दुनिया में अनेकों प्रकार के त्वचा रोग आज के समय में देखे जाते हैं। कुछ लोग इतने खतरनाक एवं गंभीर होते हैं, कि उससे पूरी त्वचा खराब होने का खतरा बन जाता है। कारणवश इसका इलाज समय से करना बहुत ही आवश्यक होता है। आज हम आपको इस लेख में एक ऐसे ही बीमारी Psoriasis(सोरायसिस) के बारे में बताने जा रहे हैं
सोरायसिस क्या है?(What is psoriasis?)
इस बीमारी के अंतर्गत त्वचा पर लाल रंग के चकत्ते पड़ने लगते हैं। और साथ ही साथ त्वचा मोटी होने लगती है। इसके कारण मरीज को काफी खुजली और कई मरीजों को जलन भी होती है। माना जाता है कि भारत में इस रोग के रोगियों संख्या सबसे ज्यादा लगभग 1 करोड़ और उससे भी ज्यादा की है। मुख्य रूप से इसका असर कोहनी एवं बाहरी हिस्सों जैसे कि घुटनों पर ज्यादा दिखाई देता है। मूलतः तो इसका असर पूरे शरीर पर दिखाई देता है।
माना जाता है कि सोरायसिस(Psoriasis) का संबंध बहुत सी बीमारियों से है जैसे कि डायबिटीज और अन्य दिल से जुड़ी बीमारियां। नेशनल सोरायसिस फाउंडेशन के अनुसार यदि शरीर पर कहीं भी लाल चकत्ते नजर आते हैं। तो इसमें किसी भी प्रकार की दवा का सेवन करने से पहले जांच अवश्य करवा लेनी चाहिए, अन्यथा यह शरीर को हानि पहुंचा सकती है।
लोगों का मानना है कि यह गोरे लोगों में अक्सर ज्यादा देखी जाती है। परंतु यह बात गलत है यह बीमारी कैसी भी रंग के लोगों में हो जाती है। मुख्य रूप से इसका कारण अभी भी पता नहीं चल पाया है परंतु यह साबित है कि यह बीमारी किसी प्रकार की संक्रामक बीमारी नहीं है।
अमेरिका के सोरायसिस फाउंडेशन के मुताबिक यदि कोई भी सोरायसिस से पीड़ित व्यक्ति किसी भी नॉर्मल व्यक्ति के साथ संबंध बनाता है। तो वह इससे पीड़ित नहीं हो सकता।
सोरायसिस होने के कारण(Due to psoriasis)
- सोरायसिस का मुख्य कारण अनुवांशिकता मानी जाती है। बहुत से वैज्ञानिकों के अनुसार यह बीमारी जींस से दूसरे को फैलती है। और यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक यह बीमारी लेकर आती है।
- बहुत से लोगों का मानना है कि यह बीमारी इंफेक्शन के कारण होती है जैसे कि संक्रमण, वायरल फीवर जैसे कि डेंगू, मलेरिया, निमोनिया या फिर पेशाब की नली में इन्फेक्शन होना।
- यह बीमारी दवाइयों के कारण भी हो जाती है। ऐसी दवाइयां जो की नार्मल होती हैं, जैसे कि दर्द नाशक दवाई या फिर बीपी की दवाई मलेरिया के दौरान ली जाने वाली दवाइयां इस बीमारी को बढ़ावा देती हैं। यानि कि यह बीमारी की दवाइयों के इंफेक्शन के कारण हो सकती है।
- तनाव होना भी इस बीमारी का एक मुख्य कारण है।
- कोई ऐसी चोट जिसके कारण त्वचा कट गई हो उससे भी यह रोग फैल सकता है।
- कुछ लोगों को मौसम बहुत ही ठंडा होने के कारण भी यह रोग हो जाता है
- धूम्रपान तंबाकू आदि इसका मुख्य कारक माने जाते हैं।
आज तक वैज्ञानिकों द्वारा इसका मुख्य कारण पता नहीं लगाया गया है परंतु माना जाता है कि यदि इन चीजों में से कुछ भी कार्य हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में कम करें तो हम इस रोग से बच सकते हैं।
सोरायसिस के लक्षण(symptoms of psoriasis)
- सोरायसिस(psoriasis) के मुख्य लक्षण है त्वचा पर लाल चकत्ते होना एवं उसमें खुजली होना।
- बहुत से लोग इन लाल चौक तो को अनदेखा कर देते हैं परंतु यह है हमारे लिए विनाशकारी हो सकता है इसी कारण अगर हमें अपने शरीर पर किसी प्रकार के लाल चकत्ते नजर आते हैं तो तुरंत हमें डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
- यदि हमारे घर में पहले से किसी को सोरायसिस है तो हमें पहले से ही सतर्क रहना चाहिए।
- किसी भी समय यदि आपको आपकी स्किन खुरदरी या मोटी दिखने लगती है तो डॉक्टर से संपर्क करें इसके लिए डॉक्टर आपका किसी प्रकार ब्लड टेस्ट नहीं करेगा केवल वह माइक्रोस्कोप से आपकी त्वचा की जांच करेगा जिससे इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है।
सोरायसिस के प्रकार(types of psoriasis)
सोरायसिस मक्के के पांच प्रकार के देखे जाते हैं।
- प्लाक सोरायसिस:– यह सबसे सामान्य प्रकार का सराय चीज है जिसमें त्वचा पर केवल लाल चकते देखे जा सकते हैं। साथ ही साथ इस पर सफेद पपड़ी जमा हो जाती है परंतु मुख्यतः इसमें खुजली नहीं होती है। और यह शरीर के किसी भी अंग में हो सकते हैं और साथ ही साथ यह हमारे शरीर की हड्डियों एवं हमारे नाखूनो तक को नुकसान पहुंचाती है।
- ग्यूटेट सोरायसिस : यह सोरायसिस का दूसरा प्रकार है जिसमें शरीर पर दाने नजर आने लगते हैं
- इन्वर्स सोरायसिस : इस प्रकार का प्राइस इस शरीर के जोड़ों में दिखाई पड़ता है जैसे कि घुटना, कोहनी।
- पस्ट्युलर सोरायसिस : इस प्रकार के सोरायसिस में शरीर पर मोटी मोटी फोड़े होने लगते हैं। इनमें किसी प्रकार का दर्द होता है ना ही किसी प्रकार की जलन होती है। यह किसी भी उम्र के तबके को हो सकती है चाहे वह बच्चा हो या फिर 60 साल का बुजुर्ग।
- रिथ्रोडर्मिक सोरायसिस : यह सोरायसिस का पांचवा एवं सबसे ज्यादा पीड़ित करने वाला प्रकार माना जाता है। इसमें पूरे शरीर में लाल चकत्ते हो जाते हैं। इन चकतों पर खुजली होने के साथ-साथ तेज दर्द भी होने लगता है। ऐसे में हॉस्पिटल जाना बहुत ही आवश्यक हो जाता है।
डॉक्टर द्वारा की जाने वाली जांच(doctor’s examination)
सोरायसिस का खतरा महसूस होने पर डॉक्टर दो प्रकार की जांच करता है। इसके लिए डॉक्टर सबसे पहले यह नाच करता है कि पीड़ित को सोरायसिस है या नहीं। उसके लिए कुछ लोकल टेस्ट होते हैं तथा एक बायोस्कॉपी की जाती है। इसके लिए डॉक्टर मरीज का एक छोटा सा चमड़े का टुकड़ा लेकर बायोस्कॉपी से जांच करते हैं। जोकि डायग्नोसिस की जांच के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके बाद कुछ ऐसे टेस्ट किए जाते हैं जो कि इसकी थेरेपी के लिए होते हैं। क्योंकि माना जाता है कि इस बीमारी से पीड़ित लोगों को किसी भी प्रकार की दवाई देने से उन्हें एलर्जी हो सकती है जिसके कारण डॉक्टर पहले से ही जांच कर लेते हैं कि यदि जो दवा वह मरीज को दे रहे हैं वह उसे कोई नुकसान ना पहुंचा सके।
कैसे करें उपचार, कैसे रखें ध्यान?(what to do?how to take care)
ठीक समय एवं सही दवाइयों का सेवन करने से इसे समय से ठीक किया जा सकता है परंतु इस बीमारी को पूरी तरह ठीक होने से पहले दवाइयों का सेवन करना बंद ना करें नहीं तो यह दोबारा उभर जाती है।
बहुत समय में ऐसा लगता है कि यह बीमारी ठीक हो गई परंतु जब तक डॉक्टर आपको पूरी तरह से स्वस्थ नाम बता दे तब तक आप को दवाइयों का सेवन अवश्य करना चाहिए।
डॉक्टर की सलाह के बिना किसी भी दवा का सेवन ना करें एवं डॉक्टर द्वारा दी जाने वाली मरहम का बुरी तरह इस्तेमाल करें।
इन बातों का रखें मुख्य ध्यान(keep these things in mind)
- इस बीमारी के दौरान त्वचा को खुश्क रहने दें तथा समय-समय परमॉइस्चराइजर का उपयोग करें।
- खाने-पीने का खास ध्यान रखना चाहिए।
- जितना हो सके ज्यादा से ज्यादा हरी एवं पत्तेदार सब्जियों का इस्तेमाल अपने भोजन में करना चाहिए।
- किसी भी प्रकार के तंबाकू एवं शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।
- अक्सर लोग अपनी बीमारियों को लेकर नकारात्मक सोच में पड़ जाते हैं ऐसा करना हमारी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए हमेशा अपनी सोच को सकारात्मक रखें। तभी आप अपनी बीमारी से सही है वह ठीक प्रकार से निजात पा सकते है।
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