Lung Cancer in Hindi : लंग कैन्सर क्या है? इसके लक्षण,कारण और इलाज

लंग कैन्सर की जानकारी: Information

  • फेफड़े सपंजनुमा, कोन की आकर के स्ट्रक्चर होते हैं और हमारे शरीर में दो होते हैं।
  • यह एक ऐसी संरचना होती हैं, जो कि शरीर में ऑक्सिजन लेते हैं, और कार्बन डायआक्सायड को निकालती है। जो भी इंसान धूम्रपान करता है, उसे यह होने के चैन्सेज़ बढ़ जाते हैं। इनके अलावा, जो और नशीले पदार्थ लेते हैं, जैसे की गुटखा, तम्बाकू इत्यादि। जो व्यक्ति पहले धूम्रपान करते थे, और करना छोड़ देते थे, उनको भी यह बीमारी होने की सम्भावना बनी रहती है।
  • यह एक बीमारी है जो कि मुख्यतः तम्बाकू , जिसमें स्मोकिंग भी शामिल है, उनकी वजह से होता है। यह इसके सामान्य कारणों में से एक होता है। 
  • यह तब फैलता है, जब फेफड़ों में कोई गाँठ या ट्यूमर बन जाए। इसमें सबसे कॉमन लक्षण होता है खाँसी।  ज़्यादातर लोग, खाँसी को TB से भी जोड़ते हैं, पर ऐसा नहीं है। इन दोनो बीमारियों के लक्षण काफ़ी मेल खाते हैं।
  • यह बात बहुत ज़रूरी है की यदि हमें लम्बे समय तक खाँसी हो, तो उस समय छाती की जाँच ज़रूर होनी चाहिए। इस जाँच में छाती की X-रे या CT स्कैन या उस वक़्त के जाँच-परिणाम पर निर्भर फ़ैसले लेने चाहिए। उसे समय अगर ज़रूरत पड़े तो ब्रोंकोस्कोपी, या बलगम की जाँच की जाती है। इन सब चीज़ों यह बात समझ आती है की कैन्सर है या नहीं है।
  • एक बार कैन्सर डीयोगनोस हो जाता है, तो कैन्सर का प्रकार समझना बहुत ज़रूरी है। यह इसलिए ज़रूरी है क्योंकि फ़िलहाल के दिनों में ऐसे कयी घटनाक्रम हुए हैं, जो कि कैन्सर के प्रकार पर निर्भर करते हैं।
  • लंग कैन्सर में पिच्छ्ले सात-आठ सालों में उपचार के नए तरीक़े विकास हुए हैं। जब एक बार कैन्सर डाइअग्नोस हो जाए और हम ट्यूमर का प्रकार समझ जाएँ, तब चिकित्सक प्रॉपर स्टेजिंग करते हैं।

इसमें भी पिछले दस साल में काफ़ी बदलाव आए हैं, जो कि काफ़ी अच्छे होते हैं। वैसे कई तरीक़े हुए हैं,जो कि यह बताते हैं की कैन्सर शरीर के बाक़ी क्षेत्रों में फैला है की नहीं, और हम ये सब जानते हैं। -Lung Cancer in Hindi

पर जो लोकल बदलाव हैं, जो कि नोड्ज़ में फैलता है, उसके लिए कुछ ठेठ इलाज के तरीक़े होते हैं।

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लंग कैन्सर के लक्षण: Symptoms of lung cancer in hindi

  • पहला लक्षण होगा यह, की जब कभी भी आप साँस लेंगे, तो आपको साँस के साथ सीटी जैसी एक आवाज़ सुनायी देगी। अगर ऐसा कुछ भी होगा, तो आप अपने चिकित्सक से ज़रूर सम्पर्क करें। यह आवाज़ सिर्फ़ फेफड़ों का कैन्सर ही नहीं, बल्कि ये कई और फेफड़ों के स्वास्थ्य की दिक्कतें हो सकती हैं।
  • अगर आपकसीने में बलगम जाम रहा है, और यह समस्या दो या तीन हफ़्तों से ज़्यादा समय के लिए है, तो यह एक प्रकार का इन्फ़ेक्शन हो सकता है। इन सब के अलावा कई और गंभीर समस्याएँ, जैसे की थूकते समय बलगम या ख़ून निकलना, भी तगड़े लक्षण हो सकते हैं। इनकी जाँच ज़रूर करवाएँ और चिकित्सक की परामर्श ज़रूर लें।
  • फेफड़ों के कैन्सर का बढ़ने पर, इसका असर रोगी के मस्तिष्क पर भी पढ़ सकता है। जब ऐसा कुछ होता है, तो एक सर दर्द बना रहता है। कई बार, ट्यूमर की वजह से, शरीर में, सर के आसपास के हिस्सों में एक दबाव पड़ता है। यह इसलिए होता है, क्योंकि जो वेंज़, ख़ून को संचारित करते हैं, वो ट्यूमर के कारण ब्लॉक हो जाते हैं।
  • यदि आपको लम्बी साँस लेने में कोई दिक्कत होती है, तो यह समझ जाना चाहिए की ये रूलकावट, इसी बीमारी की वजह से हो रही है। यह रुकावट तब होती है जब आपके सीने में, इस बीमारी के कारण एक तरल पदार्थ जमा होने लगता है। यह पदार्थ अधिकतर मामलों में फेफड़ों के कैन्सर का कारण बनता है।
  • सीने में दर्द के साथ यहाँ पर गम्भीरता से लेने वाली बात एक और है। अगर आपको इसके साथ-साथ पीठ और कंधों में भी दर्द हो रहा है, तो इसकी जाँच ज़रूर करवाएँ। यह लिम्फ़ नोड्ज़ के ट्रान्स्फ़र से होता है। भले ही आप ख़ुद को अच्छा महसूस करें, पर आप अपने चिकित्सक को ज़रूर दिखाएँ।

लंग कैन्सर के कारण: Due / Causes of lung cancer in hindi

  •  अधिकतर मामलों में, फेफड़ों के कैन्सर का कारण होता है धूम्रपान करना। इसमें दोनो प्रकार के लोग शमिले हैं- पहले वो जो ख़ुद धूम्रपान करते हैं, और दूसरे वो जो की सेकंड हैंड स्मोकिंग या पेस्सिव समोईकंग करते हैं।
  • पर डरावनी बात यह है, की फेफड़ों के कैन्सर के मामले उनमें भी निकले हैं, जो कि कभी धूम्रपान नहीं करते हैं। ऐसे मामले, जिसमें बिना धूम्रपान के ही कैन्सर पाया गया है, उसकी वजह आज भी साफ़ नहीं है।
  •  यह बात साफ़ है की धूम्रपान कैन्सर का कारण बनता है। यह बात काफ़ी चिकित्सकों और अध्ययनों की मान्यता है, कि जब कोई व्यक्ति स्मोकिंग या धूम्रपान करता है, तो फेफड़ों को हानि पहुँचाने वाले सेल्ज़ ही उसके कैन्सर की वजह बनते हैं।
  • यह बात हमें अच्छे से समझना है, कि जब हम सिगरेट के धुआँ में साँस लेते हैं, तो कैन्सर को पैदा करने वाले तत्व, जिनको हम कार्सिनोजींज़ कहते हैं, वो ऐक्टिव हो जाते हैं। उससे फेफड़ों के टिश्यूज़ में बदलाव तिरंत ही शुरू हो जाता है।
  • जब यह पहली बार होता है, तो आपका शरीर इससे लड़ने के लिये तैय्यार रहता है। वो लड़ भी लेता है और आप स्वस्थ हो जाते हैं। पर अगर इसे आप बार-बार दोहराएँ, तो फेफड़ों को सही करने वाले सेल्ज़ को क्षति पहुँच सकती है।
  • इसी प्रकार कैन्सर विकसित होता है।

लंग कैन्सर का इलाज: Treatment of lung cancer in hindi

– इसकी ट्रीटमेंट के भी कुछ तरीक़े होते हैं।इसमें चिकित्सक इस बात पर फ़ैसला करते हैं, की पहले सर्जरी करना है, या फिर चेमोठारपी करके सर्जरी करना है, या सर्जरी करके रेडीएशन देना है। यह सारे ऑप्शन होते हैं, जिसमें चिकित्सक विचार करते हैं।

इसमें इस बात का ध्या देना पड़ता है की तीनो टीमें- सर्जिकल, रेडीएशन और मेडिकल को साथ में काम कारण होता है, और निर्णय लेने होते हैं।

  • सर्जरी: जहाँ तक सर्जरी का सवाल है, कॉमन तरीक़ा होता है विडीओ असिस्टेड सर्जरी, जिसमें की एक छोटे से कूट के ज़रिए, कैमरा डाल के सर्जरी की जाती है। विडीओ के अलावा, रोबोटिक सर्जरी भी इस कैन्सर के लिए काफ़ी सार्थक है। रोबोटिक सर्जरी भी काफ़ी अछे रेज़ल्ट्स देती है।

पहले समय में एक लम्बा कूट लगता था और वो हॉस्पिटल में तीन महीने रहता था, अब उसको छोटे-छोटे तीन कट लगते हैं, और वो तीन दिन में घर चला जाता है।

  • रेडीएशन थेरपी: वो रोगी, जिनमे सर्जरी नहीं होती, उनमे रेडीएशन के काम से अच्छे रिज़ल्ट आते हैं। इसमें रेडीएशन की टीम से बात की जाती है.

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Ruchi singh chauhan
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