लिंफोमा(Lymphoma in hindi) एक प्रकार का कैंसर होता है। जो कि प्रतिरक्षा प्रणाली ( इम्यून सिस्टम ) में जो कोशिकाएं संक्रमण से लड़ती हैं उनमें शुरू होता है, जिन्हें लिंफोसाइट्स भी कहा जाता है। यह कोशिकाएं लिंफ नोड्स, प्लीहा, थाइमस, अस्थि मज्जा ( बोनमैरो ) तथा शरीर के अन्य भागों में उपस्थित होती है। जब कोई व्यक्ति लिंफोमा से ग्रसित होता है तो लिंफोसाइट्स बदल जाते हैं और अनियंत्रित होकर बढ़ने लगते हैं।
जब किसी व्यक्ति को कैंसर होता है तो शरीर में रेड ब्लड सेल्स और वाइट ब्लड सेल्स में असामान्य वृद्धि होने लगती है। यह कैंसर कोशिकाएं धीरे-धीरे शरीर में फैल जाती है और जो अन्य स्वस्थ कोशिकाएं होती हैं उनके कार्यों में अवरोध उत्पन्न करती हैं।
लिंफोमा के प्रकार :- Types of lymphoma-Lymphoma in hindi
लिंफोमा के मुख्यतः दो प्रकार होते हैं जो कि निम्न है –
- हॉजकिन लिंफोमा :- हॉजकिन लिंफोमा उस स्थिति में होता है जब लिंफोसाइट्स अनियंत्रित हो जाती हैं। लिंफोसाइट्स के भी दो प्रकार होते हैं बी लिंफोसाइट्स ( बी सेल्स ) तथा टी लिम्फोसाइट्स ( टी सेल्स ) लिंफोसाइट्स को प्रतिरक्षा प्रणाली ( इम्यून सिस्टम ) का एक महत्वपूर्ण अंग माना जाता है और यह संक्रमण से लड़ने में भी मदद करता है। वे लसीका तंत्र में शरीर में प्रसारित होती है और लिंफ नोड्स में इकट्ठा हो सकती है। हॉजकिन लिंफोमा बी कोशिकाओं से उत्पन्न होती है। हॉजकिन लिंफोमा रीड – स्टर्नबर्ग नाम की असामान्य कोशिका उपस्थित होती है जिसे सिर्फ माइक्रोस्कोप से ही देखा जा सकता है। हॉजकिन लिंफोमा के मामले हर 1,00,000 पुरुषों में से 5,678 मामले तथा हर 1,00,000 महिला में से 2,938 मामले देखने को मिलते हैं। हॉजकिन लिंफोमा भी दो प्रकार के होते हैं –
- क्लासिकल हॉजकिन लिंफोमा
- नोड्यूलर लिंफोसाइट्स – प्रीडोमिनेंट हॉजकिन लिंफोमा
- गैर हॉजकिन लिंफोमा :- गैर हॉजकिन लिंफोमा में रीड – स्टर्नबर्ग नाम की कोई असामान्य कोशिका नहीं होती है। गैर हॉजकिन लिंफोमा के मामले हर 1,00,000 पुरुषों में से 15,884 तथा हर 1,00,000 महिला में से 7,918 मामले देखने को मिलते हैं। गैर हाजकिन लिंफोमा को पुनः दो श्रेणियों में बांटा गया है –
- हाई ग्रेड गैर हॉजकिन लिंफोमा ( तेजी से वृद्धि करने वाला गैर हाजकिन लिंफोमा ) :- इसके भी अनेक प्रकार हैं जिनमें से सबसे मुख्य है डिफ्यूज लार्ज बी कोशिकाएं ( बी सेल लिंफोमा )। मैंटल सेल लिंफोमा जो कि एक बहुत ही दुर्लभ प्रकार है।
- लो ग्रेड गैर हॉजकिन लिम्फोमा ( धीमी गति से बढ़ने वाला गैर हाजकिन लिंफोमा ) :- इसके भी अनेक प्रकार है जिसमें से फॉलिक्युलर लिंफोमा को मुख्य माना जाता है।
लिंफोमा के चरण :- Stages of lymphoma-Lymphoma in hindi
लिंफोमा के चार चरण होते है –
- पहला चरण :- लिंफोमा के पहले चरण में यह लसीका तंत्र के बाहर शरीर के किसी अन्य एक अंग में शुरू होता है और केवल उसी अंग में उपस्थित रहता है। इसे एक्स्ट्रा नोडल लिंफोमा कहते हैं।
- दूसरा चरण :- लिंफोमा के दूसरे चरण में यह दो लिंफ नोड्स या उससे अधिक के समूह में शरीर के किसी भी जगह उपस्थित हो सकते हैं।
- तीसरा चरण :- लिंफोमा के तीसरे चरण में डायाफ्राम के दोनों तरफ ही लिंफोमा वाले लिंफ नोड्स उपस्थित होते हैं।
- चौथा चरण :- यह लिंफोमा का सबसे उन्नत चरण होता है। इस चरण में लिंफोमा लसिका तंत्र के बाहर कम से कम शरीर के एक अंग में पूरी तरह से फैल जाता है। जैसे फेफड़े, लीवर, अस्थि मज्जा ( बोन मैरो ) या हड्डियों में। प्लीहा और थायमस लसीका तंत्र के ही हिस्से होते हैं अतः उन अंगों में लिंफोमा होने पर उसे चौथे चरण में नहीं गिना जाता है।
लिंफोमा के लक्षण :- Symptoms of lymphoma-Lymphoma in hindi
लिंफोमा से ग्रसित व्यक्ति को सर्वप्रथम लिंफ नोड्स में सूजन हो सकती है। यह त्वचा पर छोटे व मुलायम गांठ की तरह भी लग सकती है। लिंफोमा से ग्रसित व्यक्ति को निम्न स्थानों पर लिंफ नोड्स महसूस हो सकते हैं –
- गर्दन पर
- छाती के ऊपरी भाग पर
- बगल में
- पेट पर
- पेट और जांघ के बीच के भाग पर
लिंफोमा के अन्य लक्षण निम्नलिखित हैं –
- हड्डियों में दर्द,
- खांसी आना,
- सांस का फूलना,
- थकान महसूस करना,
- प्लीज का बढ़ना,
- बुखार होना,
- रात में पसीना आना,
- शराब का सेवन करते समय दर्द का अनुभव करना,
- चकत्ते निकलना,
- त्वचा पर खुजली होना,
- पेट में दर्द होना,
- वजन का तेजी से घटना,
- ठंड लगना,
- यूरिन करने में दिक्कत होना,
- उल्टी में खून आना,
- गले में सूजन आना,
- भोजन करने में दिक्कत होना,
- आवाज सुनने में परेशानी या कान में सनसनाहट का एहसास होना।
लिंफोमा के लक्षणो का प्रारंभिक अवस्था में अनुभव नहीं होते हैं। डॉक्टर के द्वारा परीक्षण व जांच के बाद ही बढ़े हुए लिंफ नोड्स का इलाज हो सकता है।
लिंफोमा के कारण :- causes to lymphoma
लिंफोमा के सटीक कारण तो अभी अज्ञात है, हालांकि कुछ कारक ऐसे हैं, जिनकी वजह से लिंफोमा का खतरा बढ़ जाता है वह कारक निम्नलिखित हैं –
- यदि आप की उम्र 60 वर्ष या इससे अधिक हो।
- महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों को लिंफोमा होने का खतरा अधिक होता है।
- एचआईवी एड्स होने पर भी लिंफोमा का खतरा बढ़ जाता है।
- मांस और ऐसे पदार्थों का सेवन ज्यादा करना जिन में फैट अधिक मात्रा में उपस्थित होता है, उनसे लिंफोमा का खतरा बढ़ सकता है।
- कीटनाशक दवाओं के संपर्क में आने से।
- अगर आपका वजन अधिक है।
- अगर आपका इम्यून सिस्टम किसी कारण से कमजोर हो गया है अथवा आप किसी ऑटोइम्यून बीमारी से ग्रस्त हो गए हैं तब आपको लिंफोमा होने का खतरा अधिक है।
- यदि आपके परिवार में किसी को लिंफोमा हुआ हो।
- यदि आपके पहले भी कभी लिंफोमा हुआ हो।
- अगर आपको कैंसर के इलाज के दौरान कीमोथेरेपी दी गई हो।
लिंफोमा का परीक्षण :- Lymphoma test
लिंफोमा का निदान करने के लिए डॉक्टर आपके शरीर का परीक्षण करेंगे विशेष रूप से उस स्थान का जहां लिंफ नोड्स है। डॉक्टर आपसे आपकी पुरानी मेडिकल हिस्ट्री और लक्षणों पर भी चर्चा करेंगे। लिंफोमा का पता लगाने के लिए डॉक्टर निम्नलिखित जांच कराने के लिए कह सकते हैं –
- टिशू बायोप्सी
- ब्लड टेस्ट
- अस्थि मज्जा ( बोनमैरो ) बायोप्सी
- सिटी स्कैन
- गैलियम स्कैन
- पीईटी स्कैन इत्यादि।
लिंफोमा का इलाज :- Treatment of lymphoma-Lymphoma in hindi
लिंफोमा का उपचार डॉक्टरों के द्वारा लिंफोमा के प्रकार तथा चरण को देखकर किया जाता है। कुछ उपचार निम्न है –
- जैविक थेरेपी :- यह एक प्रकार की नशीली दवाओं का उपचार होता है। इस थेरेपी में सूक्ष्मजीवों को शरीर के अंदर प्रवेश कराया जाता है जो कि प्रतिरक्षा प्रणाली ( इम्यून सिस्टम ) को कैंसर कोशिकाओं पर आक्रमण करने के लिए प्रेरित करते हैं।
- एंटीबॉडी चिकित्सा :- इस प्रक्रिया में कैंसर से लड़ने के लिए सिंथेटिक एंटीबॉडी को रक्त में डाला जाता है।
- कीमोथेरेपी :- इस प्रक्रिया में कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए आक्रामक दवाओं का उपयोग किया जाता है।
- रेडियोईमयूनोथेरेपी :- इस प्रक्रिया में कैंसर वाली बी सेल्स को और टी सेल्स को नष्ट करने के लिए उच्च स्तरीय रेडियो एक्टिव ( रेडियोधर्मी ) खुराक का उपयोग किया जाता है।
- विकिरण चिकित्सा :- इसका प्रयोग कैंसर के छोटे क्षेत्रों पर केंद्रित करने के लिए करते हैं।
- स्टेरॉयड दवा :- लिंफोमा का इलाज करने के लिए स्टेरॉयड को इंजेक्शन के द्वारा शरीर में पहुंचाया जाता है।
- सर्जरी :- अगर लिंफोमा फैल जाता है तो प्लीहा या अन्य अंग जहां पर लिंफोमा फैला है उसे सर्जरी करके हटा दिया जाता है।
जीवन शैली में परिवर्तन और घरेलू नुस्खे :- Lifestyle changes and home remedies-Lymphoma in hindi
लिंफोमा होने के बाद जीवन शैली में थोड़ा सा परिवर्तन करना अनिवार्य हो जाता है जिसके बाद आप के उपचार में यही बदलाव कारगर साबित हो सकता है। निम्नलिखित जो भी बातें बताई गई हैं, इनका पालन हमें रोज करना चाहिए चाहे आपको लिंफोमा हो अथवा ना हो आपको इन बातों को जरूर ध्यान देना होगा क्योकि यह हमारी जीवन शैली के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है –
- व्यायाम करना चाहिए
- आहार में परिवर्तन करें, जो आपके स्वास्थय लिए बेहतर है वही खाए।
- विटामिन डी युक्त भोजन करें तथा सूर्य की किरणों में बैठे हैं क्योंकि सूर्य की किरणों में भी विटामिन डी होता है।
- ग्रीन टी का सेवन करें दिन में एक से दो कप,
- पौष्टिक आहार खाएं
- ज्यादा तेल – मसाले वाले पदार्थों का सेवन बिल्कुल ना करें
- दर्द से राहत के लिए अन्य थेरेपी का उपयोग कर सकते हैं जैसे रिलैक्सेशन, बायोफीडबैक या गाइडेड इमेजरी इत्यादि।
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