जब शरीर का ताप सामान्य ताप से अधिक होने लगता है या अधिक हो जाए तो इस स्थिति को ज्वर अथवा बुखार कहते हैं। यह एक प्रकार का लक्षण है जिससे यह पता चलता है इस शरीर के ताप को नियंत्रण में करने वाली प्रणाली में शरीर का सेट पॉइंट या सामान्य ताप में वृद्धि करके उसे 1 से 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ा दिया है। वैसे तो मनुष्य के शरीर का सामान्य तापमान 36°C होता है तथा फारेनहाइट मे यह 97.3°F होता है, जब शरीर के ताप में वृद्धि होती है तो इसे बुखार की स्थिति कहते हैं। यह किसी प्रकार के संक्रमण रोग से हो सकता है जब बुखार(Fever in hindi) ज्यादा बढ़ने लगे तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए और इस संबंध में डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
नॉर्मल बुखार में ताप 36°C से 37.4°C तक हो सकता है तथा फेरन हाइट में यह 97.3°F से 100°F तक हो सकता है तथा इसमें सिर में दर्द होना, शरीर में दर्द होना, ठंड लगना, भूख कम लगना, थकान लगना प्रमुख लक्षण माने जाते हैं। साधारण बुखार के उपचार बहुत ही सरल होते हैं, जैसे- रोगी को पर्याप्त विश्राम करना चाहिए, रोगी को साफ एवं मुलायम दार कपड़ों को पहनना चाहिए, द्रव पदार्थ का सेवन अधिक करना चाहिए, स्वच्छ एवं हवादार कमरे में रहना चाहिए। यदि बुखार 39.5°C या 103.0°F है अगर यह बुखार 2 दिन या 2 दिन से ज्यादा तक बना हुआ है तो फिर इस बारे में डॉक्टर से अवश्य सलाह लेनी चाहिए।
बुखार के कारण (Causes of Fever in hindi):-
बुखार उस स्थिति में होता है जब आपका मस्तिष्क का एक हिस्सा जिसे हाइपोथैलेमस (जिसे सरल भाषा में थर्मोस्टेट भी कहते हैं, अर्थात जो आपके शरीर के ताप को नियंत्रित रखता है) कहते हैं सामान्य ताप से शरीर का ताप तब ऊपर जाता है, जब आपको अत्यधिक ठंड महसूस होती है जिसके कारण आप ज्यादा गर्म कपड़े व कंबल का प्रयोग उस ठंड से बचने के लिए करते हैं, तब शरीर में गर्मी उत्पन्न होती है, जिसके परिणाम स्वरूप शरीर का तापमान बढ़ने लगता है।
शरीर का तापमान स्थिर नहीं होता है यह समय समय पर घटता बढ़ता रहता है, जैसे सुबह का तापमान कुछ और, दोपहर का कुछ और तथा शाम के समय यह तापमान कुछ और हो सकता है। हालांकि ज्यादातर लोग 98.6°F यह 37°C को सामान्य तापमान मानते हैं अगर आपके शरीर का तापमान 97°F से 99°F या 36.1°C से 37.2°C के बीच है या यह तापमान बहुत हल्का ऊपर नीचे होता है, तो यह तापमान सामान्य माना जाता है। तापमान कुछ प्रमुख कारणों की वजह से भी बढ़ते हैं जो कि निम्न है-
- वायरस संक्रमण के कारण,
- जीवाणु संक्रमण के कारण,
- गर्मी से ज्यादा थकान के कारण,
- सूजन के कारण,
- घातक ट्यूमर के कारण,
- कुछ दवाएं जिन्हें हाई ब्लड प्रेशर के लिए इस्तेमाल किया जाता है उनके कारण,
- टीकाकरण के कारण,
बुखार के लक्षण (Symptoms of Fever in hindi):-
बुखार के कुछ प्रमुख लक्षण निम्न है-
- जब शरीर का तापमान 100.4°F या 38°C से अधिक हो,
- ठंड ज्यादा लगना,
- शरीर में दर्द या जोड़ों में दर्द होना,
- अत्यधिक पसीना आना,
- दिल का तेजी से कार्य करना,
- घबराहट महसूस करना,
- सिर में दर्द होना,
- आंख से पानी आना,
- भूख ना लगना,
- थकान ज्यादा लगना,
- नाक का बहना,
- गले में खराश या खांसी आना,
- नींद ना लगना,
- सुस्ती लगना आदि।
बुखार के इलाज (Treatment of Fever in hindi ):-
बुखार के कुछ प्राथमिक इलाज निम्न माने जाते हैं-
- बुखार की जांच कराएं,
- डॉक्टर से दवा के बारे में संपर्क करें,
- ठंडे पानी की पट्टियां माथे पर रखें,
- तुलसी और गिलोय की पत्तियों के काढ़े का सेवन करें,
- साफ-सुथरे एवं मुलायम दार वस्त्रों को पहने,
- हवादार कमरे में रहे,
- द्रव पदार्थों का सेवन अधिक करें,
- पर्याप्त मात्रा में विश्राम करें आदि।
बुखार से कैसे बचे (How to Avoid Fever in hindi ):-
बुखार ज्यादातर स्थितियों में संक्रमण के द्वारा फैलता है। इस रोग के जोखिम को कम करके तथा इसे रोकने के लिए यह उपाय किए जा सकते हैं जो कि बिना बताए गए हैं-
- अपने हाथों को हमेशा साफ रखें। आप जब भी कहीं बाहर आते हैं तब, शौचालय के उपरांत, ज्यादा भीड़ वाली जगह से आने के बाद, किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद, खाना खाने से पहले तथा जानवरों को छूने के बाद अपने हाथों को साबुन से अवश्य धोयें।
- हाँथ धुलने की आदत अपने बच्चों को भी दिलाएं।
- अगर हाथ साफ रखने के लिए साबुन उपलब्ध नहीं है तो अपने पास हमेशा एक हैंड सैनिटाइजर (Hand Sanitizer) जरूर रखें तथा उससे अपने हाथ साफ करें।
- अगर हाथ गंदे हैं तो आंख, नाक तथा मुंह छूने से बचें क्योंकि इन सब जगह से संक्रमण अत्यधिक तेजी से फैलता है।
- अगर आपको खांसी या छींक आती है तो रुमाल का प्रयोग करना चाहिए अगर रुमाल नहीं है तो हाथ से मुंह को ढक कर खाँसना तथा छींकना चाहिए, अगर आप ऐसा करते हैं तो अन्य व्यक्ति से हाथ मिलाने से बचें ताकि यह संक्रमण किसी अन्य व्यक्ति को ना हो तथा यह अपने बच्चों को भी सिखाए।
- अपने परिवार के किसी भी सदस्य के साथ खाने पीने की कोई भी चीज साझा ना करें अगर आप संक्रमित हैं तो, क्योंकि इससे आपके परिवार में भी संक्रमण कर लेगा जिससे परिवार के अन्य सदस्य भी बुखार का शिकार हो सकते हैं।
बुखार के प्रकार (Types of Fever):-
1- वायरल बुखार
5- दिमागी बुखार
7- कमजोरी के कारण होने वाला बुखार
आजकल सभी नार्मल बुखार को वायरल बुखार कहते हैं, कुछ लोग इसे वायरल भी कहते है। वायरल बुखार अक्सर मौसम बदलने पर लोगो को होता है, यह वायरस के कारण होता है, क्योंकि ये वायरस मौसम बदलने पर ज्यादा तेजी से फैलता है, यह एक प्रकार का संक्रमक रोग होता है, जिसमें अगर वायरल बुखार परिवार के किसी एक सदस्य को है अगर उसकी अच्छे से देखभाल व बचाव न किया जाये तो ये वायरल बुखार परिवार में भी फैल सकता है। वायरल फीवर एक नार्मल बुखार होता है, यह बुखार कभी-कभी अपने आप भी ठीक हो जाता है।
लक्षण :- वायरल बुखार के लक्षण बहुत सामान्य होते हैं जो की निम्न हैं-
- आँखे लाल होना,
- आँखों में जलन होना,
- आँखो से पानी गिरना,
- खाँसी आना या गले में खरास होना,
- बदन में दर्द होना,
- दस्त होना,
- कब्ज की शिकायत होना,
- थकान ज्यादा लगना जिसके कारण सुस्ती लगना,
- तेज बुखार होना,
- सर्दी होना,
- सिर में दर्द होना
- मति भ्रम होना (बच्चों को मतिभ्रम में जो कार्य असम्भ हो, वो होते हुये दिखाई देना जैसे- गुड़िया का कमरे उड़ना, कीड़ों का शरीर पर चलना इत्यादि)।
2- डेंगू का बुखार(Dengue fever) :-
इस बुखार से हम सभी बहुत भली भाँति परिचित हैं, इसे एक और नाम से भी जाना जाता है ‘हड्डी तोड़ बुखार’ , इसे इस नाम से इसलिये जाना जाता है क्योंकि इससे पीड़ित लोगों के शरीर में इस प्रकार का दर्द होता है मानो उनकी हड्डी टूट गयी हो।डेंगू बुखार भी एक प्रकार का संक्रमक रोग होता है, जिसका कारण डेंगू वायरस होता है। डेंगू बुखार का इलाज समय पर होना नितांत आवश्यक है। डेंगू वायरस केवल मच्छरों के द्वारा ही फैलता है।
लक्षण :- डेंगू में बुखार 2 से 7 दिन तक चलता है इसके कुछ लक्षण निम्न है-
- अचानक से तेज बुखार होना,
- मांस पेशी एवं जोड़ों में दर्द होना,
- भूख का ना लगना अथवा खाना खाने पर स्वाद का अनुभव ना होना,
- सिर में आगे की तरफ अर्थात माथे में तेज दर्द होना,
- आंख के पीछे दर्द होना तथा आंख को हिलाने पर दर्द होना,
- चक्कर आना,
- जी घबराना,
- उल्टी आना
- शरीर पर खून के चकत्ते पड़ना,
- सफेद रक्त कणिकाओं का कम होना इत्यादि।
3- चिकनगुनिया का बुखार(Chikungunya fever) :-
चिकनगुनिया का बुखार कैसा बुखार होता है जिसमें जोड़ों में भारी दर्द का अनुभव होता है। या रोग लंबे समय तक भी चल सकता है। इस बुखार में जोड़ों का दर्द कई हफ्तों अथवा महीनों के लिए बना रह सकता है। इस बुखार का उग्र चरण जिसको इसका सबसे बुरा चरण माना जाता है यह सिर्फ 2 या 4 दिन तक ही रहता है।
लक्षण :- साधारण इस रोग को पूरे शरीर में फैलने में 2 से 4 दिन का वक्त लगता है इसके कुछ अन्य लक्षण निम्न है
- 102 डिग्री फारेनहाइट अथवा 39 डिग्री सेंटीग्रेड तक बुखार होना,
- हाथ पैर में चकत्ते पड़ना,
- शरीर में जोड़ों में असहनीय पीड़ा होना,
- सिर में दर्द होना,
- रोशनी अथवा प्रकाश से भय लगना,
- आंखों में दर्द होना,
- नींद ना आना,
- कमजोरी लगना,
आमतौर पर यह बुखार ज्यादा दिन नहीं रहता परंतु इस समय जोड़ों में होने वाला दर्द आगे के जीवन काल में भी बना रह सकता है, यह रोगी की उम्र पर निर्भर करता है।
4- टायफाइड का बुखार(Typhoid fever) :-
टाइफाइड के बुखार को ‘मियादी बुखार’ के नाम से भी जाना जाता है। यह भी एक प्रकार का संक्रमण रोग है, जिसके कारण या तेजी से फैलता है। यह बुखार बच्चों को ही नहीं बल्कि बड़ों को भी अपनी चपेट में ले सकता है। यह संक्रमित रोग गंदे पानी से नहाने तथा गंदे पानी से बने भोजन को खाने से तथा गंदा पानी पीने से भी फैलता है। यह एक सेलमोनेला टायफाई नाम के बैक्टीरिया के द्वारा फैलता है अगर घर में किसी भी आदमी को टाइफाइड है तो घर के और भी सदस्यों को यह संक्रामक रोग होने का खतरा बढ़ जाता है।
लक्षण :-
- बुखार काफी तेज होना (103°F या 104°F),
- इसमें बुखार की अवधि 1 से 2 हफ्ते होती है,
- पेट में दर्द होना,
- भूख का ना लगना,
- सिर तथा शरीर के अन्य भागों में दर्द का अनुभव होना,
- सुस्ती लगना,
- दस्त की शिकायत होना,
- कब्ज की शिकायत होना,
टाइफाइड होने पर डॉक्टर से इस बारे में सलाह लेनी चाहिए।
5- दिमागी बुखार(brain fever) :-
हम सभी ने मौसम के परिवर्तन के समय तथा बरसात के समय लोगों को बुखार होते हुए देखा है तथा सुना भी है। दिमागी बुखार(Fever in hindi) के मरीजों की संख्या में हर साल बढ़ोतरी होती रहती है। दिमागी बुखार तब होता है जब बुखार व्यक्ति के मस्तिष्क अथवा दिमाग पर हावी हो जाता है इसमें व्यक्ति बहकी-बहकी बातें करने लगता है तथा उसे कभी-कभी भ्रम की स्थिति भी पैदा हो जाती है। अगर दिमागी बुखार के लक्षण दिखाई दे तो मरीज को डॉक्टरों को जरूर दिखाना चाहिए।
लक्षण :-
- सिर में दर्द होना,
- गर्दन में अकड़न होना,
- उल्टी होना,
- चमकदार रोशनी के प्रति संवेदनशील होना,
- भ्रम की स्थिति पैदा होना,
- दौरे पड़ना,
- छोटे चकत्ते जो छोटे तथा लाल रंग के धब्बे की तरह दिखाई पड़ते हैं शरीर पर उभर आना,
- सुस्ती लगना इत्यादि।
6- मलेरिया का बुखार(Malarial Fever in hindi) :-
मलेरिया भी एक प्रकार का संक्रमण रोग है जो कि प्रोटोजोआ नाम के एक परजीवी द्वारा फैलता है। यह बुखार ज्यादातर उन क्षेत्रों में होता है जिनमें गर्मी अर्थात उष्णता ज्यादा होती है इस रोग से प्रत्येक वर्ष 40 करोड़ लोग प्रभावित होते हैं तथा उनमें से 2.5 से 3% लोगों की मृत्यु भी हो जाती है। जिसमें अफ्रीका के लोगों की मरने की संख्या सबसे ज्यादा होती है।
लक्षण :- मलेरिया के लक्षण निम्न प्रकार है, अगर यह लक्षण दिखाई देते हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
- कपकपी लगना,
- बुखार आना,
- जोड़ों में दर्द होना,
- उल्टी होना,
- रक्त का विनाश होना,
- मूत्र से हीमोग्लोबिन का ह्रास होना,
- दौरे आना इत्यादि।
मलेरिया के आम लक्षण में कपकपी लगना तथा ठंड लगने के तुरंत बाद ही बुखार का आना एक प्रमुख लक्षण माना जाता है तथा यह बुखार 3 से 4 घंटे बाद अपने आप उतर जाता है तथा बुखार उतरने के पश्चात पसीना भी आता है।
7- कमजोरी के कारण होने वाला बुखार(Weakness fever):-
कमजोरी व थकान के कारण भी कभी-कभी बुखार की स्थिति पैदा होती है, ऐसा तभी होता है जब व्यक्ति बहुत कमजोर हो गया हो। कमजोरी के बहुत कारण हो सकते हैं जैसे किसी कार्य को लंबे समय तक करना जिसके माध्यम किसी भी प्रकार का ब्रेक ना लेना और पौष्टिक भोजन ना करना इत्यादि तथा जब व्यक्ति लंबे समय तक बिना किसी मध्यांतर अथवा ब्रेक के कार्य कर रहा होता है तो उसे थकान भी महसूस होती है, जिससे बुखार की स्थिति पैदा होती है।
लक्षण :- अगर आपको कमजोरी है तो उसके कुछ लक्षण निम्न है-
- कमजोरी के कारण प्रभावित अंग को किसी भी कार्य को करने में देरी होना,
- कमजोरी के कारण प्रभावित अंग में कपकपी या झटके अथवा झुनझुनी महसूस होना,
- नजर कमजोर होना,
- बेहोशी आना,
- उलझन होना,
- बोलने व खाने में कठिनाई होना,
- शरीर में बुखार जैसे लक्षण दिखाई पड़ना,
- दिल का अनियमितता से धड़कना।