माँ बन ना हर महिला के जीवन के सबसे खूबसूरत चरणों में से एक है। इतने दर्द से गुज़रने के बाद शिशु को जन्म देना हमेशा ख़ास ही लगता है। इसी कारण, गर्भावस्था और प्रसव के साथ बहुत सारे भय जुड़े हुए हैं। शिशु को ठीक से स्तनपान न करा पाने का डर उनमें से एक है। एक बच्चे की नाज़ुक प्रकृति और एक माँ की अपने शिशु को दूध पिलाने की ज़िम्मेदारी, स्तन के दूध की मात्रा में कमी को एक नाजुक मुद्दा बनाती है। यहाँ हम कुछ ऐसी समस्याओं पर चर्चा करेंगे जिनका स्तनपान कराने वाली माताओं को सामना करना पड़ता है और साथ ही साथ उनके लिए समाधान भी बताएंगे। दूध की कम आपूर्ति का क्या अर्थ है? माँ बनने के शुरूआती दिनों में, माँ के स्तन में दूध की मात्रा में कमी(Low breast milk supply in pregnancy in hindi) होने के कारण स्तनपान संबंधी समस्याएं हो सकती है। माँ के स्तन में दूध की मात्रा में कमी होने की बात तब कही जाती है, जब वह अपने नवजात शिशु की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त दूध का उत्पादन करने में सक्षम नहीं होती है। ज़्यादातर महिलाएं निम्न स्थितियों में समझती हैं कि उनके स्तन में दूध की मात्रा में कमी है: जब निपल्स से दूध का रिसाव नहीं होता। जब स्तन पहले की तुलना में हल्के महसूस होते हैं। जब शिशु को और अधिक दूध की आवश्यकता होती है। शिशु जितनी देर तक नियमित रूप से स्तनपान करता था वह अवधि कम हो रही है। यहाँ हम कुछ ऐसी समस्याओं पर चर्चा करेंगे जिनका स्तनपान कराने वाली माताओं को सामना करना पड़ता है और साथ ही साथ उनके लिए समाधान भी बताएंगे।
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दूध की कम आपूर्ति का क्या अर्थ है?:(What does a mean of Low breast milk supply in pregnancy in hindi?)
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माँ बनने के शुरूआती दिनों में, माँ के स्तन में दूध की मात्रा में कमी(Low breast milk supply in pregnancy in hindi) होने के कारण स्तनपान संबंधी समस्याएं हो सकती है। माँ के स्तन में दूध की मात्रा में कमी होने की बात तब कही जाती है, जब वह अपने नवजात शिशु की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त दूध का उत्पादन करने में सक्षम नहीं होती है। ज़्यादातर महिलाएं निम्न स्थितियों में समझती हैं कि उनके स्तन में दूध की मात्रा में कमी है:
- जब निपल्स से दूध का रिसाव नहीं होता।
- जब स्तन पहले की तुलना में हल्के महसूस होते हैं।
- जब शिशु को और अधिक दूध की आवश्यकता होती है।
- शिशु जितनी देर तक नियमित रूप से स्तनपान करता था वह अवधि कम हो रही है
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माँ के स्तन में दूध की मात्रा में कमी के संकेत:(Signs of Low breast milk supply in pregnancy in hindi mother’s breast)
माँ के स्तन में दूध की मात्रा में कमी(Low breast milk supply in pregnancy in hindi) के लक्षण होते हैं जो शिशु द्वारा तब प्रदर्शित किए जाते हैं जब उन्हें पर्याप्त दूध नहीं मिल पाता है। दुर्भाग्य से, कई माता–पिता अक्सर उसे विकास प्रक्रिया समझकर भ्रमित हो जाते हैं, इन परिवर्तनों में से कुछ हैं:
- बच्चा नियमित रूप से मल विसर्जन नहीं करता है जो दिन में लगभग 5-6 बार होना चाहिए। कम मात्रा में और तरल मल विसर्जन जैसे संकेत हैं जो बताते हैं कि बच्चे को पर्याप्त दूध नहीं मिल रहा है।
- बच्चा नियमित अंतराल पर पेशाब नहीं कर रहा है, एक नवजात शिशु दिन में 8-10 बार अपना डायपर गीला करता है। यदि वह इससे कम बार पेशाब करता है, तो बच्चे को पर्याप्त दूध नहीं मिल रहा है।
- अगर शिशु के मूत्र का रंग गहरा पीला है तो इससे पता चलता है कि बच्चा पर्याप्त रूप से हाइड्रेटेड नहीं हो पाया है और उसे अधिक पानी की आवश्यकता है जिसकी पूर्ती जन्म के 6 महीने तक केवल माँ के दूध से की जा सकती है।
- शिशु के वज़न मे वृद्धि नहीं हो रही है और वह कमज़ोर हो रहा है। पर्याप्त दूध प्राप्त करने वाले शिशु का औसतन वज़न एक सप्ताह में नियमित रूप से 4-6 पाउंड की दर से बढ़ना चाहिए।
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माँ के स्तन में दूध की मात्रा में कमी के कारण क्या हैं?(What are the reasons for the decrease in the amount of milk in the mother’s breast?)
बहुत सारे कारक हैं जो माँ के स्तन में दूध की मात्रा को प्रभावित कर सकते हैं। वह शिशु के स्वास्थ्य, माँ के स्वास्थ्य या किसी और सामान्य मुद्दे से संबंधित हो सकते हैं। इन कारकों या मुद्दों को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है ताकि बच्चे को भविष्य में कोई समस्या न हो।
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- जन्म के दौरान अधिक रक्तस्राव के कारण रक्त की आपूर्ति में कमी होने की वजह से पीयूष ग्रंथि पर्याप्त दूध के लिए आवश्यक हॉर्मोन का उत्पादन नहीं कर पा रही है।
एक प्रमाणित चिकित्सक द्वारा धैर्य और उचित मार्गदर्शन के साथ इन समस्याओं का इलाज किया जा सकता है। जीवनशैली और आहार में बदलाव भी दूध के उत्पादन को प्रभावित कर सकता है। नियमित रूप से शिशु को दूध पिलाने के बीच के अंतराल में स्तन को पंप करने का भी अभ्यास किया जाना चाहिए, ताकि शरीर दूध की मांग में वृद्धि का आदी हो सके।
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शिशु के स्वास्थ्य से जुड़े माँ के दूध में कमी के कारण(cause to deficiency in breast milk associated with baby’s health)
- खाद्य संवेदनशीलता या एलर्जी ।
- कुछ तंत्रिका संबंधी स्थितियों के कारण शिशु को सांस लेने में तकलीफ या चूसने/ निगलने में कुछ समस्या हो सकती है ।
- शिशु डाउन सिंड्रोम से पीड़ित है ।
- समय से पहले पैदा हुए बच्चों ने अभी तक चूसने, निगलने और सांस लेने के लिए सजगता विकसित नहीं की है और उन्हें मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है ।
- मुंह में किसी चिकित्सीय समस्या भी शिशु द्वारा दूध पीने के दौरान मुश्किलें पैदा कर सकती है।
चूंकि बच्चा नवजात है और उसे उचित मात्रा में दूध नहीं मिल रहा है, इसलिए उन्हें प्रमाणित चिकित्सक या सलाहकार से सलाह लेने की कुछ विशेष आवश्यकता हो सकती है।
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अन्य कारण(other reason Low breast milk supply in pregnancy in hindi)
- मोटापा भी शरीर में दूध उत्पादन की प्रक्रिया के धीमा होने का कारण हो सकता है।
- धूम्रपान करने से दूध की पर्याप्त मात्रा बनने में कठिनाई पैदा हो सकती है।
- शिशु के जन्म के समय तनाव।
- रक्त में लौह तत्व मौजूद होता है और रक्त के कम होने से शरीर में इन तत्वों की कमी हो जाती है। शरीर में लौह तत्व के स्तर को भी सीधे दूध के उत्पादन दर से संबंधित माना जाता है।
- जन्म नियंत्रण के लिए उपयोग की जाने वाली हॉर्मोनल दवा, दूध की मात्रा में कमी का कारण बन सकती है।
- कुछ दवाओं का उपयोग करने से भी यह समस्या हो सकती है।
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लक्षण जो बताते हैं कि आपके शिशु को पर्याप्त दूध मिल रहा हैं (Symptoms that indicate that your baby is getting enough milk)
- शिशु दिन में 4-5 बार शौच करता है और वह शौच ज्यादा मात्रा में और पीले रंग का होता है।
- शिशु दिन में कम से कम 8-10 बार पेशाब करता है।
- शिशु को दूध पिलाने के बाद आमतौर पर वह संतुष्ट लगता है, हालांकि हर शिशु में यह लक्षण अलग–अलग होता है।
- दूध पिलाने के बाद स्तन मुलायम और हल्के महसूस होते हैं ।
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स्तनपान के लिए दूध की मात्रा कैसे बढ़ाएं(How to increase the amount of milk for breastfeeding)
- स्तानपन कराने की एक उचित मुद्रा की पहचान की जानी चाहिए ताकि शिशु उपयुक्त तरीके से दूध पी सके ।
- जब लगे कि शिशु द्वारा दूध को चूसने और निगलने में कमी हो रही है, तो माँ को अपने स्तनों को दबा कर दूध निकालना चाहिए, ऐसा करने से स्तनों से दूध पूरी तरह निकल जाएगा। इसके बाद शिशु को दूसरे स्तन पर लगा कर यही प्रक्रिया को दोहराना चाहिए।
- दूध पिलाने के बीच अंतराल में स्तन को दबाकर दूध निकालने की प्रक्रिया की जानी चाहिए ताकि शरीर दूध की बढ़ती मांग के लिए खुद को तैयार कर सके। दबाकर निकाले गए दूध को एक साफ बर्तन में संग्रहित किया जा सकता है, ताकि आवश्यकता पड़ने पर बच्चे को वह दूध पिलाया जा सके।
- शरीर में दूध के उत्पादन को बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें, जैसे पपीता, मेथी, जई।
- एक सोते हुए शिशु को अधिक सक्रिय बनाने की आवश्यकता हो सकती है ताकि वह दूध पीने के लिए ज़्यादा ज़ोर लगाकर प्रयास कर सके, इस प्रकार दूध की मांग में वृद्धि होगी जिसके परिणामस्वरूप स्तन में दूध का उत्पादन बढ़ेगा।
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स्तन में दूध बढ़ाने वाले सबसे उत्तम खाद्य पदार्थ क्या हैं(What are the best breast milk foods)
- मेथी: एक बहुत ही आम शाक है, जिसका उपयोग स्तन के दूध के उत्पादन में वृद्धि करने के लिये भी किया जाता है। यह शरीर में पसीने के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए भी जानी जाती है। चूंकि स्तन पसीने की ग्रंथि का परिवर्तित रूप है, इसलिए मेथी दूध के उत्पादन को बढ़ाने में भी मदद करती है। जिन महिलाओं ने मेथी का सेवन किया है, उन्होंने 1-2 दिनों के भीतर दूध के उत्पादन में वृद्धि की सूचना दी है।
- ओट्स: बाज़ार में कुछ कुकीज़ उपलब्ध हैं जिन्हें दूध की मात्रा बढ़ाने वाली (लैक्टेशन) कुकीज़ कहा जाता है। इन कुकीज़ में आम तौर पर ओट्स होता है जो लंबे समय से दूध उत्पादन में मदद करने वाला खाद्य पदार्थ माना जाता है।
- सौफ़: यह एक गैलेक्टागॉग है और इसीलिए इसे विभिन्न चाय और पूरकों में पाया जाता है जिन्हें दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए उपयोग में लाया जाता है ।
- शराब बनाने वाला खमीर: इस बारे में कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि यह दूध उत्पादन में क्यों मदद करता है लेकिन इसका सेवन करने से स्तनपान में मदद मिलती है।
- पालक: यह शाक लौह तत्व से भरपूर होता है और शरीर में लौह तत्व के स्तर को बढ़ाने में मदद कर सकता है जो शिशु को जन्म देने के दौरान खून की कमी के कारण घट सकता है। कम लौह तत्व के स्तर को आमतौर पर कम दूध उत्पादन दर के साथ जोड़ा गया है।
जैसा कि आपने देखा है, इनमें से कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे हैं जिनका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है जो बताता है कि वे सिर्फ माँ के दूध उत्पादन को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। हालांकि, बहुत से लोग दावा करते हैं कि यह खाद्य पदार्थ काम करते हैं और इस बात को शायद इस कारण माना जा सकता है कि इस बात के खिलाफ कुछ नहीं है।
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