एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (अस्थानिक गर्भावस्था) क्या है?(What is Ectopic pregnancy in hindi?)
एक्टोपिक(Ectopic pregnancy in hindi) शब्द का मतलब है “गलत स्थान पर” और यह ऐसी गर्भावस्था होती है जो गर्भाशय के बाहर विकसित होती है। यह आमतौर पर किसी एक फैलोपियन ट्यूब में विकसित होना शुरु हो जाती है। इसीलिए इसे ट्यूबल प्रेग्नेंसी भी कहा जाता है। हर 161 गर्भावस्थाओं में से करीब एक में ऐसा होता है।
जैसे-जैसे आपकी गर्भावस्था बढ़ती है, इसमें दर्द और रक्तस्त्राव होता है। एक्टोपिक या अस्थानिक गर्भावस्था के इन लक्षणों को पहचाना न जाए तो फैलोपियन ट्यूब फट भी सकती है, जिससे आंतरिक रक्तस्त्राव हो सकता है। यह चिकित्सकीय आपतस्थिति है और यदि उपचार न कराया जाए तो जानलेवा साबित हो सकती है। दुख की बात यह है कि ऐसे में गर्भावस्था कभी नहीं बच पाती और न ही इसे गर्भाशय में स्थानांतरित किया जा सकता है। डॉक्टर को इसे और प्रभावित फैलोपियन ट्यूब को हटाना ही पड़ता है।
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अस्थानिक गर्भावस्था होने की संभावना कब होती है?(When is an ectopic pregnancy likely?)
अस्थानिक गर्भावस्था का पता आमतौर पर गर्भावस्था के चौथे और 10वें सप्ताह के बीच चल जाता है। अधिकांश महिलाओं को माहवारी चूकने के दो हफ्ते बाद इसके लक्षण महसूस होने शुरु हो जाते हैं।
नीचे दिए गर्भावस्था चार्ट को पढ़िए ,जो आपको प्रेगनेंसी में हैल्थी बनाए रखने में मदद करेगा
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एक्टोपिक प्रेगनेंसी के कुछ संभावित कारण:(Some possible causes of Ectopic pregnancy in hindi)
- अतीत में एक्टोपिक प्रेगनेंसी से जुझ चुकी महिलाओं में दोबारा इस तरह की प्रेगनेंसी की संभावना बढ़ जाती है।
- 35 साल या उससे ज़्यादा की उम्र में प्रेगनेंट होने पर एक्टोपिक प्रेगनेंसी का खतरा रहता है।
- जिन महिलाओं की पहले कभी पेल्विक या अब्डॉमिनल सर्जरी हुई है, उनमें भी एक्टोपिक प्रेगनेंसी की संभावना बढ़ जाती है।
- पेल्विक में सूजन संबंधी बीमारियों से जुझ रही महिलाएं।
- कई बार गर्भपात होना भी इसकी वजह बन सकती है।
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अस्थानिक गर्भावस्था के लक्षण:(Symptoms of Ectopic pregnancy in hindi)
एक्टोपिक प्रेग्नेंसी में कुछ महिलाओं को इसके लक्षण समझ नहीं आते। हो सकता है, आपको पीरियड्स जैसा दर्द महसूस हो या फिर आपको मरोड़ और रक्तस्राव जैसा महसूस हो सकता है, लेकिन ज़रूरी नहीं कि आप इसके सभी लक्षण पहचान जाएं। नीचे हम कुछ लक्षण बता रहे हैं, जिनकी मदद से आप कुछ हद तक एक्टोपिक प्रेग्नेंसी को पहचान सकती हैं:
- योनि से रक्तस्राव होना एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का लक्षण हो सकता है। यह रक्तस्राव सामान्य महावारी से कम या ज्यादा या सामान्य से ज्यादा गहरे रंग का हो सकता है।
- पेट के निचले हिस्से में या श्रोणि के एक हिस्से में दर्द होना एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का लक्षण हो सकता है। यह दर्द लगातार बना रह सकता है, जो कभी हल्का हो सकता है, तो कभी तेज़। कभी-कभी यह दर्द बहुत तेज़ भी हो सकता है। ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
- चक्कर आना , बेहोशी आना व कमज़ोरी महसूस होना भी एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का लक्षण हो सकता है। इसके अलावा, कुछ मामलों में मल त्याग करते समय दर्द होना या दस्त लगना इसके लक्षण हो सकते हैं।
- अगर एक्टोपिक गर्भावस्था का जल्दी पता न चले, तो नलिका में खिंचाव पड़ सकता है, जिसके कारण यह फट भी सकती है। नलिका फटने से आंतरिक रक्तस्राव हो सकता है, जिसके निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं, जैसे:
- सिर घूमना, पसीना आना, चक्कर आना।
- कंधे और बाजू के जोड़ों में दर्द होना।
- दस्त लगना या पेशाब करते समय दर्द महसूस होना।
अगर आपको ऊपर बताए गए लक्षण नज़र आएं, तो डॉक्टर से संपर्क करने में देरी न करें।
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अस्थानिक गर्भावस्था का इलाज(Treatment)
अगर आपको अस्थानिक गर्भावस्था है, तो जल्द से जल्द इसका इलाज करवाना होगा। देरी होने पर फैलोपियन ट्यूब के फटने का खतरा हो सकता है। यहां हम अस्थानिक गर्भावस्था के इलाज के बारे में आपको बताने जा रहे है:
अगर एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का पता शुरुआत में ही चल जाए, तो डॉक्टर मिथोट्रेक्सेट नामक दवा के ज़रिए इस प्रेग्नेंसी को समाप्त कर सकते हैं ।
अगर एक्टोपिक प्रेग्नेंसी की आशंका है, तो डॉक्टर आपकी ‘कीहोल सर्जरी’ कर सकते हैं। इसमें, छोटा-सा चीरा लगाकर पेट के ज़रिए डिवाइस अंदर डालकर नलिकाओं का निरीक्षण किया जाता है। अगर एक्टोपिक प्रेग्नेंसी नज़र आती है, तो लेप्रोस्कोप के ज़रिए ट्यूब को काटकर एक्टोपिक प्रेग्नेंसी को निकाल दिया जाता है। वहीं, अगर फैलोपियन ट्यूब फट जाती है, तो कीहोल सर्जरी की जगह पेट का ऑपरेशन किया जाता है, लेकिन ऐसा कम मामलों में ही होता है।
सर्जरी करने के बाद डॉक्टर फिर से एचसीजी का स्तर जांचते हैं। अगर एचसीजी का स्तर कम नहीं होता है, तो डॉक्टर मिथोट्रेक्टेस का इंजेक्शन लगा सकते हैं।
नोट : अगर आपको किसी अन्य तरह की स्वास्थ्य समस्या है या शिशु को स्तनपान करवा रही हैं, तो इस बारे में डॉक्टर को ज़रूर बताएं। ऐसे में हो सकता है कि डॉक्टर दवा न देकर किसी अन्य विकल्प को अपनाएं।अब आप जान चुके हैं कि एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का इलाज कैसे किया जा सकता है।
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अस्थानिक गर्भावस्था की रोकथाम (Prevention)
परेशानियां कभी कहकर दस्तक नहीं देतीं, लेकिन अगर आप कुछ सावधानियां बरते लें, तो आने वाली परेशानियों से बचा जा सकता है। बात करें अस्थानिक प्रेग्नेंसी की, तो इसके लिए ज्यादा रोकथाम की ज़रूरत नहीं है, बस नीचे दी गई बातों को ध्यान में रख लें, तो इसके जोखिम से बचा जा सकता है, जैसे :
ज्यादा लोगों के साथ संबंध न बनाएं: यौन संक्रमण से एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का जोखिम बढ़ जाता है। एक से ज्यादा लोगों के साथ शारीरिक संबंध बनाने से इस तरह की प्रेग्नेंसी का खतरा बढ़ जाता है।
संक्रमण का तुरंत इलाज कराएं: अगर आपको किसी तरह का यौन संक्रमण हो गया है, तो इसका जल्द से जल्द इलाज कराएं। जितनी जल्दी इसका इलाज कराएंगे, एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का खतरा कम हो जाएगा। पेट के निचले हिस्से में दर्द, पेशाब करते समय दर्द होना, योनि से असामान्य रक्तस्राव, योनि से दुर्गंध आना या फिर संभोग के दौरान दर्द होना यौन संक्रमण के सामान्य लक्षण हो सकते हैं। अगर आपको यह सब लक्षण नज़र आते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर उचित इलाज करवाना ज़रूरी है। इससे एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के खतरे को टाला जा सकता है। यौन रूप से सक्रिये होने के बाद समय-समय पर जांच कराते रहना आपके लिए अच्छा रहेगा।
धूम्रपान त्याग दें : धूम्रपान करने से भी एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए, अगर आप गर्भवती होने की कोशिश कर रही हैं, तो धूम्रपान तुरंत छोड़ दें। इससे एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का खतरा कम हो सकता है
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एक्टोपिक प्रेग्नेंसी जांच के अन्य तरीके:(Other methods of Ectopic pregnancy in hindi check:)
अगर ऊपर बताए गए टेस्ट कारगर साबित नहीं हुए, तो डॉक्टर डी एंड सी सर्जरी (डाइलेशन और क्यूरेटेज) भी कर सकते हैं। यह छोटी-सी सर्जरी होती है, जिसमें सर्विक्स (गर्भाशय का मुख) को साफ किया जाता है। इसमें, यूटेरियन टिश्यू का नमूना लिया जाता है और जांच की जाती है।
वहीं, बहुत कम मामलों में लेप्रोस्कोपी की जाती है। इसमें, एक छोटे से कैमरे की मदद से योनि के अंदर का भाग देखकर एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का पता लगाया जाता है।
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