गर्भावस्था का पांचवा महीना क्या है (What is the fifth month pregnancy in hindi)?
पहले हमने जानकारी दी थी गर्भावस्था के पहले महीने , दूसरे महीने ,तीसरे महीने के बारे में और चौथे महीने के बारे में अब अगर हम बात करें, गर्भावस्था का पांचवा महीना(fifth month pregnancy in hindi)जोकि लगभग गर्भावस्था के मध्य की अवस्था होती है। गर्भावस्था के चरण बढ़ने के साथ-साथ महिला में शारीरिक परिवर्तन तो होते ही है साथ ही साथ उनकी एक्साइटमेंट भी दोगुनी हो जाती है। गर्भावस्था के पांचवे महीने के दौरान त्वचा में चमक के साथ-साथ पेट भी बढ़ने लगता है क्योंकि भूर्ण का विकास तेजी से होता है। इस समय में गर्भवती महिला की एक्साइटमेंट का कारण होता है कि वह बच्चे की गतिविधियों को महसूस कर सकती है। परंतु इसमें कुछ मामले ऐसे होते हैं जिसमें केवल बच्चों का हिलना डुलना ही महसूस किया जाता है। जब कोई महिला पहली बार मां पर नहीं होती है तो यह है फीलिंग उसके लिए एक अलग ही प्रकार की होती है गर्भावस्था के दौरान एक महिला अलग ही अनुभव प्राप्त करती है।
गर्भावस्था के लक्षण(Symptoms of fifth month pregnancy in hindi)
अक्सर पांचवे महीने(fifth month pregnancy in hindi)) के लक्षण अलग-अलग महिलाओं में भिन्न-भिन्न प्रकार के देखे जाते हैं। इस समय तक महिलाओं के लक्षण बहुत कम हो जाते हैं।
- गर्भावस्था के पांचवे महीने के दौरान गर्भवती महिला बच्चे के हलचल एवं गतिविधियों को भलीभांति महसूस कर सकती है परंतु यदि कोई महिला पहली बार मां बन रही है तो उसके लिए यह समझ पाना थोड़ा कठिन हो सकता है क्योंकि बच्चे का एहसास केवल हल्की सी फड़फड़ा हत्या गैस के बुलबुले की तरह होता है परंतु यही अगर हम अनुभवी माओं की बात करें तो उनके लिए यह लक्षण और गतिविधियों को जानना आसान होता है क्योंकि वह पहले से ही इन गतिविधियों को समझती है।
- धीरे-धीरे जैसे जैसे बच्चे का वजन बढ़ता जाता है वैसे-वैसे बच्चे को शरीर में उतनी ही आवश्यक जगह चाहिए होती है जिसके कारण महिला के आंतरिक हिस्सों में दबाव पड़ना शुरू हो जाता है जिससे सामग्री भोजन नली में वापस चली जाती है और महिला को जलन महसूस होने लगती है।
- पांचवे महीने के बाद धीरे-धीरे स्तनों का आकार बढ़ने लगता है और इसी के साथ-साथ पीले रंग का दुग्ध भी आने लगता है जिसे मां का पहला दूध या पूर्व दुग्ध भी कहा जाता है।
- यह तो हम सभी जानते हैं कि गर्भावस्था में हार्मोन का बहुत सा उतार-चढ़ाव बना रहता है जिसके कारण मेलनिन में वृद्धि हो जाती है। और महिलाओं की त्वचा में कालापन उत्पन्न हो जाता है।
- इस समय से महिला को अलग-अलग प्रकार के खाना खाने की इच्छा उत्पन्न होती है। साथ ही साथ भूख भी अत्यधिक बढ़ जाती है।
बच्चे का विकास(Child development)
पांचवे महीने के दौरान शिशु में भी बहुत से बड़े और रोचक बदलाव होते हैं। और बच्चे का विकास बड़ी तेजी से होने लगता है। एक समय में बच्चे की लंबाई 8 से 12 इंच की हो जाती है तथा वजन लगभग 1 पाउंड तक बढ़ जाता है।
हर महिला में शिशु का विकास अलग-अलग प्रकार से होता है जिसमें बच्चों के विकास के परिवर्तन निम्नलिखित हैं।
- शिशु का शरीर मां के गर्भ में वरनिक्स से ढका होता है जो कि एक मोटे और चिपचिपा प्रकार का होता है। यह है बच्चे के चारों ओर फैला होते हैं और बच्चे को सुरक्षित रखता है।
- इस समय में बच्चे की सभी अंग साफ साफ स्पष्ट होने लगते हैं जैसे कि उसकी बाजू, पंजा, उंगलियां, पैर सभी दिखने लगते हैं। ऑल बच्चे की मांसपेशियां और हड्डियां भी मजबूत हो जाती है।
- पांचवे महीने में बच्चे की भौहें पलके कान नाखून सब बन गए होते हैं।
- इस समय महिला को सबसे ज्यादा प्रसन्नता होती है क्योंकि इस समय में बच्चे का मुंह स्पष्ट होने लगता है।
- किस समय बच्चा अपनी चुलबुली हरकतें गर्भ में शुरू कर देता है जैसे कि वह चारों ओर घूम सकता है आंखें खोल सकता है अंगड़ाई ले सकता है अंगूठा चुस सकता है इत्यादि।
- बच्चे एक समय में सोना जागना सभी करने लगते हैं यह मां के सोने और जागने के समय से अलग समय हो सकता है।
- पांचवे महीने के दौरान गर्भावस्था में शिशु के गुप्तांग भी विकसित होने लगते हैं।
- इस पड़ाव पर शिशु सभी बातें सुन सकता है वह बारिशों से परेशान हो सकता है और जब मां अपनी शिशु से बात करती है तो वह किसी भी बात पर अपनी प्रतिक्रिया भी दे सकता है।
- इस समय में शिशु का मस्तिष्क मजबूत हो जाता है और विकसित होने लगता है।
- इस समय में शिशु सभी प्रकार के स्वाद ले सकता है उसे नमकीन एवं खट्टे का एहसास होता है।
गर्भवती महिला के पांचवा महीने में होने वाले शारीरिक बदलाव(Pregnant woman physical changes in fifth month)
- इस समय इसमें कुछ महिलाओं को झाइयां विकसित हो जाती है एवं त्वचा पर भूरे रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं।
- इस समय में हार्मोनल बड़ी तेजी से परिवर्तित होते हैं जिसके कारण महिला की दृष्टि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है
- इस समय से महिला के निप्पल करेंगे राउत आता है और ग्रंथियां भी बढ़ जाती हैं।
- पेट में नीचे की ओर खिंचाव रहने लगता है एवं खिंचाव से 1 स्ट्रेच मार्क होने लगता है।
- इस समय नाभि से लेकर नीचे की ओर एक काली गहरी रंग की लकीर दिखने लगती है।
- पांचवे महीने के दौरान त्वचा पर प्रमुख नशे साफ-साफ दिखाई देने लगती हैं।
इस समय इन चीज़ों से करे बचाव (Avoid these things at time of fifth month pregnancy in hindi )
- गर्भावस्था के दौरान गर्मी में स्तनों के आसपास और बगल में रहस्य से समस्या हो जाती है जिसके लिए स्नान करना बेहद ही फायदेमंद होता है।
- जैसे जैसे पेट बढ़ने लगता है वैसे वैसे दवाब अधिक बढ़ जाता है। जिसके कारण गर्भवती महिला का दाई और करवट लेकर सोना लाभकारी होता है।
- इस समय धीरे-धीरे पेट बढ़ने लगता है जिसके चलते गर्भवती महिला को केवल ढीले वस्त्र ही धारण करने चाहिए।
- इस समय महिला को कब्ज की शिकायत रहती है जिसके लिए फाइबर से युक्त पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
- ज्यादा लंबे समय तक खड़े नहीं रहना चाहिए थोड़ी थोड़ी देर में आराम करना चाहिए और यदि आप जॉब करते हैं तो ज्यादा लंबे समय तक बैठे नहीं रहना चाहिए थोड़े समय में घूमते रहना चाहिए।
- गर्भावस्था के दौरान तभी व्यायाम करना चाहिए जब आप पहले से ही व्यायाम करने के आदि हो, क्योंकि गर्भावस्था में कुछ भी नई प्रतिक्रिया करने से बच्चे पर असर पड़ सकता है।
पांचवा महीने के दौरान परहेज(Avoiding during the fifth month)
- किसी भी प्रकार के शराब तंबाकू
- आदि का सेवन करना बच्चे के लिए हानिकारक हो सकता है मुख्यतः इन कारकों से बचे।
- यदि कोई महिला पहले से ही बच्चे की मां है तो अपने बच्चे को गोद में ना उठाएं इससे बेबी बंप पर दवा पड़ता है और बच्चे पर असर डालता है।
पांचवा महीने की डाइट (Fifth month diet)
- इस समय महिला को ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ का सेवन करना चाहिए।
- बच्चे के विकास में प्रोटीन एक मुख्य भूमिका निभाता है जिसके लिए मां को प्रोटीन का सेवन भरपूर मात्रा में करना चाहिए।
- अपने खाने में सलाद का सेवन अवश्य करना चाहिए जिसमें कि गाजर चुकंदर टमाटर एवं खीरा शामिल होना चाहिए।
- ज्यादा से ज्यादा फाइबर वाले फल खाने चाहिए।
- मौसम के अनुसार एवं हरी सब्जियों का ज्यादातर सेवन करना चाहिए और साथ ही साथ साबुत अनाज जैसे कि गेहूं, ओट्स, चावल का सेवन करना चाहिए।
- इस अवस्था में कोल्ड ड्रिंक का सेवन करने से बचें।
- अनानास, पपीता, अनार आदि का सेवन ना करें।
- गर्भावस्था में कैफीन युक्त पदार्थ जैसे कि कॉफी, चाय, चॉकलेट का सेवन ना करें।
- जंक फूड का सेवन बिलकुल नहीं करना चाहिए।
कच्चे अंडे एवं कच्चे मांस में सालमोनेला उपस्थित होता है यह भोजन में विश्व के बराबर होता है अर्थात इसका सेवन अच्छी तरह पकाकर ही करना चाहिए।
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