मां बनना एक औरत के जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण पल होता है। इस खबर को सुनते ही मां एवं पिता की खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं होता। कहा जाता है कि, प्रेगनेंसी के दौरान केवल औरत का ही दूसरा जन्म नहीं होता, बल्कि पुरुष का भी दूसरा जन्म होता है। यह अवस्था एक औरत एवं पुरुष का जीवन ही बदल देती है। प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं में बहुत से मुख्य बदलाव देखे जाते हैं और यह पहले महीने(First month pregnancy in hindi) से ही शुरू हो जाते हैं। यह बदलाव कुछ नॉर्मल एवं नेचुरल होते हैं, परंतु कुछ बदलाव ऐसे होते हैं जिनके लिए महिलाओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। परंतु मां बनने की खुशी के आगे यह परेशानियां भी उनके आगे कुछ नहीं होती।
ऐसा माना जाता है कि गर्भावस्था के पहले महीने( (First month pregnancy in hindi) ) से ही जरूरी तैयारियां शुरू कर दी जाए तो गर्भावस्था के बाकी के महीने बिना परेशानियों के आसानी से कट जाते हैं।
अक्सर ऐसा होता है वह महिलाएं जो पहली बार मां बनने की खुशी का सामना कर रही होती हैं अक्सर उन्हें गर्भावस्था की पूरी जानकारी नहीं होती, जिस कारण वह इस अवस्था में आई परेशानियों का सामना नहीं कर पाती।
- मासिक धर्म का रुक जाना प्रेगनेंसी का सबसे मुख्य लक्षण होता है। गर्भावस्था की स्थिति होने पर कुछ महिलाओं में शुरुआती दिनों से ही प्रोजेस्टेरोन हार्मोन बनना शुरू हो जाता है, एवं इस हार्मोन के कारण मासिक धर्म बंद हो जाते हैं।
- निषेचन की प्रक्रिया के दौरान जब अंडा गर्भाशय में उत्पन्न होता है तब महिलाओं को हल्का सा रक्त स्त्राव हो सकता है एवं शरीर में ऐंठन जैसी अवस्था होने लगती है यह लक्षण अक्सर गर्भावस्था के 1 हफ्ते के बाद ही महसूस हो जाते हैं।
- मूड स्विंग यानी कि मनोदशा में बदलाव पहले महीने में काफी अत्यधिक देखा जाता है यह महिला के लिए शुरुआती दौर होता है, जिसके कारण हार्मोन चेंजिंग से उनका मूड चेंज बहुत ही सामान्य अवस्था होती है। गर्भावस्था के दौरान महिला की मनोदशा लगातार बदलती रहती है, जैसे कि बेवजह रोना या फिर किसी भी छोटी से छोटी बातों पर चिड़चिड़ा हो जाना।
- स्तन कड़े होना भी पहले महीने का मुख्य बदलाव है। पहले महीने में स्तन कड़े होने के साथ-साथ स्तनों में हल्का दर्द भी महसूस होने लगता है, एवं कई महिलाओं को सूजन जैसी समस्या भी हो जाती है।
- निप्पल में बदलाव आना अथार्थ होर्मोन के कारण मेलानोसाइट्स जो कि एक प्रकार की कोशिका होती है, प्रभावित होने लगती है, जिसके कारण कुछ ऐसे तत्व पैदा होते हैं जिससे निप्पल का रंग अपने आप ही गहरा होने लग जाता है।
- बहुत ही अत्यधिक थकान होना भी पहले महीने का एक लक्षण होता है, यानी कि महिला बिना कुछ किए अभी इतना थक जाती है कि नींद आने में भी समस्या पैदा हो जाती है।
- अत्यधिक यूरिन आना भी पहले महीने का एक बड़ा बदलाव होता है जिसके अंतर्गत शरीर में प्रोजेस्टेरोन की मात्रा बढ़ जाने के कारण बार-बार मूत्र जाने की समस्या भी बढ़ जाती है।
- मॉर्निंग सिकनेस यानि की सुबह-सुबह उठने के बाद उल्टी जैसा महसूस होना जी मिचलाना आदि जैसी समस्या होने लगती है।
- खाने के पसंद एवं बदलाव होना भी एक अत्यधिक महत्वपूर्ण बदलाव होता है। ऐसी बहुत सी चीजें होती है, जिसे महिला या तो बहुत ही ज्यादा खाना पसंद करती है, या फिर कुछ चीजों को बिल्कुल ही खाना छोड़ देती है ठीक है गर्भावस्था के दौरान अक्सर देखा जाता है। गर्भावस्था के दौरान महिला को अक्सर ज्यादा भूख भी लगती है जो कि स्वाभाविक है।
- सीने में जलन शिकायत भी गर्भावस्था के दौरान हो जाती है, जो कि बहुत ही सामान्य होता है, इसलिए ऐसा होने पर चिंतित नहीं होना चाहिए एवं तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
- सूंघने की समस्या में भी वृद्धि हो जाती है। यानी कि गर्भधारण करने वाली महिला बदलते हार्मोन के कारण सूंघने की क्षमता बढ़ जाती है।
- गर्भावस्था में कब्ज जैसी समस्या होना भी स्वाभाविक होता है।
- गर्भावस्था के दौरान भूख भी बहुत अत्यधिक बढ़ जाती है बार-बार खाना खाने पर भी जल्दी जल्दी भूख लग जाती है।
- गर्भ के निचले हिस्से में दर्द होना यानी गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय पर दबाव पड़ता है जिस कारण निचले हिस्से मैं दर्द महसूस होने लगता है।
- पीठ के दर्द की समस्या होना भी बहुत ही नेचुरल होता है। यह बहुत ही सामान्य लक्षण होता है, जिसके चलते महिला को घबराना नहीं चाहिए।
अगर हम बात करें फिटनेस की तो प्रेगनेंसी के दौरान हमें फिट रहने के लिए व्यायाम करना बहुत जरूरी है। तो अब हम आपको बताते हैं कि पहले मैंने हमें किस तरह के व्यायाम करने चाहिए?(If we talk about fitness, then during pregnancy we need to exercise to stay fit. So now we tell you what kind of exercises I should do first.)
- पहला व्यायाम है तैराकी व्यायाम जोकि प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए काफी आसान तथा असरदार व्यायाम माना जाता है।
- दूसरा व्यायाम है एरोबिक व्यायाम इस व्यायाम के करने से ह्रदय स्वस्थ रहता है जिसको करने से काफी रिलीफ महसूस होता है। एवं इस व्यायाम से नॉर्मल डिलीवरी के चांस ज्यादा बढ़ जाते हैं।
- तीसरे नंबर पर हम बात करेंगे पिलेट्स एक्सरसाइज जिसको करने से पीठ को काफी मजबूती मिलती है। गर्भवती महिला को पहले महीने से ही अपने डॉक्टर की सलाह लेकर अपने शरीर को स्वस्थ रखने तथा व्यायाम करने के लिए परामर्श करना चाहिए।
- योगासन करना भी गर्भावस्था में बहुत ही महत्वपूर्ण होता है इसके लिए किसी योग गुरु से मुख्य योगासन जान लेने के बाद ही यह योगासन करने चाहिए।
अब हम बात करेंगे कि पहले महीने हमें क्या-क्या करना चाहिए? तथा किन बातों का ध्यान रखना चाहिए(Now we will talk about what should we do in the First month pregnancy in hindi ? And what should be kept in mind)-
- सबसे पहले हमें प्रेगनेंसी का पता लगते ही अच्छे डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए ताकि डिलीवरी तक उस डॉक्टर के टच में रहे तथा डिलीवरी से रिलेटेड डॉक्टर द्वारा हमें मिलती रहे।
- रोजाना एक्सरसाइज करें। यदि आपका डॉक्टर एक्सरसाइज के लिए हां करता है तो भी यह करें अन्यथा यह भारी नुकसानदायक हो सकता है।
- प्रेगनेंसी में हमें फाइबर युक्त भोजन खाना चाहिए जिससे कब्ज की प्रॉब्लम नहीं होती है।
- पूरे दिन में कम से कम 10 से 12 गिलास पानी पीना चाहिए।
- अपने डॉक्टर की सलाह के अनुसार विटामिन अनुपूरक भोजन का सेवन करें।
- डॉक्टर की सलाह के अनुसार पूरे दिन का हेल्दी फूड डाइट चार्ट बनवाना चाहिए।
- एक और मेन बात जो कि हमें प्रेगनेंसी के दौरान ध्यान रखनी चाहिए वह है कि हमेशा अच्छा सोचें और खुश रहें और ऐसे लोगों के साथ अपना दिन बताएं जो कि खुशमिजाज के हो। तथा आपको खुश रख सके। नकारात्मक सोच वाले लोगों से बिल्कुल दूर रहें क्योंकि इसका सीधा असर गर्भ में सीधे बच्चे पर पड़ता है।
- पहले महीने में हमें ज्यादा से ज्यादा आराम करना चाहिए तथा सोना चाहिए।
आइए अब बात करते हैं पहले महीने क्या क्या ना करें तथा किन किन बीमारियों से बचें एवं किन बातों का खास ध्यान रखें(Now let’s talk about what not to do in the First month pregnancy in hindi and which diseases should be avoided and what should be kept in mind)-
- जैसे कि हम सब जानते हैं कि गर्भावस्था का पहला महीना काफी नजदीक महीना होता है तो इस महीने हमें सबसे मेन बाद जोकि है यात्रा इससे बिल्कुल बचना चाहिए कहने का मकसद यह है कि गर्भधारण होने के बाद यानी प्रेगनेंसी के दौरान पहला महीना जब हमें चल रहा होता है तो उसमें हमें लंबी यात्रा पर बिल्कुल नहीं जाना चाहिए चाहे वह यात्रा कितनी ही जरूरी क्यों ना हो इससे गर्भपात का सीधा सीधा खतरा रहता है तो दोस्तों प्रेगनेंसी में पहले महीने में इस बात का खास ध्यान रखें।
- दूसरी बात है किसी भी दवा का सेवन प्रेगनेंसी के दौरान हमें अपने डॉक्टर की सलाह के बिना किसी भी दवा का सेवन नहीं करना चाहिए। यह मां और शिशु दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है।
- किसी भी पार्टी शादी वगैरा में जाने पर हील वाले सैंडल नहीं पहनने चाहिए जिससे कि पैर मुड़ने या गिरने का खतरा बना रहता है।
- काम करते समय यह ध्यान रखें कि ज्यादा ना झुके। तथा भारी समान बिल्कुल ना उठाएं इसका सीधा असर शिशु पर पड़ता है।
- गर्भावस्था के पहले महीने में गर्भवती महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा पोषक तत्वों की जरूरत होती है तो इस महीने यानी कि गर्भावस्था में डाइटिंग बिल्कुल ना करें।
- आपको बता दें शुरुआती महीनों या नहीं पहले महीने से ही कच्चे महासचिव और पानी के सेवन से भी परहेज करें क्योंकि इनमें मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया आपके शिशु की सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
- कहीं महिलाएं शराब तथा सिगरेट का सेवन करती हैं तो आपको बता दें गर्भावस्था यानी प्रेगनेंसी में शराब और सिगरेट के सेवन से बिल्कुल दूर रहे यही नहीं बल्कि सिगरेट पीने वालों से भी दूर रहे शराब गर्भनाल के माध्यम से बच्चे के खून में प्रवेश करके उसके शारीरिक और मानसिक विकास में कई तरह की बाधाएं पैदा कर सकती है इसीलिए शराब तथा सिगरेट से बचे।
- अब बात करते हैं तनाव की। तनाव भी आप के गर्भ में पल रहे शिशु के लिए किसी बड़े खतरे से कम नहीं है कई महिलाएं अपनी रोजमर्रा जिंदगी घर के कलेश आदि से काफी तनावपूर्ण रहते हैं जिसका बच्चे की सेहत पर बुरा असर पड़ता है आपको बता दें इसके चलते कई बार गर्भपात भी हो जाता है। इसलिए कहा जाता है कि जितना हो सके प्रेगनेंसी में खुश रहने की कोशिश करें।
- प्रेगनेंसी के दौरान ध्यान रखें कि ज्यादा तला भुना और मसालेदार खाना तथा बासी खाने से दूर रहें। और जितना हो सके बाहर के खाने को अवॉइड करें क्योंकि बाहर के खाने से इंफेक्शन का खतरा बना रहता है।
- गर्भवती महिलाओं को ध्यान रखना चाहिए कि प्रेगनेंसी के दौरान ज्यादा डांस सीढ़ियां आदि ऐसे कार्य बिल्कुल ना करें।
मुख्य बात(First month pregnancy in hindi main thing):
गर्भावस्था के पहले महीने(Pregnancy First month) के दौरान संभोग यानी सेक्स करना सुरक्षित नहीं है इसके बाद भी अगर आप सेक्स के इच्छुक हैं तो सबसे पहले अपने डॉक्टर से सलाह कर ले।
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