मेंटल सेल लिंफोमा(Mantle cell lymphoma) सफेद रक्त कोशिकाओं का कैंसर होता है। सफेद रक्त कोशिकाएं शरीर में संक्रमण से लड़ने में मदद करती हैं। यह गैर हॉजकिन लिंफोमा का ही एक प्रकार होता है जिसमें लगभग 6% गैर हॉजकिन लिंफोमा के मामले होते हैं। लिंफोसाइट्स कैंसर मुख्यतः सफेद रक्त कोशिकाओं पर ही निर्भर करता है।
लिंफोसाइट्स लसीका ग्रंथि में उपस्थित होता है यह ग्रंथि गर्दन में मटर की तरह होती है जो पेट, तथा जाँघ के बीच के भाग, बगल में, तथा शरीर के अन्य अंगों में प्रतिरक्षा प्रणाली ( इम्यून सिस्टम ) का हिस्सा होती है। जब किसी व्यक्ति को मेंटल सेल लिंफोमा होता तो उसके लिंफोसाइट्स जिन्हें बी सेल लिंफोसाइट्स कहा जाता है वह कैंसर कोशिकाओं में परिवर्तित हो जाती हैं इसकी वृद्धि बहुत तेजी से होती है तथा ये अनियंत्रित भी हो जाती है।
मेंटल सेल लिंफोमा कैंसर कोशिकाएं शरीर की लसीका ग्रंथि में ट्यूमर का निर्माण शुरू कर देती हैं। इससे अलावा यह सब व्यक्ति के रक्त में भी प्रवेश कर सकती हैं और अन्य लसीका ग्रंथि को भी प्रभावित कर सकती हैं। लसीका तंत्र के साथ ही साथ यह अस्थि मज्जा ( बोनमैरो ), पाचन तंत्र तथा यकृत को भी प्रभावित करता है। ज्यादातर मामलों में जब तक मेंटल सेल लिंफोमा का पता चलता है तब तक यह पूरे शरीर में फैल जाता है, उन मामलों में इनको ठीक नहीं किया जा सकता लेकिन उपचार की सहायता से आपकी आयु बढ़ जाती है। अभी भी शोधकर्ता नए उपचार की तलाश कर रहे हैं जिसकी सहायता से इसे ठीक किया जा सकता है।
मेंटल सेल लिंफोमा के लक्षण :- Symptoms of mantle cell lymphoma
मेंटल सेल लिंफोमा से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में एक से अधिक लिम्फ नोड्स तथा शरीर के अन्य भागों में कैंसर कोशिकाएं उपस्थित होती है परंतु मेंटल सेल लिंफोमा के अन्य लक्षण निम्न प्रकार से हैं –
- भूख ना लगना,
- वजन घटना,
- बुखार आना,
- रात में पसीना होना,
- मितली आना,
- उल्टी होना,
- दस्त होना,
- आपकी गर्दन में, बगल में अथवा कमर में सूजन या लिंफ नोड्स होना,
- पेट में दर्द होना या सूजन आना,
- थकान लगना,
- एनोरेक्सिया,
- सफेद रक्त कोशिकाओं की गिनती बढ़ना,
- पीठ के निचले भाग में दबाव या दर्द महसूस होना,
- बिना कारण के खुजली होना इत्यादि।
मेंटल सेल लिंफोमा के कारण :-Causes of mantle cell lymphoma
मेंटल सेल लिंफोमा के कारण क्या है अभी तक उनका पता नहीं चला पाया है। मेंटल सेल लिंफोमा की बीमारी को आप सर्दी जुखाम की तरह नहीं पकड़ सकते हैं। महिलाओं की तुलना में पुरुषों में मेंटल सेल लिंफोमा के मामले अधिक देखने को मिलते हैं। मेंटल सेल लिंफोमा का सामान्य कारण सोमेटिक ( Somatic ) डी एन ए कि क्षति को माना जाता है। परंतु निम्न का कुछ कारक है जो मेंटल सेल लिंफोमा की संभावना को बढ़ा सकते हैं वह कारक कुछ इस प्रकार से है –
- बढ़ती उम्र,
- महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में होने का खतरा अधिक,
- ऑटोइम्यून की स्थिति में,
- एच आई वी/एड्स होने पर,
- एच टी एल वी – 1,
- एपस्टीन बार वायरस,
- हेलिकोबैक्टर पाइलोरी संक्रमण इत्यादि।
हर वर्ष दुनिया में प्रति 1000 मामलों में से केवल 10 मामले ही मेंटल सेल लिंफोमा के होते है।
मेंटल सेल लिंफोमा का परीक्षण :- test
मेंटल सेल लिंफोमा के परीक्षण के दौरान डॉक्टर आप से निम्न प्रश्न पूछ सकते हैं
- क्या आपका पिछले कुछ दिनों में वजन घटा है?
- क्या आपको भूख कम लग रही है?
- क्या आपको हर वक्त थकान महसूस होती है?
- क्या आपके बगल में, कमर में, गर्दन में या आपके शरीर के किसी अन्य हिस्से में कोई सूजन हुई है?
उपयुक्त प्रश्न पूछने के बाद डॉक्टर आपका निम्न परीक्षण कर सकते हैं –
- रक्त परीक्षण :- रक्त परीक्षण जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि डॉक्टर आपसे आपके रक्त का कुछ अंश लेते हैं फिर उसका परीक्षण करते हैं और यह पता करते हैं कि रक्त कोशिकाओं की संख्या कितनी है, तथा आपका यकृत तथा गुर्दे ठीक प्रकार से कार्य कर रहे हैं अथवा नहीं, तथा रक्त में उपस्थित कुछ प्रोटीन से यह भी पता लगाते हैं कि आपको मेंटल सेल लिंफोमा है अथवा नहीं।
- बायोप्सी :- बायोप्सी में डॉक्टर लिंफ नोड में उत्तक की कुछ मात्रा को लेकर उसका परीक्षण करेंगे। इस परीक्षण में वह पूरा लिंफ नोड अथवा लिंफ नोड का आधा भाग ले सकते हैं। इस प्रक्रिया में डॉक्टर आपके जिस स्थान से नमूना लेंगे उस स्थान की त्वचा को सुन्न कर देंगे तथा फिर वह एक छोटा चीरा लगाकर नमूना ले लेंगे। नमूना लेने के बाद वे माइक्रोस्कोप की मदद से यह देखेंगे कि उस नमूने में कैंसर की कोशिकाएं उपस्थित है अथवा नहीं। वे कोशिकाओं के परिवर्तन तथा अन्य संकेतों के लिए ऊतक का परीक्षण भी करते हैं जिससे कोशिका लिंफोमा को इंगित कर देती है।
- सी टी स्कैन :- इस परीक्षण में आपके शरीर के अंदर की विस्तृत तस्वीरें देखी जाती हैं। यह एक शक्तिशाली एक्स रे भी होता है।
- पी ई टी स्कैन :- यह परीक्षण कैंसर के लक्षणों को देखने के लिए किया जाता है। इस परीक्षण में रेडियोधर्मी सामग्री का उपयोग किया जाता है।
- कोलोनोस्कोपी :- इस प्रक्रिया में डॉक्टर आपके मलाशय के द्वार से एक पतली सी रोशन दार ( जिससे रोशनी आती है ) ट्यूब डालेंगे। इस प्रक्रिया के दौरान हो सकता है आपको बेहोश भी कर दिया जाए। बड़ी आत को मेंटल सेल लिंफोमा के फैलने के लिए आम जगह मानी जाती है। इस परीक्षण के द्वारा जहां मेंटल सेल लिंफोमा ज्ञात किया जाता है वहीं यह भी ज्ञात किया जा सकता है कि मेंटल सेल लिंफोमा कहां तक तथा कितनी तेजी से फैल रहा है।
मेंटल सेल लिंफोमा का इलाज :- mantle cell lymphoma treatment
मेंटल सेल लिंफोमा की जांच के बाद यदि रिपोर्ट में यह पता चल जाता है कि व्यक्ति को मेंटल सेल लिंफोमा है तो तुरंत ही उसका इलाज शुरू कर दिया जाएगा। जो उपचार मेंटल सेल लिंफोमा में किया जाता है वह निम्न प्रकार से है –
- कीमोथेरेपी :- यह दवाएं कैंसर को खत्म करने के लिए विभिन्न तरीकों से काम करती हैं।
- इम्यूनोथेरेपी :- इस उपचार में जो दवाई उपयुक्त होती हैं वह प्रतिरक्षा प्रणाली ( इम्यून सिस्टम ) को कैंसर कोशिकाओं को पहचानने तथा उन्हें नष्ट करने के लिए प्रेरित करती हैं।
- लक्षित चिकित्सा :- इस उपचार के द्वारा प्रोटीन को अवरुद्ध कर दिया जाता है प्रोटीन की ही सहायता से कैंसर कोशिकाएं जीवित रहती है तथा फैलती है।
- स्टेम सेल ट्रांसप्लांट :- स्टेम सेल अस्थि मज्जा ( बोनमैरो ) में उस्थित होता है जो नई रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है यह दो प्रकार के होते हैं –
- अॉटोलॉगस प्रत्यारोपण
- एलोजेनिक प्रत्यारोपण।
उपचार के दौरान कुछ साइड इफेक्ट्स :- Some side effects during treatment
मेंटल सेल लिंफोमा के उपचार के दौरान कुछ साइड इफेक्ट्स होने की संभावनाएं होती हैं। यह साइड इफेक्ट्स आपके दवाओं के प्रकार पर निर्भर करता है। कुछ साइड इफेक्ट निम्न है –
- बुखार होना या ठंड लगना,
- थकान महसूस होना,
- मतलीली होना और दस्त होना,
- संक्रमण,
- त्वचा की प्रतिक्रिया,
- बालों का झड़ना
- श्वास लेने में कठिनाई होना,
- हाथ तथा पैर में झुनझुनी होना या सुन्न होना या फिर जलन होना।
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