गोइटर क्या होता है? : घेंघा/गलगंड क्या होता है? -What is a goiter?-Goiter in hindi
गोईटर(Goiter in hindi) में गले के मध्य में मौजूद थाइरॉड ग्लैंड में एक सूजन आजाती है। गले में मौजूद ये ग्लैंड या ग्रंथि तितली के आकार की होती है। आमतौर पर इस सूजन का किसी तरह का दर्द नहीं होता, पर इसमें कफ़ और किसी और वस्तु के निकलने में दिक्कत होजाती है।
गोइटर बीमारी का कारण: घेंघा/ गलगंड बीमारी का कारण -Cause of goiter disease:Goiter in hindi
विश्वभर में गोइटर की मुख्य वजह आयोडीन की कमी को माना जाता है। अमेरिका जैसा देश, जहाँ आयोडीन का अच्छा-ख़ासा सेवन किया जाता है, वहाँ भी गोइटर के अधिक मामले मिलते हैं। वहाँ थाइरॉड ग्रंथि का कम या अधिक निर्माण होता है।
आयोडीन की कमी क्या है? जानिए इसके लक्षण,कारण और उपचार
गोइटर का उपचार सदा उसके लक्षण, उसके आकर और उसकी वजहों पर आधारित होता है। जब कभी भी गोइटर छोटा होता है, तो उसे किसी उपचार की ज़रूरत नहीं होती है।
गोइटर की वजह: घेंघा/ गलगंड की वजह -Reason for goiter:Goiter in hindi
हमारा थायरॉइड ग्लैंड अहम रूप से दो प्रकार के हॉर्मोन बनाता है, जिसे टी-4 यानी थायरॉक्सिन और टी-3 यानी ट्रायोडोथायरोनाइन कहते हैं।
यह सारे हॉर्मोन हमारे रक्त में संचालन करते हैं। इससे हमारा मटैबलिज़म बढ़ जाता है और हमारे शरीर को एक अच्छी गति मिलती है। उसी पर आधारित होता है हमारे शरीर की वसा, शरीर का कार्बोहाइड्रेट, उसका तापमान, रक्तचाप और शरीर में प्रोटेंस का इस्तेमाल।
इसके साथ ही हमारा थाइरॉड ग्लैंड कैल्सिटोनिन नाम का एक हॉर्मोन बाहर निकालती है, को की रक्त में कैल्सीयम के हिस्से पर नियंत्रण रखती है।
वैसे डॉक्टर इसकी अहम वजह आयोडीन की कमी बताते हैं, और यही माना भी जाता है, पर इसके कुछ और कारण भी हो सकते हैं। आइए उनमें से कुछ की बात करें:
1.आयोडीन की कमी:
थाइरॉड ग्रंथि के होरमोंस के निर्माण के लिए आयोडीन की बहुत ज़रूरत होती है। आयोडीन ख़ासकर समुद्री पानी, नमक और समुद्र के सारे जीवों में पाया जाता है।
आमतौर पर, जो लोग ऊँचे, पहाड़ी इलाक़ों में रहते हैं, उनमें आयोडीन की कमी देखी गयी है।
2.ग्रेव्स डिसीज:
इस बीमारी में हमारे शरीर की ऐंटीबाडीज़ ग़लती से हमारे थाइरॉड ग्लैंड पर ही हमला कर देती हैं। इसी कारण हमारी ग्रंथि अत्याधिक थायरॉक्सिन बनाने लगती है। जब आपकी ग्रंथि ज़्यादा थाइरॉड बनाने लगती है तो, हाइपर-थाइरॉडइसम की हालत बन जाती है, और आपको गोइटर हो सकता है।
3.हैशीमोटोज डिसीज
हैशीमोटोज की बीमारी एक ऑटोइम्यून डिसॉर्डर या विकार है, जो थायरॉइड ग्लैंड को खराब कर देता है।
इसके कारण ग्रंथि बहुत कम होर्मोन पैदा कर पाती है। जब थायरॉइड ग्रंथि, कम सतर्क हो जाती है, यानी जरूरत से कम हार्मोन पैदा करती हों, तब भी गोइटर हो सकता है।
4.मल्टीनॉड्यूलर गोइटर
इस बीमारी में मरीज़ के थाइरॉड ग्रंथि के दोनो ओर गाँठें बन जाती हैं। इन गाँठों में ठोस या द्रव्य पदार्थ भरे हुए होते हैं। उनके कारण, थाइरॉड ग्लैंड बाढ़ जाता है।
5.गर्भावस्था में आयोडीन की कमी
कई बार गर्भावस्था के दौरान भी औरतों का शरीर एक प्रकार का हार्मोन छोड़ता है, जिसके कारण थायरॉइड ग्रंथि कुछ हद तक बढ़ जाती है।
गोइटर से बचने के उपाय: घेंघा/ गलगंड से बचने के उपाय-Ways to avoid goiter :Goiter in hindi
घेंघा से बचने के लिए आप कैसी लाइफस्टाइल जी रहे हैं, वह भी एक अहम कारण बन सकता है। आपको अपनी लाइफस्टाइल में कुछ परिवर्तन करने की जरूरत हो सकती है। इससे आप इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।
कुछ टिप्स जो आप अपना सकते है:
- अपनी डायट मे आयोडीन युक्त फूड आयटम्स को शामिल करें।
- धूम्रपान से दूर रहें।
- साफ-सफाई बनाए रखें, उससे इन्फ़ेक्शन से बच सकते हैं।
- इसके अलावा गोइटर से बचाव के लिए जरूरी है कि ऐसी दवाएं जिनमें लिथियम और एमियोडैरोन की मात्रा शामिल हो उनसे बचने की जरूरत होती है।
गोइटर होने का ख़तरा इन सब को होता है: घेंघा/ गलगंड होने का ख़तरा इन सब को होता है -All of them are at risk of being a goiter
- गोइटर किसी भी इंसान को हो सकता है। जहाँ एक तरफ़ ये जन्मजात हो सकता है, वहीं दूसरी ओर यह भविष्य में होने का विकल्प लेकर चलता है।
इसका ख़तरा नीचे दिए वजहों से बाढ़ जाता है:
1- डाइट में आयोडीन की कमी:
पहाड़ी इलाक़ों में रहने वाले लोगों को या तो आयोडीन की सप्लाई काम मिलती है, या वहाँ आयोडीन के उत्पाद नहीं मिल पाते हैं। वहाँ के लोगों को ख़तरा ज़्यादा होता है।
2- महिलाएं:
औरतों को गोइटर का खतरा अधिक रहता है, क्योंकि उन्हें थाइरॉड होने की सम्भावना सदा अधिक होती है।
3- उम्र:
40 से ज्यादा की उम्र में गोइटर का खतरा अधिक होता है।
4- मेडिकल हिस्ट्री:
यदि आपके परिवार में किसी इंसान को कोई भी ऑटो-इम्यून बीमारी हुई है, तो आपको गोइटर हो सकता है।
5- प्रेग्नेंसी औ मासिक-धर्म का बंद होना:
औरतों में प्रेग्नेंसी और मासिक धर्म खत्म होने के बाद भी इसकी संभावना अधिक हो जाती है।
आवश्यक बिन्दु:
- गर्भावस्था में थाइरॉड का एक निरीक्षण होता है। उससे यह जाँच होती है की पैदा होने वाले शिशु में आइयडायन कि कमी तो नहीं है।
- गोइटर की दिक्कत का मुख्य कारण वैसे आयोडीन की कमी को माना जाता है, पर इसके कई और कारण भी हो सकते हैं। थाइरॉड ग्लैंड या ग्रंथि इसमें अहम भूमिका निभाती है। ऐसे में आपको ऊपर दिए गए लक्षणों में से कुछ भी दिखे, तो आप चिकित्सक से ज़रूर बात करें।