Six months pregnancy in hindi:गर्भावस्था का छटा महीना इन हिंदी

मां बनने का एहसास बेहद खुशनुमा और दिल को छू लेने वाला एहसास होता है। इस खुशी का इजहार शायद शब्दों में नहीं किया जा सकता। आज हम छठे महीने में होने वाले परिवर्तनों एवं देखरेख की बात करने जा रहे हैं। जैसे-जैसे गर्भवती महिला के महीने बढ़ते जाते हैं वैसे ही महिला की खुशी दुगनी होती चली जाती है। छठे महीने(Six months pregnancy in hindi) पर गर्भवती महिला की दूसरी तिमाही खत्म हो जाती है और उसे तीसरी तिमाही का बेहद बेसब्री से इंतजार रहता है। दूसरी तिमाही खत्म होते ही महिला को अलग अलग अनुभव महसूस होने लगते है। कभी यह लम्हे बहुत ही खुशी देते हैं परंतु कभी-कभी बड़ी परेशानी खड़ी कर देते हैं।

6 महीने के लक्षण(Symptoms Six months pregnancy in hindi)

  • अक्सर छठे महीने(Six months pregnancy in hindi ) के दौरान महिला को एडिमा यानी घुटनों, पैरों, हाथो में सूजन हो सकती है। यह टिश्यु में बन रही तरल पदार्थ के कारण होती है। इससे आपके और आपके शिशु को पोषण की कमी नहीं होती। गर्भावस्था में सूजन आना एक नॉर्मल सी बात होती है। 
  • जैसे-जैसे गर्भ का आकार बढ़ता जाता है वैसे- वैसे नीचे की और दबाव पड़ने लगता है जिसके कारण अपच की समस्या हो जाती है। और गर्भवती महिला को सीने में जलन होने लगती है। यदि जलन ज्यादा होती है तो डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक होता है।
  • समय तक आते-आते बच्चे को पूर्ण पोषण की आवश्यकता होती है जिसके लिए महिला को बार बार भूख लगती है अक्सर गर्भवती महिला को बाहर की चीजें जैसे जंक फूड खाने का मन करता है यह खाना उनके लिए हानिकारक हो सकता है और बच्चे को भी नुकसान पहुंचाता है ज्यादातर बाहर के खाने से बच्चे और पोषक तत्व का सेवन करें।
  • इस समय में महिला को खर्राटे आना नॉर्मल सी बात है। क्योंकि इस समय में सिर और गर्दन के चारों ओर के टिश्यू सूख जाते हैं जिस कारण खर्राटे की समस्या पैदा हो जाती है।
  • प्रसव के लिए हार्मोन श्रोणि क्षेत्र को ढीला कर देते हैं जिस कारण बच्चे का वजन पेट और कमर पर पड़ता है और महिलाओं को कमर दर्द रहने लगता है।

बच्चे का विकास(Child development Six months pregnancy in hindi)

  • छठे महीने(Six months pregnancy in hindi ) के दौरान बच्चे के वजन के साथ-साथ बच्चे की लंबाई भी बढ़ती है।
  • इस समय बच्चे की त्वचा गुलाबी रंग के हो जाती है यह त्वचा के नीचे बने रक्त वाहिकाओं के कारण होता है।
  • इस समय में बच्चा सभी बातें सुनता और समझता है और हर बात पर प्रतिक्रिया देता है और उत्तेजित होकर सभी बातों पर गौर करता है। इस महीने के आखिर तक आते-आते बच्चों की उंगलियां नाखून और बच्चों के सभी अंग विकसित हो जाते हैं।
  • इस समय में बच्चों का सिर उसके अंगों से ज्यादा बड़ा होता है।
  • इस महीने में बच्चे का वजन लगभग 900 ग्राम के बराबर होता है एवं लंबाई लगभग 12 इंच के आस-पास हो जाती है।

गर्भवती महिला के छटा महीने में होने वाले शारीरिक बदलाव(Pregnant woman physical changes in 6th months)

  • इस समय तक आते-आते महिला का वजन काफी बढ़ जाता है इस समय में महिला का पेट लगभग 1 इंच तक बाहर निकल जाता है। जिस कारण उसकी नाभि बाहर की ओर निकल जाती है परंतु प्रसव के बाद यह बाहर निकली हुई नाभी कुछ दिनों बाद अपने आप ही ठीक हो जाती है।
  • अधिकतर महिलाओं में मसूड़ों से खून आने की समस्या गर्भावस्था के कई महीनो तक बनी रहती है यदि यह लंबे समय तक ठीक नहीं होती तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
  • गर्भाशय के नीचे के हिस्से में एक दबाव बढ़ने लगता है जिस कारण आपको असुविधा महसूस हो सकती है। इस खिंचाव के कारण आपकी पेट पर कुछ निशान भी पड़ जाते हैं।
  • छठे महीने तक आते-आते शिशु को पोषण पहुंचाने वाली नसे बहुत तेजी से कार्य करने लगती हैं जिस कारण पैरों की एवं झांगो की नसे उभर कर आने लगती है।
  • इस बढ़ते हुए रक्त संचार के कारण पैरों एवं शरीर में कड़कपन पैदा हो जाता है।

इस समय इन चीज़ों से करे बचाव (Avoid these things at time of 6th months pregnancy in hindi )

  • जैसे-जैसे प्रेगनेंसी का समय पढ़ता रहेगा वैसे वैसे शरीर में दर्द की समस्या पैदा होती रहती है इस समय में जब भी शरीर दर्द की स्थिति पैदा हो तो गुनगुने पानी से स्नान करना बेहद लाभकारी और असर देने वाला होता है।
  • इस समय में गर्भवती महिला को तनाव लेना एक गंभीर समस्या पैदा कर देता है इस समय में बिल्कुल तनाव नहीं लेना चाहिए और हमेशा सकारात्मक सोच रखनी चाहिए।
  • अक्सर शरीर में बढ़ते रक्त संचार के साथ-साथ हाथो और पैरों में झनझनाहट की समस्या पैदा हो जाती है। इसके लिए लगातार काम नहीं करते रहना चाहिए बीच-बीच में आराम करते रहना चाहिए।
  • इस समय में महिलाओं की नींद बहुत कम हो जाती है क्योंकि बार-बार पेशाब जाने के कारण उनकी नींद खुल जाती है यह गर्भाशय पर दबाव पड़ने के कारण होता है।

छटा महीने के दौरान परहेज(Avoiding during the 6 months)

  • इस समय में महिलाओं को यात्रा करने की सलाह दे दी जाती है परंतु फिर भी बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी लंबी यात्रा पर ना जाए।
  • गर्भावस्था में कब्ज की समस्या होना एक आम बात होती है जिस कारण बवासीर जैसा रोग शरीर में उत्पन्न हो जाता है इस रोग से बचने के लिए कम से कम 8 से 10 गिलास पानी रोज पीना चाहिए। 
  • हमेशा ढीले कपड़ों को धारण करना चाहिए यह है आपके और आपके बच्चे के लिए सुरक्षित होता है।
  • इस समय में इंफेक्शन का पूरा ध्यान रखना चाहिए नहीं तो यह आपके और आपके बच्चे के लिए हानिकारक हो सकता है।
  • गर्भावस्था के दौरान सभी जांच पूरी तरह एवं समय से करवानी बेहद आवश्यक होती है इसके लिए आप डॉक्टर से लगातार संपर्क में रहें।

छटा महीने की डाइट (6 months diet)

  • इस समय में संतरे का ज्यादा सेवन बच्चे और मां दोनों के लिए अच्छा होता है जो संतरा विटामिन सी और फाइबर की कमी को पूरा करता है।
  • इसके अलावा दूध टमाटर मुनक्का आदि भी विटामिन सी की कमी को पूरा करने में सहायक होते हैं।
  • रात के समय में समय से भोजन करना जरूरी होता है ताकि भोजन पचने में आसानी हो।
  • इस समय में अधिकतर आयरन की कमी हो जाती है जिसके लिए आयरन युक्त भोजन करना आवश्यक होता है।

गर्भावस्था के दौरान महिला को तला हुआ खाना खाने से परहेज करना चाहिए इससे चिड़चिड़ापन एवं थकावट में कमी बनी रहती है। मांस मछली कच्चे अंडे के सेवन से बचना चाहिए क्योंकि इससे बच्चे के विकास में रुकावट पैदा होती है क्योंकि यह पदार्थ उच्च मरकरी पैदा करते हैं। 

Ruchi singh chauhan
मेरा नाम रूचि सिंह चौहान है ‌‌‌मुझे लिखना बहुत ज्यादा अच्छा लगता है । मैं लिखने के लिए बहुत पागल हूं ।और लिखती ही रहती हूं । क्योकि मुझे लिखने के अलावा कुछ भी अच्छा नहीं लगता है में बिना किसी बोरियत को महसूस करे लिखते रहती हूँ । मैं 10+ साल से लिखने की फिल्ड मे हूं ।‌‌‌आप मुझसे निम्न ई-मेल पर संपर्क कर सकते हैं। [email protected]
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