मल्टीपल माइलोमा(Multiple myeloma in hindi) प्लाज्मा कोशिकाओं का कैंसर होता है। प्लाज्मा कोशिकाएं बोनमैरो या कहें अस्थिमज्जा में उपस्थित एक प्रकार की खून की सफेद कोशिकाएं होती हैं और यह रोग प्रतिरोधक तंत्र (इम्यून सिस्टम) का एक भाग होती है। इसे कोशिकाओ का कारखाना भी कहते हैं वह इसलिए क्योंकि इसमें खून में पाए जाने वाले सभी कोशिकाएं बनती हैं। अगर किसी को मल्टीपल माइलोमा हो जाता है तो प्लाज्मा कोशिकाएं बोनमैरो (अस्थि मज्जा) में जमा होने लगती है और इसी कारण से रक्त कोशिकाओं का उत्पादन भी प्रभावित हो जाता है। मल्टीपल माइलोमा में हड्डियों की शक्ति, शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता और रक्त की लाल कोशिकाओं की संख्या में गिरावट आ जाती है। मल्टीपल माइलोमा में गुर्दे के रोगों की संभावना में भी वृद्धि हो जाती है क्योंकि मल्टीपल माइलोमा में कैंसर कोशिकाएं असामान्य रूप से प्रोटीन की उत्पत्ति करने लगती हैं जो कि गुर्दों के लिए सही नहीं होती हैं तथा जिससे गुर्दों की कार्यशैली भी प्रभावित होती है।
किनको यह रोग होने की संभावना है :-Who is likely to get this disease-Multiple myeloma in hindi
कुछ लोगों का वजन सामान्य से कुछ अधिक होता है जिस कारण से उन लोगों में मल्टीपल माइलोमा होने की संभावना सबसे अधिक होती है वहीं कुछ लोग एल्कोहल का सेवन ज्यादा करते हैं उनको भी यह रोग होने की संभावना अधिक होती है। ज्यादातर यह बीमारी 50 वर्ष या इससे अधिक उम्र के लोगों में देखी गई है परंतु कम उम्र के लोगों में भी यह बीमारी देखने को मिली है और इसके मामले सामने आए है।
मल्टीपल माइलोमा के लक्षण :-Symptoms of multiple myeloma- Multiple myeloma in hindi
मल्टीपल माइलोमा शुरुआत में तो सामान्य होते हैं परंतु बाद में इसके लक्षण सामने आते हैं इनमें से कुछ लक्षण निम्न प्रकार से हैं-
- शरीर में पीठ पसलियों और हड्डियों में लगातार दर्द बने रहना
- हड्डियां कमजोर होना जिसके फलस्वरूप छोटी मोटी चोट से ही हड्डियों में फ्रैक्चर आना या हड्डियों का टूट जाना,
- कमजोरी तथा थकान ज्यादा लगना,
- वजन का तेरी से घटना,
- ज्यादा प्यास लगना,
- बार बार पेशाब लगना,
- एनीमिया होना,
- रक्त में कैल्शियम की मात्रा का अधिक होना जिसके कारण पेट में दर्द होना, कब्ज की समस्या होना,
- जी मिचलाना,
- भूख ना लगना,
- उलझन होना,
- गुर्दों की समस्या शुरू होने। जैसे गुर्दों का ठीक प्रकार से कार्य न करना या गुर्दे फेल हो जाना।
मल्टीपल माइलोमा के कारण :- Causes of multiple myeloma
मल्टीपल माइलोमा के स्पष्ट कारण क्या है इस बारे में डॉक्टरों ने स्पष्ट रूप से अभी नहीं बताया है लेकिन कुछ ऐसे कारक हैं जिनकी वजह से ऐसा माना जाता है कि मल्टीपल माइलोमा होने की संभावना अधिक हो जाती है जिसमें से कुछ कारक है जैसे:- मोटापा, अगर परिवार में पहले से किसी को मल्टीपल माइलोमा हो, एल्कोहल ज्यादा मात्रा में लेने वालों को आदि।
इसका एक अन्य कारण यह भी माना जाता है कि रक्षा तंत्र में बहुत प्रकार की कोशिकाएं होती हैं जो एक साथ मिलकर संक्रमण या बाहरी जीवाणुओं का मुकाबला करती है इन कोशिकाओं में लिम्फोसाइट्स प्रमुख माने जाते हैं। यह दो प्रकार के होते हैं टी-सेल्स और बी-सेल्स जब शरीर पर बाहरी जीवाणुओं का आक्रमण होता है तो बी-सेल्स, प्लाज्मा सेल्स का निर्माण करती हैं तथा यह प्लाज्मा सेल अपनी सतह पर एक आवरण या एंटीबॉडीज बनाते हैं जो जीवाणुओं से लड़ता है तथा उन्हें खत्म करता है। प्लाज्मा सेल्स सिर्फ बोनमैरो (अस्थि मज्जा) में ही पाई जाती हैं। जब प्लाज्मा सेल कैंसर से ग्रसित होती है तो वह अनियंत्रित हो जाती हैं और तेजी से विभाजन की प्रक्रिया करने लगती हैं और गांठ बन जाती है जिससे प्लाज्मासाइटोमा कहा जाता है जब सिर्फ एक गांठ का निर्माण होता है तो इससे आइसोलेटेड या सोलेटरी प्लाज्मासाइटोमा कहा जाता है तथा जब या एक से अधिक गांठ का निर्माण करती हैं तो इससे मल्टीपल माइलोमा कहा जाता है इनका निर्माण में होता है। इन गांठो का निर्माण मुख्य रूप से बोनमैरो (अस्थि मज्जा) में होता है।
मल्टीपल माइलोमा में प्लाज्मा सेल अस्थि मज्जा में अधिक से अधिक बनकर के फैल जाती है और जिससे अन्य कोशिकाओं को बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिलने के कारण उन अन्य कोशिकाओं की संख्या में कमी हो जाती है।
मल्टीपल माइलोमा का उपाय :-Remedy for multiple myeloma
जब किसी व्यक्ति के अंदर मल्टीपल मायलोमा की बीमारी के लक्षण और संकेत नजर आते हैं तो एक्स-रे, कम्पलीट ब्लड काउंट, यूरिन की जांच, सिटी स्कैन, एमआरआई तथा पीईटी स्कैन आदि जांच करवाने की सलाह दी जाती है। स्कैंस की मदद से बीमारी किस जगह पर है और किस हद तक फैल चुकी है इन सब की जानकारी मिलती है। बायोप्सी एक सुदृढ़ और निर्णायक टेस्ट है जिससे यह ज्ञात हो जाता है कि मल्टीपल माइलोमा है अथवा नहीं। बोनमैरो (अस्थि मज्जा) का भी सैंपल लेकर टेस्ट करके या ज्ञात किया जाता है कि (बोनमैरो) अस्थि मज्जा में संभावित कैंसर वाले प्लाज्मा कोशिका कितनी मात्रा में उपस्थित हैं।
कीमोथेरेपी मल्टीपल मायलोमा में एक कॉमन इलाज है। परंतु कीमोथेरेपी के कुछ साइड इफेक्ट भी हैं कीमोथेरेपी में जो दवाइयां दी जाती है उनका मकसद कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करना तथा इन को बढ़ने से रोकना होता है। मल्टीपल माइलोमा के कुछ इलाज में कुछ अन्य दवाएं भी दी जाती है परंतु यह इलाज यह बहुत सफल नहीं है तथा इनके ज्यादा साइड इफेक्ट भी होते हैं। कुछ दवाइयां निम्न हैं जो इलाज के दौरान दी जाती है-
- स्टेरॉयड्स :- स्टेरायड्स कीमोथेरेपी कि दबाव का सम्पूरक बनकर उन्हें और ज्यादा असरदार बनाता है अतः स्टेरॉइड्स को मल्टीपल माइलोमा में उपयोग किया जाता है। परंतु स्टेरॉयड्स के कुछ दुष्प्रभाव भी होते हैं जैसे सीने में जलन होना तथा नींद ना आने की समस्या।
- थैलिडोमाइड :- थैलिडोमाइड मायलोमा सेल्स को मारने में मदद करता है। लेकिन इस दवा के दुष्प्रभाव भी होते हैं जैसे कब्ज होना, चक्कर आना। इस दवा के उपयोग करते समय शरीर में खून का थक्का बनने का भी खतरा होता है जिसके फलस्वरूप पैर में दर्द और सूजन हो सकती है। सांस लेने में भी तकलीफ हो सकती है अथवा सीने में दर्द भी हो सकता है।
- स्टेम सेल ट्रांसप्लांट :- मल्टीपल माइलोमा के गंभीर मामलों में स्टेम सेल ट्रांसप्लांट किया जाता है जिससे क्षतिग्रस्त हुए बोनमैरो (अस्थि मज्जा) ऊतक को स्वस्थ स्टेम सेल से बदल दिया जाए, जिससे के बाद नए कोशिकाओं का विकास होने लगता है और बोनमैरो (अस्थि मज्जा)को पुनः ठीक होने में आसानी होती है।
उपयुक्त सभी इलाज बहुत महंगे होते हैं, इन इलाकों के दौरान काफी दर्द का भी सामना करना पड़ता है। डॉक्टर तथा मरीज दोनो को इलाज के दौरान अपनी प्रतिबद्धता दिखानी पड़ती है तभी इलाज सफल हो पाता है।
कुछ अन्य घरेलू उपाय -Some other home remedies-Multiple myeloma in hindi
मल्टीपल मायलोमा(Multiple myeloma in hindi) का इलाज सिर्फ और सिर्फ डॉक्टर ही कर सकते हैं परंतु निम्न कुछ बाते बताई गई हैं जिनका ध्यान अगर आप डॉक्टर की दवा के साथ-साथ रखेंगे तो आपको इस बीमारी से लड़ने में मदद मिलेगी-
- जितना हो सके उतना आराम करे,
- पौष्टिक आहार लें,
- अगर भोजन करने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है अभवा भोजन एक समय में पूरा नहीं खा पा रहे हैं तो भोजन को समयानुसार दो हिस्सों में विभाजित करके तब भोजन करें,
- बीमारी के वक्त भी अगर आपको काम पर जाना है तो अधिकारियों से बात करने तथा अपनी सेहत को ध्यान में रखकर ही काम करे।
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