आम तौर पर , गले की समस्याएं एक प्रकार की होती हैं, जैसे की गले में सूजन,दर्द। लेकिन इन लक्षणों के परिणाम विभिन्न होते हैं। तो फिर आइये, आज जानकारी लेते हैं, खराब गले(Strep Throat in hindi) के बारे में। क्या और क्यों होता हैं स्ट्रेप थ्रोट, क्या लक्षण होते हैं इसके, क्या इलाज होता है इसका?
What is Strep Throat in hindi ?:क्या होता हैं खराब गला?
खराब गला एक बॅकटेरिअल इन्फेक्शन की वजह से होता है। यह बीटा हेमोलिटिक स्ट्रेप्टोकोकस नाम के बैक्टेरिया के संक्रमण की वजह से होता हैं। तभी इसे एक संक्रामिक बिमारी कहा जाता हैं। इसे स्ट्रेप्टोकोकल ग्रशनिशोध भी कहा जाता हैं।
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Reasons of Strep Throat in hindi:खराब गला होने के कारण
जैसे कि पहले बताया , स्ट्रेप थ्रोट एक बॅक्टेरियल बिमारी है। जिस इन्फेक्शन कि वजह से फैंरिक्स मतलब ग्रसनी कि सुजन होती है। यह बैक्टेरिया गले के साथ साथ मुह ओर नाक पर भी असर करता है।
संक्रमित व्यक्ति के छीकने, थूकने से,इतना ही नही, संक्रमित व्यक्ति का जुठा खाने,एक ही बर्तन,कपड़ो का इस्तेमाल करने से भी यह बिमारी सामान्य तौर पर संक्रमित हो जाती हैं। यह बिमारी सभी उम्र के लोगो में (बच्चे,युवा, वयस्क) और आदमी एवं औरत, सभी में एक समान फ़ैल सकती हैं। यह बैक्टेरिया नम वातावरण में पंद्रह दिनों तक एक्टिव रहता हैं। यह बीमारी के बैक्टेरिया नम मौसम में ज्यादातर हमलावर रहते हैं, इसीलिए,यह बीमारी बरसात के और ठंड के महीनों में ज्यादा पायी जाती हैं। यह बिमारी टॉन्सिल्स (गलतुण्डिका) और स्वर यंत्र को भी प्रभावित कर सकती हैं। इस के लिए,इस बीमारी को जानना,पहचानना औऱ तुरंत इस पर उपाय करना आवश्यक हैं।
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Symptoms of Strep Throat in hindi:खराब गले के लक्षण –
इस बीमारी के लक्षण सामान्य रूप में पाए जाने वाले गले की कई बीमारियो के समान ही होते हैं, जैसे कि
- गले में खराश – यह एक सामान्य लक्षण हैं, ज्यो ज्यादातर मरीजो में पाया जाता हैं।
- गले में दर्द – खाने में कठिनाई होना
- कभी कभी गले की सूजन
- टॉन्सिल्स पर पस (पिला या हरा द्रव)
इसके अलावा कभी कभी नीचे दिए गये लक्षण भी स्ट्रेप थ्रोट के हो सकते है:-
- सिरदर्द – जोर से सिरदर्द और बुखार भी स्ट्रेप थ्रोट का लक्षण हैं।
- उलटी होना
- उलटी करने की इच्छा होना
- पेट में दर्द
- मांसपेशियों में दर्द
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Treatment: खराब गले की रोकधाम
उपचार के बिना स्ट्रेप थ्रोट,तकरीबन दो हफ्ते रहता हैं, उसके बाद बैक्टेरिया की सिव्हिरिटी कम होने लगती हैं। दर्द कम करने वाली दवाइयां स्ट्रेप थ्रोट से गले में होने वाले दर्द को कम करती हैं। इसमें पॅरासिटेमोल भी लाभदायक हो सकती हैं। लेकिन ज्यादा मात्रा में सिडेटिव्हस या पेन किलर दवाइयां लेना उचित नही हैं, जिनके कारण कुछ एलर्जेटीक रिएक्शन हो सकते हैं।
वयस्को के लिए स्टेरॉइड्स भी मददकार हो सकती हैं, अगर सही मात्रा में लिए जाए। लेकिन सबसे प्रभावशाली रहती हैं, एंटीबायोटिक्स (प्रतिजैविक) दवाइयां। यह दवाइयां आसानी से उपलब्ध हैं और सुरक्षित भी है। यह बिमारी फैलाने वाले बेक्टेरियाज को मार देती हैं, और बिमारी की अवधि को भी कम करती हैं। अमूमन इन दवाइयों के साथ एंटासिड भी ले सकते हैं, क्यों की एंटीबायोटिक्स के सेवन से एसिडिटी बढ़ती हैं। आम तौर पर प्र्तिजैविक के रुप मे पेनिसिलिन या फिर एमोक्जिसिलिन (एमोक्जिल) नामक दवाई डॉक्टरो द्वारा सुझाई जाती है।
यह बीमारी के लक्षण दवाई के माध्यम से या फिर दवाई के बिना भी तीन से पाँच दिनों के भीतर सुधरने लगते हैं। अगर मरीज दवाई ले रहा हो,तो उसे पूरी कोर्स लेनी चाहिए, क्योंकी दवाई न लेने से या फिर बीच में लेना छोड़ देने से इस बीमारी को जड़ से खत्म करना मुश्किल हो जाता है, और बिमारी वापस फैलने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
दवाइयां लेने के साथ साथ नीचे दिये हुये कुछ उपाय भी करे, ताकि बीमारी का असर और फैलाव कम हो ….
- अपने आप को कुछ समय तक अलग रखे, भीड़ वाली जगह मे ज्यादा न जाये।
- गले को गरम (उबले हुए) पानी से गार्गल करे
- तला हुआ,ज्यादा मसालेदार खाना कम से कम खाए
- इस बीमारी को कम करने मे हल्दी मिलाया हुआ दुध पीना भी मददगार साबित होता है।
जैसे कि हमने देखा, गले में दर्द या फिर खराश, स्ट्रेप थ्रोट के साथ साथ अन्य बीमारियो का भी लक्षण हैं, तो उन लक्षणों को महसूस करते ही, डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी हैं, ताकि बिमारी जल्द से जल्द पहचानी जाए और उसका इलाज भी जल्द से हो सके।