ट्यूमर का निर्माण तब होता है जब स्वस्थ कोशिकाओं में कुछ बदलाव आने के कारण वह अनियंत्रित होकर इतना बढ़ जाती है की एक तरह के आंतरिक फोड़े का रूप ले लेती है। ट्यूमर कैंसर रहित भी हो सकता है तथा कैंसर ग्रसित भी हो सकता है। परंतु कैंसर ग्रसित ट्यूमर बहुत ही घातक होता है अर्थात यदि सही समय पर इसे ढूंढ कर इसका इलाज न किया जाए तो यह शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है। वही कैंसर रहित ट्यूमर खुद बढ़ सकते हैं परंतु यह शरीर के अन्य हिस्सों में नहीं फैलते हैं। कैंसर रहित ट्यूमर को बिना अधिक नुकसान तथा बिना किसी परेशानी के निकाला जा सकता है। न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर(Neuroendocrine tumor) शरीर की न्यूरोएंडोक्राइन तंत्र की हार्मोंस बनाने वाली कोशिकाओं में शुरू होता है। न्यूरोएंडोक्राइन तंत्र हार्मोन बनाने वाली कोशिकाओं तथा तंत्रिका तंत्र की कोशिकाओं का संयोजन होता है। न्यूरोएंडोक्राइन कोशिकाएं पूरे शरीर में उपस्थित होती है जैसे फेफड़ों, अपेंडिक्स, छोटी आँत, रेक्टम तथा अग्नाशय इत्यादि। न्यूरोएंडोक्राइन कोशिकाएं विशिष्ट प्रकार के कार्य करते हैं जैसे फेफड़ों के अंदर खून के तथा हवा के प्रवाह को नियमित करना तथा भोजन कितनी गति से जठरांत्र पथ से गुजरेगा यह भी न्यूरोएंडोक्राइन कोशिकाएं ही नियंत्रित करती है।
न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर के लक्षण :- Neuroendocrine tumor symptoms
न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर के लक्षण तो सामान्य नजर आते हैं लेकिन इन्हें कभी अनदेखा नहीं करना चाहिए। न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर के लक्षण निम्न प्रकार से हैं –
- वजन का तेजी से बढ़ना या कम होना,
- दस्त होना,
- गर्दन तथा चेहरे की त्वचा लाल हो जाना,
- सांस लेने में दिक्कत होना,
- थकान अधिक लगना,
- हार्टबीट का बढ़ना,
- ब्लड प्रेशर का बढ़ना,
- कमजोरी महसूस होना,
- पेट में दर्द होना,
- पैरों में सूजन होना या ऐंठन होना,
- बार-बार पेशाब लगना,
- भूख तथा प्यास अधिक लगना,
- चक्कर आना,
- उल्टी होना,
- बुखार होना,
- अधिक पसीना होना,
- पीलिया होना,
- गैस्ट्रिक अल्सर की दिक्कत,
- आंतों में दिक्कत में महसूस होना इत्यादि।
न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर के कारण :- Causes of neuroendocrine tumors
न्यूरोएंडोक्राइन टयूमर किन कारणों से होता है इस बात का अभी तक पता नहीं चला है परंतु कुछ जोखिम कारक अवश्य है जो न्यूरोएंडोक्राइन टयूमर जैसी बीमारियों को न्योता जरूर देते हैं वह कारक निम्न प्रकार से हैं –
- न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर का एक प्रकार है फीयोक्रोमोसाइटोमा जो कि 40 से 60 वर्ष की उम्र के लोगों को होने की संभावना होती है।
- महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों को फियोक्रोमोसाइटोमा होने की संभावना अधिक होती है।
- यदि आपके परिवार में किसी को पहले से न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर हुआ है तो आपको भी यह होने की संभावना अधिक है।
- जिन व्यक्तियों की प्रतिरोधक क्षमता ( इम्यूनिटी सिस्टम ) कमजोर होता है उन्हें यह बीमारी होने की संभावना अधिक है जैसे किसी व्यक्ति को एड्स एचआईवी जैसी बीमारी हुई हो तो क्योंकि ऐसी बीमारियों में इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है।
- जो लोग धूप के संपर्क में ज्यादा रहते हैं उन्हें भी न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर होने की संभावना होती है।
न्यूरोएंडोक्राइन टयूमर का इलाज :- neuroendocrine tumor treatment
न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर नाम कि यह बीमारी काफी आम हो चुकी है। यदि समय रहते इस बीमारी का पता चल जाए तो इसका इलाज संभव है। न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर के इलाज से पहले यह पता करना पड़ता है कि यह शरीर के किस हिस्से में शुरू हुआ है तथा यह कहां तक फैल चुका है। इसके उपचार निम्न है –
- सर्जरी :- फीओक्रोमोसाइटोमा और मर्किल कोशिका कैंसर के लिए सर्जरी सर्वोत्तम उपचार है। सर्जरी के दौरान डॉक्टर ट्यूमर के साथ ही साथ उसके आसपास की अन्य स्वस्थ कोशिकाओं को भी निकाल देते हैं। इस सर्जरी में लैप्रोस्कोपिक सर्जरी का इस्तेमाल किया जाता है।
- रेडिएशन थेरेपी :- रेडिएशन थेरेपी में ट्यूमर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए उच्च ऊर्जा वाली एक्स किरणें तथा अन्य कणों का उपयोग किया जाता है। ज्यादातर रेडिएशन थेरेपी की सलाह डॉक्टर तब देते हैं जब ट्यूमर ऐसे स्थान पर जहां सर्जरी कर पाना संभव नहीं है।
- कीमोथेरेपी :- कीमोथेरेपी में कोशिकाओं को बढ़ने से तथा विभाजित होने से रोका जाता है, तथा ट्यूमर कोशिकाओं को नष्ट भी किया जाता है। इसमें दवा को शरीर के किसी अंग में नसों के द्वारा ट्यूमर वाले स्थान पर पहुंचाया जाता है।
- टारगेटेड थेरेपी ( लक्षित उपचार ) :- इस उपचार में ट्यूमर कोशिकाओं की वृद्धि और प्रसार रुक जाता है तथा इससे स्वस्थ कोशिकाओं को कोई खास नुकसान नहीं होता है।
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