गर्भावस्था के दौरान बहुत सी समस्याओं का सामना एक महिला को करना पड़ता है उन्ही में से एक है मॉर्निंग सिकनेस। मॉर्निंग सिकनेस(Morning sickness in pregnancy in hindi) की वजह से महिलाओं को सुबह सुबह उठते ही उल्टी जैसा महसूस होने लगता है। आख़िर क्या होता है यह मॉर्निंग सिकनेस? मोर्निंग सिकनेस के क्या कारण होते हैं? क्या लक्षण होते हैं और किस तरह से इससे गर्भावस्था के दौरान निजात पा सकते हैं? आई जानते हैं विस्तार से…
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मॉर्निंग सिकनेस क्या है?(What is morning sickness in pregnancy in hindi?)
बहुत सी महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान नए-नए अनुभव महसूस करने का मौका मिलता है। ऐसे ही कुछ महिलाओं को मार्निंग सिकनेस जैसी गंभीर समस्या से जूझना पड़ता है। मार्निंग सिकनेस गर्भवती महिलाओं को हाइपेरमेसिस ग्रेविडरम की वजह से महसूस होती है। इसलिए कुछ महिलाओं को सुबह के समय उल्टी जैसा, जी मचलाना और पेट में दर्द महसूस होने लगता है। कई बार अधिक समस्या के बढ़ने की वजह से महिलाओं को डॉक्टर के पास जाने की आवश्यकता भी हो जाती है क्योंकि मॉर्निंग सिकनेस की वजह से गर्भ में पल रहे बच्चे को आघात पहुँचने का ख़तरा रहता है।
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मॉर्निंग सिकनेस के क्या कारण हो सकते हैं?(What can cause morning sickness in pregnancy in hindi?)
गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला के शरीर में कई प्रकार के परिवर्तन आते हैं ऐसे में उनके शरीर में एचसीबी का स्तर बढ़ जाता है जिसकी वजह से मॉर्निंग सिकनेस का सामना करना पड़ता है। एचसीबी का संपूर्ण अर्थ ह्यूमन कोरयोनिक गोनाडोट्रोपिन है। यह एक ऐसा हार्मोन है जो गर्भवती महिलाओं के शरीर में असंतुलित व गलत आहार के खान पान की वजह से घटता या बढ़ता है। कई बार शारीरिक गतिविधियों के कम होने की वजह से भी यह हार्मोन शरीर में बहुत जल्दी वृद्धि कर लेता है।
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हैपेर्मेसिस ग्रेविडरम के लक्षण(Symptoms of hypermesis gravidarum)
- उल्टी जैसा महसूस होना
- डिहाइड्रेशन
- वजन घटना
- बेहोशी और सर दर्द
- लो ब्लड प्रेशर
- लगातार पेशाब आना
- धड़कन तेज़ होना
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शिशु पर इसका प्रभाव(Its effect on the infant)
वैसे तो इस समस्या का शिशु पर कुछ ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है। लेकिन यदि लगातार गर्भवती मां को यह समस्या रहती है तो शिशु पर इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव पढ़ते हैं जिसकी वजह से शिशु का वजन घटने लगता है और उसके विकास में कभी आ जाती है।
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मार्निंग सिकनेस को दूर करने के कुछ उपाय(Some ways to overcome morning sickness)
वैसे तो आरंभ की तिमाही के दौरान गर्भवती महिला को मार्निंग सिकनेस जैसे लक्षण महसूस होती ही है। लेकिन यदि यह समस्या और भी बढ़ जाती है या लंबे समय तक बनी रहती है तो इसका इलाज कराना बेहद आवश्यक होता है। आइए जानते हैं कुछ घरेलू उपाय:-
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- बिस्तर से धीरे-धीरे उठे:- गर्भवती महिलाओं को सदैव यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि सुबह उठते समय उन्हें हड़बड़ाहट में नहीं उठना चाहिए बल्कि धीरे-धीरे सहारा लेकर बिस्तर से उठना चाहिए और एक दो मिनट उठ कर बैठ जाना चाहिए। अचानक जल्दबाजी में उठने की वजह से मॉर्निंग सिकनेस का एहसास बहुत ज्यादा होता है और उल्टी जैसा महसूस होने लगता है।
- खाली पेट ना रहे:– अक्सर सुबह के समय गर्भवती महिलाएं जब उठती है तो उनका पेट खाली रहता है ऐसे में जी मचलाना और उल्टी जैसा महसूस होना आम बात है। यदि सुबह के समय उठते टाइम बिस्तर से उतरने से पहले वे एक सूखा टोस्ट या कुछ बिस्किट धीरे-धीरे खाए और उसके बाद बिस्तर से उठे तो उन्हें ऐसा महसूस नहीं होगा।
- थोड़ा थोड़ा कर के खाये:- गर्भवती महिलाओं को सदैव इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उन्हें कभी भी कोई भी भोजन पेट भरकर नहीं करना चाहिए। कुछ स्नैक्स दिन भर अपने पास रखने चाहिए और थोड़ा-थोड़ा करके खाते रहना चाहिए इससे आपको कभी भी बेचैनी और उल्टी जैसा महसूस नहीं होगा।
- प्रोटीन से भरपूर आहार लें:- सदैव यहीं कोशिश करें कि ऐसा आहार जिसमें प्रोटीन और विटामिन बी भरपूर मात्रा में उपलब्ध हो। अधिक भूख लगने पर थोड़ी थोड़ी देर में कुछ ड्राई fruits भी खाते रहे।
- पानी का सेवन करें:- गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला को खूब सारा पानी पीने की सलाह तो दी ही जाती है। यदि मॉर्निंग सिकनेस की वजह से पानी पीने में आपको समस्या महसूस होती है और पेट में भारीपन सा लगता है तो थोड़ी थोड़ी देर में थोड़ा पानी अवश्य पीते रहे। ऐसे समय में पूरे दिन भर में लगभग 8 से 12 गिलास पानी पीना आपके लिए अति आवश्यक है।
- नींबू का इस्तेमाल करे:- ऐसे समय में यदि आपको जी मचलाना और उल्टी जैसा एहसास होता है यदि इसके लिए आप आधे कटे हुए नींबू को काटकर सूंघे या नींबू का पानी पीए है।
- पर्याप्त आराम करें:- गर्भावस्था के दौरान तनाव और थकान की वजह से भी मॉर्निंग सिकनेस का एहसास होता है। ऐसे में गर्भवती महिला को पर्याप्त आराम की आवश्यकता होती है।
गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला को अपना पूरा ध्यान रखना चाहिए और समय-समय पर जो सावधानी बरतनी की आवश्यकता उन सावधानियों को ध्यान से समझना और अपनाना चाहिए ताकि गर्भ में पल रहे शिशु को किसी प्रकार की कोई समस्या न हो।
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