Lupus in hindi :लुपस के लक्षण,कारण,इलाज

लुपस क्या होता है (What is Lupus in hindi)

दरअसल लुपस(Lupus in hindi) एक ऐसा रोग है जिसका संबंध शरीर पर हो रही जलन से होता है और इसमे सूजन भी रहती है। यह भी कहा जाता है कि यह लंबे समय तक रहता है। इसके होने का मुख्य कारण यह होता है कि जब हमारे शरीर मे मौजुद प्रतिरक्षा प्रणाली अपने ऊतकों और शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचाती है। इस बीमारी के प्रकोप से हमारे शरीर में मौजूद कई अलग-अलग प्रणालियों पर प्रभाव पड़ता है। इनमें मस्तिष्क, गुर्दे, हृदय, फेफड़े, जोड़ और त्वचा शामिल है।

लुपस(Lupus) का इलाज करना मुश्किल होता है। इसका मुख्य कारण यह है कि इसके लक्षण और संकेत ज्यादातर आम बीमारियों की तरह ही होते है। इस बीमारी को पहचानने का मुख्य लक्षण है चेहरे की दोनो तरफ लाल एवं सफेद रंग के दाद या निशान बनना। कई बार यह तितली के पंख जैसी आकृति में भी दिखाई देते है। परन्तु इसका मतलब ये नही है कि हर लुपस(Lupus) के मामलें में यह लक्षण दिखाई देंगे। 

कई लोगों में यह बीमारी जन्मजात से होती है अभी तक इस बीमारी का कोई इलाज़ नही आया है लेकिन फिर भी कुछ लक्षणों को जानकर इस बीमारी पर नियंत्रण जरूर किया जा सकता है 

लुपस के लक्षण (Symptoms of Lupus in hindi)

इस बीमारी के लक्षण सामान्य रूप से समझ नही आते है और कई बार इसके लक्षण दिखने में सामान्य बीमारी के लक्षण भी हो सकते है। अगर ये बीमारी किन्ही दो व्यक्तियों में है तो उन दोनों में इसके लक्षण एक जैसे नही हो सकते। इस बीमारी के लक्षण कई बार एकदम तेजी से बढ़ते है और कई बार यह धीरे-धीरे बढ़ते है। इस बीमारी के लक्षण और संकेत इस बात पर निर्भर करते है कि इस बीमारी से शरीर के कौन से अंग पर प्रभाव पड़ा है। फिर भी कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार है:-

  • चेहरे पर गालों के दोनों तरफ तितली के पंखों के आकार जैसा दाग बनना, यह दाग चेहरे पर नाक और गले के ऊपरी हिस्से को अपनी चपेट में ले लेता है।
  • शरीर की त्वचा पर किसी ऐसी तरह का घाव बनना जो धूप के सीधे सम्पर्क में आने से और बेकार हो जाये।
  • आँखो का सुखना
  • थकान और बुखार
  • छाती में दर्द महसूस होना
  • जोड़ो में अकड़न और दर्द महसूस करना
  • याददाश्त पर असर
  • सांस लेने में किसी तरह की परेशानी

लुपस होने के कारण (Causes)

जब कभी हमारे शरीर मे मौजूद हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली हमारे ऊतकों पर बुरा प्रभाव डालती है तो ऐसी स्थिति में लुपस विकसित हो जाता है। चिकित्सय ज्ञान के अनुसार यह बीमारी आनुवंशिक भी हो सकती है और वातावरण के संयोजन के कारण भी उत्पन्न हो सकती है। हालांकि इस बीमारी के ज्यादातर मामलों में इसके होने के कारण का पता लगाने में असफलता ही मिली है। फिर भी निम्नलिखित कुछ ऐसे कारण है जो इस बीमारी को विकसित होने में मदद कर सकते है।

  • संक्रमण– संक्रमण लुपस होने का एक कारण होता है। और कुछ व्यक्तियों में संक्रमण की वजह से लुपस विकसित हो जाता है।
  • धूप– इस बीमारी के कई मामलों में यह देखा गया है कि सूर्य की रोशनी के सीधे संपर्क में आने से हमारे शरीर की त्वचा पर घाव या दाद जैसे निशान बन सकते है और यह निशान लुपस बीमारी के हो सकते है। इसके अलावा धूप कुछ ज्यादा संवेदनशील लोगों में इस बीमारी के लिए अंदरूनी प्रतिक्रियाओं को ट्रिगर कर सकती है।
  • दवाओं का असर– कई बार लुपस की बीमारी होने के पीछे कुछ एन्टी-सीजर, एन्टी-बायोटिक और रक्त-चाप की दवायों का भी योगदान होता है। जिस भी व्यक्ति को ऐसी दवाओं के सेवन से यह बीमारी हुई है तो अगर वो इन दवायों का सेवन छोड़ दे तो उनमें लुपस के लक्षण या तो खत्म हो जाते है या फिर कम हो जाते है।

इस बीमारी के अधिकतर मामलों में यह देखा गया है कि महिलाओं में इस बीमारी के विकसित होने के संकेत ज्यादा होते है इसलिए आमतौर पर महिलाओं में यह बीमारी पाई जाती है। वैसे तो यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है लेकिन 15 वर्ष से लेकर 40 वर्षों के लोगो मे इस बीमारी के होने का ज्यादा खतरा होता है।

लुपस के इलाज (Treatment of Lupus in hindi)

लुपस का इलाज कैसे किया जाए यह बीमारी के लक्षण के अनुसार ही बताया जा सकता है और हर रोगी के लिए इलाज अलग-अलग हो सकता है क्योंकि हर रोगी में इसके लक्षण अलग-अलग दिखाई देते है। जब आपका इस बीमारी के लिए इलाज शुरू हो जाये तो यह आपको सुनिश्चित करना होगा कि आपका इलाज बीमारी के लक्षण अनुसार ही हो रहा है ना। कोई भी दवा शुरू करने से पहले डॉक्टर से उसके बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करना आवश्यक होता है कि इस दवा के सेवन से क्या-क्या प्रभाव पड़ सकता है इत्यादि। 

आपकी बीमारी के लक्षण में हो रहे बदलाव को देखकर डॉक्टर को यह ज्ञात हो जाता है कि अब आपकी दवा की खुराक को बढ़ाने की जरूरत है या दवा बदलने की जरूरत। कुछ ऐसी दवा निम्नलिखित है जो इस बीमारी के उपचार में दी जा सकती है।

  • मलेरिया-रोधी दवा- सामान्य तौर पर मलेरिया को ठीक करने वाली दवाएं जैसेकि हाइड्रोक्सिक्लोरोक्वाइन (Hydroxychloroquine) भी लुपस की बीमारी को नियंत्रित करने के लिए दी जाती है। कई बार इस दवा के दुष्प्रभाव से पेट से सम्बंधित परेशानी हो सकती है 
  • कोर्टिकोस्टेरॉयड (Corticosteroids)- कोर्टिकोस्टेरॉयड दवा लुपस की वजह से उत्पन्न हई जलन और सूजन को कम करने में मदद करता है पर अगर इन दवा का लंबे समय तक उपयोग किया जाए तो इसके लंबे समय तक नुकसान हो सकते है जैसेकि हड्डियों का पतला होना, वजन बढ़ना, मधुमेह की बीमारी, उच्च रक्त-चाप की शिकायत। 
  • नोस्टेरॉइयल और एंटी-इनफ्लामेट्री दवाएं (Nonsteroidal anti-inflammatory drugs)- ऐसी दवायों जिन्हें NSAIDs भी कहते है यह ऐसी दवा होती है जो बिना किसी डॉक्टर की पर्ची के मिल जाती है, जैसेकि नेप्रोक्सन सोडियम और आइबूप्रोफेन। इन दवायों का उपयोग इस बीमारी से होने वाले दर्द और सूजन के इलाज के लिए किया जा सकता है। इन दवा के दुष्प्रभाव यह होते है कि यह दवा किडनी की समस्या और हृदय की बीमारियों को बढ़ा सकती है।

कुछ और जानकारिया आपकी दैनिक दिनचर्या के लिए

Ruchi singh chauhan
मेरा नाम रूचि सिंह चौहान है ‌‌‌मुझे लिखना बहुत ज्यादा अच्छा लगता है । मैं लिखने के लिए बहुत पागल हूं ।और लिखती ही रहती हूं । क्योकि मुझे लिखने के अलावा कुछ भी अच्छा नहीं लगता है में बिना किसी बोरियत को महसूस करे लिखते रहती हूँ । मैं 10+ साल से लिखने की फिल्ड मे हूं ।‌‌‌आप मुझसे निम्न ई-मेल पर संपर्क कर सकते हैं। [email protected]
Posts created 449

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Posts

Begin typing your search term above and press enter to search. Press ESC to cancel.

Back To Top