव नहीं होतो हाथ को धोने के लिए सेनिटाइजर का इस्तेमाल करना चाहिए |
  • खूब पानी पीना चाहिए और पौष्टिक चीजों का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए ताकि आपकी इम्युनिटी बढ जाए। 
  •  भीड़ भाड़ वाले इलाके में नहीं जाना चाहिए और अस्पताल में जाने से बचना चाहिए ।
  • लोगो से अनावश्यक हाथ नहीं मिलाना चाहिए या संपर्क करना टालना चाहिए ।
  • स्वाइन फ्लू से प्रभावित क्षेत्र में चेहरे पर मास्क नहीं पहनना चाहिए ।
  • अपने घर को और आप जहा काम काज करते है उस जगह को साफ़ सुधरा रखें चाहिए और अपने ऑफिस में चीजों को कम छूना चाहिए । और अपने आस पास हमेशा सफाई रखना चाहिए ।
  • आपको अपनी रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए ।
  •  बिना धुले हाथो से आपको आँख, नाक या मुँह छूने से परहेज करना चाहिए ।
  • स्वाइन फ्लू का टीका अवश्य लगवाना चाहिए ,क्योँकि एच 1 एन 1 संक्रमण से बचने के लिए यह सबसे अच्छा उपाय होता है।
  • ग्रीन टी को , गरम दूध को , चाय को , सूप आदि लेते रहना चाहिए । यह आपके मुँह और गले में मौजूद microorganisms को मार देता है।

अगर आपको स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखाए दे तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी दवा का सेवन न करे 

कुछ और मेडिसिन की जानकारिया आपकी दैनिक दिनचर्या के लिए जो आपकी लाइफ को आसान बनाएगी

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