Estrogen Hormone in hindi :एस्ट्रोजन हॉर्मोन की जानकारी इसके कारण, लक्षण और उपचार

एस्ट्रजेन की जानकारी:

  • एस्ट्रजेन हॉर्मोन को हम लोग सेक्स हॉर्मोन के नाम से भी जानते हैं। यह हॉर्मोन पुरुष और महिलाओं दोनो में पाया जाता है, पर इस हॉर्मोन का इस्तेमाल  महिलाओं में ज़्यादा होता है। यदि देखा जाए तो पुरुषों की तुलना में महिलाओं के शरीर को इस हॉर्मोन की ज़रूरत ज़्यादा होती है। पुरुषों में भी होता है एस्ट्रजेन, पर वह बहुत काम मात्रा में होता है।
  • एस्ट्रजेन मुख्यतः अंडशय द्वारा बनाया जाता है। जब वो महिला गर्भावस्था ग्रहण कर चुकी होती है, तो एस्ट्रजेन की थोड़ी सी मात्रा प्लसेंटा या नाल द्वारा भी बनाया जाता है। उसके साथ थोड़ा सा एस्ट्रजेन बनता है अड्रीनल ग्रंथियों द्वारा, थोड़ा सा स्तनों द्वारा और थोड़ा सा वसा की कोशिकाओं द्वारा भी।
  • एक बार अंडसशय में एस्ट्रजेन बन जाए, फिर यह पूरे शरीर में फैलती केन रक्त की नालियाँ।यह महिलाओं में उनके फ़ेमिनिन सेक्शूअल चरित्र या चरकटेस को और अच्छे से निखारने के लिए काफ़ी ज़रूरी भूमिका निभाती है।
  • एस्ट्रजेन एक महिला के शरीर में वसा वितरण पैटर्न पर भी काम करती है, जिसमें शामिल होता है अधिक फ़ैट जमा होना स्तनों पर और कूलों पर।
  • एस्ट्रजेन एक महिला के सेकंडेरी सेक्शूअल लक्षण को उभरती है। वह निम्न होते हैं:
  1. उनकी आवाज़ का पतला होना।
  2. उनका फ़िग्यर या शरीर का फ़िज़ीक उभारना।
  3. उनके ब्रेस्ट का साइज़ एन्लार्ज होना।
  4. योनि की त्वचा का मोटा हो जाना।
  5. मासिक धर्म की शुरुआत होना।
  6. अन्य मटैबलिज़म की प्रक्रिया शुरू होना।
  • एस्ट्रजेन हॉर्मोन महिलाओं के शारीरिक विकास में एक अहम भूमिका निभाता है। वैसे हर महिला में एस्ट्रजेन की मात्रा अलग होती है। आज इस लेख में हम अच्छे से जानेंगे इन बातों को। हम विस्तार से बात करेंगे एस्ट्रजेन हॉर्मोन की कमी और अधिकता के इलाज का, क्या असर पढ़ता है, एक महिला के शरीर पर।
  • यह एक ह्यपोथालमस द्वारा नियंत्रित एक हॉर्मोन है।
  • एस्ट्रजेन हॉर्मोन महिलाओं के सेक्स की ग्रोथ यानी की यौन विकास में ज़रूरी होता है। इसी कारण इसे ‘फ़ैमिली सेक्स हॉर्मोन’ भी कहा जाता है। यह हॉर्मोन महिला के शरीर के विकास में मुख्य भूमिका निभाता है। एस्टरोगे हॉर्मोन का एक और नाम होता है- ‘फ़ैमिली डिवेलप्मेंट हॉर्मोन’। एस्ट्रजेन के कारण महिलाओं में होने वाले परिवर्तन होते हैं।

काफ़ी अध्ययन यह भी कहता हैं की एस्ट्रोजन ना सिर्फ़ यौन के विकास में लाभदायक होता है, बल्कि इसका असर शरीर के सभी अंगों में भी होता है| यह हार्मोन प्रेग्नन्सी के दौरान बहुत सी ज़रूरी भूमिका निभाता है।

एस्ट्रजेन के कारण:

जब भी शरीर का भार या वज़न बढ़ जाता है यो वो एक इशारा होता है कि एस्ट्रजेन  बहुत अधिक हो गया है। एस्ट्रजेन के बढ़ने के प्रमुख कारण यह होते हैं:

  • वज़न में कमी होना।
  • हाई BP यानी की उच्च रक्तचाप होना।
  • मधुमेह होना।
  • गर्भावस्था आजाना।

एस्ट्रजेन के फ़ायदे (Benefits of Estrogen Hormone in Hindi):

जब शरीर के होरमोनेस सही संतुलन में बनते हैं, तो शरीर सही तरीक़े से काम करता है। महिलाओं के लिए हम एस्ट्रजेन के स्तर को सही रख-कर हम इस बात को पक्का करते हैं की उनका शरीर सही तरह से काम करता है। एस्ट्रजेन माहवारी चक्र को नियमित करने में नहत बड़ी भूमिका अदा करता है।

  • एस्ट्रजेन हॉर्मोन की वजह से ही  महिलाओं के मासिक धर्म को नियंत्रित किया जाता है। यदि महिला के अंडे निशेचित नहीं होते हैं, तो अपने आप ही शरीर से एस्ट्रजेन की कमी हो जाती है।
  • फूलना या सेक्स की कामना ना होना, एस्ट्रजेन के स्तर का बहुत बढ़ जाना दर्शाता है। यह तब होता है जब ज़्यादा रहता है और काफ़ी समय तक ज़्यादा ही बना रहता है।
  • प्रेग्नन्सी या गर्भावस्था के समय सर्विकल एस्ट्रोजन ज़रूरी तरह से स्टेरॉयड हार्मोन का स्त्राव शुरू करता है। एस्ट्रोजन स्तनपान की प्रक्रिया शुरू करने और स्तनों के अन्य प्रकार के बदलाव के लिए भी ज़रूरी होता है।
  • यह माध्यमिक सेक्शूअल चरचतेरस जैसे की शरीर का फ्यसीक, स्तनों का उभारना, आवाज़ को पतला करना और जनन अंग में बालों का आना।
  • वैज्ञानिको और चिकित्सकों का कहना है, कि  जिस महिला में एस्ट्रोजन का स्तर ऊंचा होता है, वो उम्र में छोटी दिखती है। क्योकि एस्ट्रोजन कोलेजन के स्तर को बढ़ाता है, जिससे आपकी त्वचा मोटी दिखती है। इस कारण आपकी त्वचा पर झुर्रिया कम दिखती है। इससे महिलाओ की उम्र कम दिखती है और साथ ही महिलाए सुन्दर भी दिखती है।
  • एस्ट्रजेन कोशिकाओं में कोलेस्ट्रोल लेकर वितरण करती है। ये दो प्रकार के होते हैं, या तो कम या अधिक कोलेस्ट्रोल वाली कोशिकाएँ।
  • एस्ट्रजेन हड्डियों को वक़्त के साथ गलने से रोकती है । इसका मतलब यह भी होता है कि जैसे-जैसे कोई महिला उम्र में बड़ी होने लगती है, उसकी हड्डियाँ काम मज़बूत होने लगती है।

एस्ट्रोजन के और भी फ़ायदे होते हैं, जो नीचे दिए गए हैं:

  • संक्रमण और सूजन से बचाव करना।
  • एस्ट्रोजन का सेक्स ड्राइव को बढ़ाने में  काम करना।
  • तनाव में कमी लाने का काम करना।
  • स्तन कैन्सर जैसे ख़तरनाक बीमारियों से बचाना।
  • बालों और त्वचा में चमक लाना|
  • हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करना।

एस्ट्रजेन के कम होने के कारण: (Low Estrogen Hormone Levels Causes in Hindi):

यदि एस्ट्रजेन काम हो, तो निम्नलिखित समस्याएँ आसक्ति हैं:

  • अत्याधिक मासिक धर्म होना– आपके होरमोनेस और मासिक धर्म  एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। यदि आपका मासिक धर्म बढ़ रहा है तो आपको यह समझ जाना चाहिए की आपके एस्ट्रजेन की मात्रा बहुत बढ़ गयी है। आपको उस स्थिति में एक स्त्री-विशेषज्ञ के पास जाना चाहिए।
  • सेक्स इच्छा में कमी– यदि आप अपने साथी के साथ अंतरंगता नहीं चाहते तो इसका मतलब यह है कि आपका एस्ट्रजेन की कमी है। उस पर ध्यान दें। पर इस बात पर भी ध्यान दें कि एस्ट्रजेन कि बहुत कमी ना हो, वह भी सेक्स-जीवन के लिए बहुत अच्छा नहीं है।
  • ब्रेस्ट में सूजन: जब आपका हॉर्मोन लेवल बदलता है तो आपके ब्रेस्ट ज़्यादा सामवेदनशील हो जाते हैं।तो जब आपके बरात छूने से ही हानि पहुँचे, तो समझ जाइए की आपका एस्ट्रजेन लेवल बाधा हुआ है।
  • मूड: एस्ट्रजेन आपके मानसिक स्वस्थ पर भी असर दल सकता है। एस्ट्रजेन बढ़ने से घबराहट और चिंता के साथ डिप्रेशन भी हो सकता है।
  • बार-बार सरदर्द: आपको इतना ज़्यादा सरदर्द होता है कि आपको लगता है की आप माइग्रेन से पीड़ित हैं। ये असल में अधिक एस्ट्रजेन की वजह से हो सकता है।
  • बलों का गिरना: जब आपका शरीर बहुत अधिक एस्ट्रजेन बनाने लगता है, आपके बाल पतले हो सकते हैं। पतले बाल आसानी से गिर सकते हैं। आप अपने एस्ट्रजेन को संतुलित करें।
  • नींद ना आना: जब आपके शरीर में एस्ट्रजेन का स्तर बढ़ने लगता है, तो आपके शरीर में कुछ दिक्कतें होने लगती हैं। जब हमारे शरीर में कोई दिक्कत होती है तो हमारा शरीर अपनाप सतर्क हो जाता है और सो नहीं पाता। इसी वजह से आपको नींद नहीं आती।
  • ठंड लगना: एस्ट्रजेन लेवल हमारे सर्क्यलेशन पर भी असर डालता है। अगर आपके एस्ट्रजेन की मात्रा अधिक हो तो यह भी एक वजह हो सकती है, आपके हाथ-पैर ठंडे रहने की।
  • योनि में सूखापन
  • अचानक गर्मी लगना
  • कोलेस्ट्रॉल के स्तर में बदलाव
  • अनियमित रक्तस्राव
  • अनियमित दिल की धड़कन
  • मूत्र पथ में संक्रमण
  • संभोग के दौरान दर्द
  • अवसाद और चिंता
  • रजोनिवृत्ति
  • ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई

एस्ट्रजेन का उपचार:

निम्न चार  प्रकार के खाद्य पदार्थों से आप अपने हॉर्मोन संतुलन पर क़ाबू रख सकते हैं:

  •  रोज़्मरी: ये ना सिर्फ़ आपके माँ पसंद रेसिपी को और अच्छा करती है , पर यह  आपकी याददाश्त और मटैबलिज़म को भी बढ़ाती है, और इससे थाइरॉड भी सही तरीक़े से काम करती है।
  • I3C या आइटोल 3 कार्बनेट सब्ज़ियाँ: सब्ज़ियाँ जैसे की पालक, बोकचोई, ब्रॉकली, केल, स्प्राउट्स  में पाया  जाता है ये पदार्थ। यह पदार्थ लिवर से अधिक एस्ट्रजेन को हमारे शरीर से बाहर फ़ैकने में मदद करता है।
  • अल्सि के बीज: यह हमें एस्ट्रजेन से छुटकारा पाने में सहायता प्रदान करते हैं। छोटे-छोटे बीजों में पाया जाना वाला लिगनिंस और फयटोएस्ट्रजेन इस बात पर क़ाबू करके की होरमोंस कितने एस्ट्रजेन-रेसेप्टर को बाँध सकता है। हमारे शरीर में एस्ट्रजेन की मात्रा को यह नियमित करता है।
  • अनेक प्रकार के हरी सब्ज़ियाँ।- इनमे आंटी-ऑक्सिडंट गुण होते हैं और यह एस्ट्रजेन के समतुलन में मदद करते हैं। यह कई प्रकार के कैन्सर को भी काम करने में मदद करता है।
Ruchi singh chauhan
मेरा नाम रूचि सिंह चौहान है ‌‌‌मुझे लिखना बहुत ज्यादा अच्छा लगता है । मैं लिखने के लिए बहुत पागल हूं ।और लिखती ही रहती हूं । क्योकि मुझे लिखने के अलावा कुछ भी अच्छा नहीं लगता है में बिना किसी बोरियत को महसूस करे लिखते रहती हूँ । मैं 10+ साल से लिखने की फिल्ड मे हूं ।‌‌‌आप मुझसे निम्न ई-मेल पर संपर्क कर सकते हैं। [email protected]
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