गर्भधारण करने के बाद एक महिला के शरीर में कई प्रकार के परिवर्तन आते हैं और शरीर में परिवर्तनों के साथ आते है उसके मूड में कई प्रकार के बदलाव(Mood swing in pregnancy in hindi)। एक गर्भवती महिला के मूड में कितने प्रकार के बदलाव आते क्यों है इसका क्या कारण है आज हम आपको बताएंगे कि एक गर्भवती महिला में मूड स्विंग क्यों होते हैं उनके क्या कारण होते हैं क्या लक्षण होते हैं और उनके लिए उन्हें क्या उपाय करने चाहिए? आइए जानते हैं क्या होते हैं मूड स्विंग और किस प्रकार उनमें करने होते हैं बदलाव?
प्रेगनेंसी में मूड स्विंग क्या होता है? (What is Mood swing in pregnancy in hindi?)
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में कई प्रकार के स्वभाविक बदलाव आते हैं। ऐसी परिस्थिति में महिलाओं की भावनाओं में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव होता है जिसकी वजह से उनके मूड स्विंग होते रहते हैं। कई बार गर्भवती महिलाएं बेहद खुश हो जाते हैं तो कई बार उनका स्वभाव बेहद चिड़चिड़ा हो जाता है जिसकी वजह से वह कभी भी किसी से लड़ाई झगड़ा करने लगते हैं या फिर छोटी सी बात पर नाराज हो जाती हैं। कभी-कभी महिलाएं अच्छे माहौल के बीच की घबराहट महसूस करने लगती हैं या फिर अपनी होने वाली संतान के स्वास्थ्य को लेकर बेहद चिंतित हो जाती हैं।
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प्रेगनेंसी में मूड स्विंग कब होता है? (When does mood swing occur in pregnancy?)
यदि आमतौर पर बात करें तो विशेषज्ञों का कहना है कि शरीर में विभिन्न प्रकार के हार्मोन गर्भावस्था के दौरान बदलते हैं। ऐसे में गर्भावस्था के पूरे समय के दौरान ही गर्भवती महिला के मूड स्विंग होते रहते हैं परंतु इसकी एक निश्चित समय सीमा भी बताई गई है। जिसके अनुसार पहली तिमाही के दौरान 6 से 10 सप्ताह के बीच एक गर्भवती महिला के बहुत ज्यादा मूड स्विंग होते हैं जिसका अनुभव उन्हें बार बार होता है।
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प्रेगनेंसी में क्यों होता है मूड स्विंग? (Why does mood swing occur in pregnancy?)
गर्भावस्था के दौरान मूड स्विंग होने के बहुत सारे कारण होते हैं जिनमें से कुछ मुख्य कारण नीचे दिए गए हैं:-
- मेटाबॉलिज्म में बदलाव के चलते गर्भवती महिला के मूड में कई प्रकार के उतार-चढ़ाव आते हैं।
- गर्भवती महिला यदि तनाव में रहती है तो भी उसके स्वभाव में बदलाव आते जाते रहते हैं।
- यदि एक गर्भवती महिला स्वयं को लेकर या फिर अपनी संतान को लेकर बहुत ज्यादा चिंतित रहती है तो ऐसे में भी उसके मूड स्विंग्स होना स्वाभाविक है।
- यदि गर्भावस्था के दौरान एक गर्भवती महिला को थकान का अनुभव बहुत ज्यादा होता है तब भी उसके मूड स्विंग होना लाजमी है।
- गर्भवती महिला के शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के बदलाव की वजह से भी मूड स्विंग जैसी समस्याएं उत्पन्न होते हैं।
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गर्भावस्था के दौरान मूड स्विंग के लक्ष्ण(Symptoms of Mood swing in pregnancy in hindi)
गर्भावस्था के दौरान कुछ मूड स्विंग के लक्षण इस प्रकार होते हैं:-
- गर्भावस्था के दौरान महिलाएं अजीब सा व्यवहार करने लगते हैं जैसे उन्होंने पहले कभी ना किया हो।
- वे बहुत जल्दी किसी भी चीज को लेकर प्रतिक्रिया देने लगती हैं।
- छोटी सी बात पर बहुत जल्दी गुस्सा हो जाती हैं और लड़ाई झगड़ा करने लगती हैं।
- यदि किसी बात की जिद पकड़ ले तो अपनी बात मनवाने पर अड़ जाती हैं।
प्रेगनेंसी में मूड स्विंग का इलाज कैसे किया जाए?(How to treat Mood swing in pregnancy in hindi)
गर्भावस्था के दौरान मूड स्विंग के कुछ घरेलू उपाय नीचे बताए गए हैं जिन्हें अपनाकर एक गर्भवती महिला के मूड स्विंग पर कुछ हद तक कंट्रोल पाया जा सकता है:-
- योग के जरिए:– यदि गर्भावस्था के दौरान एक गर्भवती महिला तनाव और थकान बहुत ज्यादा महसूस करती है जिसकी वजह से उसके मूड भी बहुत ज्यादा स्विंग होते हैं ऐसे में वे योग के जरिए भी अपने मूड स्विंग की समस्या को कम कर सकती हैं। विशेषज्ञों की निगरानी में यदि वह कुछ आवश्यक योगासन और विभिन्न मुद्राएं करें तो उनकी सहायता से उसके मूड स्विंग जैसी समस्या पर कंट्रोल पाया जा सकता है।
- मसाज के जरिए:- बॉडी मसाज एक ऐसी थेरेपी है जो मानसिक और शारीरिक तौर पर परेशान व्यक्ति को भी बहुत ज्यादा सुकून पहुंचाती है और उसे बिल्कुल शांत कर देती है। ऐसे में यदि एक गर्भवती महिला अपने मूड स्विंग जैसी समस्या से निजात पाना चाहती है तो एक सही प्रशिक्षित व्यक्ति से वे अपनी शरीर की मसाज ले सकती हैं परंतु ध्यान रखें कि मसाज विशेषज्ञ की देखरेख में और डॉक्टर के परामर्श से ही होनी चाहिए। मूड स्विंग जैसी समस्या को दूर करने के लिए सही तरीके से की गई मसाज बहुत ज्यादा सहायक होती है।
- दवाओं के जरिए:- यदि मूड स्विंग जैसी समस्या किसी गर्भवती महिला के लिए एक गंभीर रूप ले चुकी है तो उसे एक प्रशिक्षित डॉक्टर के पास जाकर सलाह मशवरा करके दवाइयों का सेवन अवश्य करना चाहिए। लेकिन एक प्रशिक्षित डॉक्टर से ही दवाई लिखवा कर उसका सेवन करना चाहिए अन्यथा कोई भी दवाई एक गर्भवती महिला को स्वयं नहीं लेनी चाहिए।
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गर्भावस्था में मूड स्विंग होने से कैसे बचें? (How to avoid mood swings in pregnancy)
यदि एक गर्भवती महिला मूड स्विंग जैसी समस्या से गुजर रही है तो निम्नलिखित उपाय अपनाकर वह इस समस्या से बच सकती हैं:-
- एक भरपूर नींद सभी समस्याओं का इलाज होता है ऐसे में यदि एक गर्भवती महिला भरपूर नींद लेती है तो वह मूड स्विंग जैसी समस्या से भी बच सकती है।
- एक खुशनुमा माहौल हमेशा गर्भवती महिला को चिंता और तनाव से दूर रखती है ऐसे में मूड स्विंग जैसी समस्या उनके पास नहीं आती है।
- गर्भावस्था का समय ऐसा समय होता है जब अपने जीवन साथी का पास रहना बेहद आवश्यक होता है ऐसे में यदि आप अपने जीवनसाथी के साथ अच्छा समय व्यतीत करते हैं तो आपको मूड स्विंग जैसी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा।
- यदि आप शराब धूम्रपान आदि का सेवन करती हैं तो उन चीजों से दूर रहे ताकि आप मूड स्विंग जैसी समस्या से परेशान ना हो।
- यदि आप अपने दिल की बात किसी को नहीं बता पाते हैं तो अपने किसी नजदीकी दोस्त या रिश्तेदार को अपने दिल की बात अवश्य बताएं इससे आपका दिल हल्का और खुश रहेगा जिसकी वजह से आप मूड स्विंग जैसी समस्या के निकट नहीं जा पाएंगे।
- योग और व्यायाम करते रहें ताकि आपका मूड बूस्ट होता रहे और आपको किसी भी समस्या से रूबरू ना होना पड़े। सदैव ध्यान रखें कि व्यायाम और योग एक प्रशिक्षित व्यक्ति के निगरानी में ही करें।
मूड स्विंग एक गर्भवती महिला के लिए बहुत आम समस्या है ऐसे में यदि गर्भवती महिलाएं कुछ घरेलू उपाय और आसान नुस्खे अपनाते हैं तो वे इन सभी चीजों से निजात पा सकते हैं और गर्भवती महिला के आसपास के लोगों को भी कोशिश करनी चाहिए कि वे उन्हें एक खुशनुमा माहौल दे सकें जिस में रहकर वे खुद और अपने शिशु दोनों को स्वस्थ रख सकें। इसके अलावा एक गर्भवती महिला मूड स्विंग जैसी समस्या से निजात पाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण आसन भी कर सकती है जिनमें से मुख्य भद्रासन, कटिचक्रासन, मत्स्य क्रीड़ा आसन, प्राणायाम आदि।
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