हाइपोथाइरोइडिज्म क्या होता हैं(What is Hyperthyroidism in hindi)
हाइपोथाइरोइडिज्म (Hyperthyroidism in hindi)को कम थाइरोइड की अवस्था भी कहा जाता हैं, जब व्यक्ति के शरीर में मौजूद थाइरोइड ग्रन्थियों में जब थाइरोइड हार्मोन पर्याप्त अवस्था में नहीं बन पाता तो ये बीमारी होती हैं। वैसे तो ये सामान्य बीमारी की श्रेणी में आती हैं। ये बीमारी पुरुषों की तुलना में ज्यादा महिलाओं को होता हैं, ऐसी कई वजह से जिनसे महिलाओं को ये बीमारी हो जाती हैं जिनमे आयोडीन की कमी, प्रतिरक्षा विकार, थाइरोइड रिमूवल, पिट्यूटरी रोग मुख्य होती हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक शरीर में मौजूद थाइरोइड ग्रन्थि को शरीर की दूसरी ग्रन्थि नियंत्रित करती हैं, ऐसे ग्रन्थि को पिट्यूटरी ग्रन्थि कहा जाता हैं। हमारें शरीर के अंदर जो भी हार्मोन्स होते हैं उसे पिट्यूटरी ग्रन्थि रक्त प्रवाह के माध्यम से निकलते हैं, ये हार्मोन्स हमारें शरीर के सभी अंगों पर प्रभाव डालते हैं भले ही वो दिल हो, दिमाग हो, त्वचा हो या मांसपेशियों सब पर कुछ ना कुछ प्रभाव डालते हैं।
हाइपोथाइरोइडिज्म का स्तर (Level of Hyperthyroidism in hindi)
पिट्यूटरी ग्रन्थि का एक और मुख्य काम शरीर मे हार्मोन के उत्पादन को नियंत्रित स्तर पर रखना होता हैं, और वो फिर टीएसएच (TSH) बनाती हैं उसे एक संतुलित मात्रा में बनाना होता हैं। सरल शब्दों में अगर शरीर में TSH का स्तर ज्यादा हो जाता हैं तो आपको हाइपोथाइरोइडिज्म बीमारी हो सकती हैं।
हाइपोथाइरोइडिज्म के चरण (States of Hyperthyroidism)
हाइपोथाइरोइडिज्म मुख्य रूप से चार प्रकार में होता हैं आइये आपको इसके प्रकार के बारें में जानते हैं
- उप-क्लीनिकल हाइपोथाइरोइडिज्म- अगर शरीर में थाइरोइड में TSH का स्तर 3 से 5.5 mlU/L तक पहुंच जाता हैं और T4 का स्तर सामान्य से कम हो तो तब हाइपोथाइरोइडिज्म उप-क्लीनिकल हाइपोथाइरोइडिज्म हो जाता हैं।
- हल्के हाइपोथाइरोइडिज्म- जब TSH का स्तर 5.5 से 10 mlU|L तक बढ़ता हैं और थायरोक्सिन का स्तर जब कम होता हैं तो इस कारण से इस रोग से पीड़ित व्यक्ति का T4 स्तर अपने सामान्य रूप में आ जाता हैं।
- मध्यम हाइपोथाइरोइडिज्म- जब किसी व्यक्ति का TSH स्तर 10 से 20 mlU|L के अंदर हो और साथ-साथ T3 एवं T4 कम हो तब ये स्थिति उत्पन्न होती हैं।
- मैक्सिडेमा कोमा- मैक्सिडेमा कोमा की स्थिति तब उत्पन्न होती हैं जब हाइपोथाइरोइडिज्म का सही समय पर इलाज नहीं किया जाएं, ये स्थिति काफी गंभीर स्थिति मानी जाती हैं।
हाइपोथाइरोइडिज्म के लक्षण (Symptoms of Hyperthyroidism in hindi)
हाइपोथाइरोइडिज्म की बीमारी के लक्षण शरीर में थाइरोइड के हार्मोन की कमी और उससे होने वाले गंभीर प्रभाव पर निर्भर करता हैं। आइये इसके कुछ मुख्य लक्षणों के बारे में जानते हैं
- चेहरे पर सूजन- इस बीमारी का सबसे मुख्य लक्षण व्यक्ति के चेहरे पर सूजन आना होता हैं, व्यक्ति के चेहरे पर सूजन आसानी से दिखाई देने लगती हैं।
- आकस्मिक वजन बढ़ना- इसमें शरीर का वजन अचानक से बढ़ने लगता हैं।
- थकान बनी रहना- इस रोग से पीड़ित व्यक्तियों को लगातार थकान बनी रहने की शिकायत हैं।
- सर्दी महसूस होना- इस से पीड़ित मरीजों को अत्यधिक सर्दी महसूस होती हैं।
इसके अलावा इसके अन्य लक्षण रूखी त्वचा, मांशपेशियों में दर्द और कमजोरी, जोड़ो में दर्द और सूजन, स्मरण शक्ति पर असर, बालों का झड़ना, मासिक धर्म मे अनियमितता, अवसाद इत्यादि।
ये बीमारी बच्चों को भी अपना शिकार बना सकती हैं और इसके लक्षण त्वचा का पीली हो जाना, सांस लेने वाली नली का बार-बार अवरुद्ध होना, चेहरे पर सूजन प्रतीत होना।
हाइपोथाइरोइडिज्म के कारण (causes of Hyperthyroidism)
हमनें आपको पहले भी ये बताया हैं कि ये एक सामान्य बीमारी हैं और एक अनुमान के अनुसार कुल जनसंख्या में से 3% से 5% के लगभग व्यक्ति इससे पीड़ित रहते हैं। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को ये बीमारी ज्यादा होती हैं और उम्र के बढ़ने से इसके होने का जोखिम भी बढ़ जाता हैं। आइये इसके कारणों के बारें में जानते हैं।
- हाशिमोटो थेरोडोटीस- जब शरीर मे थाइरोइड ग्रन्थि का आकार बढ़ जाता हैं तो व्यक्ति को हाशिमोटो थेरोडोटीस होता हैं इसमे थाइरोइड हार्मोन बनना कम होने लगता हैं, इसकी वजह से शरीर में मौजूद प्रतिरक्षा प्रणाली थाइरोइड ऊतकों पर आक्रमण कर देती हैं।
- लिम्फोसाइटिक थेरोडोटीस- इसका संबंध थाइरोइड ग्रन्थि में होने वाली सूजन से होता हैं ये सूजन अगर सफेद रंग के खून की वजह से हो तो उसे लिम्फोसाइटिक थेरोडोटीस भी कहा जाता हैं।
- थाइरोइड खंडन- जिन मरीजों को पहले ग्रेव्स रोग हुआ हैं और उसका उन्होंने उपचार लिया हैं या फिर उपचार कराने के लिए रेडियोधर्मी आयोडीन का इस्तेमाल किया गया था तो उन्हें भी ये बीमारी होने का खतरा रहता हैं।
हाइपोथाइरोइडिज्म से बचाव (Prevantion From Hyperthyroidism in hindi)
इसका इलाज इस बीमारी के मुख्य लक्षणों को देखने के बाद ही किया जा सकता हैं आइए इससे बचाव के तरीकों को जानते हैं
- धूम्रपान से बचें- अगर आप इस बीमारी से बचना चाहते हैं तो अगर आप धूम्रपान करते हैं तो सबसे पहले धूम्रपान करना बंद कर दीजिए।
- संतुलित आहार शैली अपनाएं- संतुलित आहार लेना आपको इस बीमारी से बचा सकता हैं।
- साफ पानी पिएं- फिल्टर पानी ही पीजिए लेकिन अगर ये संभव ना हो तो पानी को उबाल कर ही पीजिए।
- ज्यादा वसा रहित भोजन का सेवन ना करें- अपने भोजन में वसा की मात्रा को कम कीजिए
- सीमित मात्रा में आयोडीन का सेवन करें- हमेशा आयोडीन का सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए क्योंकि आयोडीन का ज्यादा इस्तेमाल शरीर के लिए नुकसानदेह होता हैं।
- प्रतिदिन व्यायाम कीजिए- अपनी जीवन-शैली में व्यायाम को शामिल कीजिये और प्रतिदिन व्यायाम कीजिये।
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