विपुटीशोध(डाइवर्टिक्युलाइटिस) क्या होता है (What is Diverticulitis in hindi)
हमारे शरीर मे मौजूद पाचन मार्ग में जब छोटी-छोटी थैलियां बनने लगती हैं तो ऐसी थैलियों को अक्सर डाइवर्टिकुला कहते है, आमतौर पर यह थैलियां बडी आंत में विकसित होती है। जब भी इन थैलियों में सूजन आ जाती है या फिर बैक्टेरिया की वजह से इन्फेक्शन हो जाता तो इसे ही विपुटीशोध (Diverticulitis in hindi) कहा जाता है। इस बीमारी के अधिकतर मामलों में यह देखा गया है कि इस बीमारी के ज्यादातर मरीजो की उम्र 40 वर्ष से उपर थी। इस बीमारी के बारे में यह कहा जाता है कि यह बीमारी 20वीं शताब्दी से पहले बहुत ही कम होती थी लेकिन जैसे जैसे समय आगे बढ़ा इस बीमारी ने पश्चिमी देशों में अपने पैर पसारने शुरू कर दिए। यह भी कहा जाता है कि इस बीमारी का अगर सही समय पर सही इलाज नहीं किया जाए तो यह बीमारी जानलेवा साबित हो जाती है।
विपुटीशोध(डाइवर्टिक्युलाइटिस) के लक्षण (Symptoms of Diverticulitis in hindi)
इस बीमारी के लक्षण कई बार तो जल्दी से समझ मे आ जाते है और कई बार इस बीमारी के लक्षण धीरे-धीरे समझ मे आतें है इस बीमारी के लक्षण भी धीरे धीरे विकसित होने लगते है आइये अब हम आपको इस बीमारी के कुछ लक्षणों के बारे में बताते हैं।
- पेट मे दर्द होना- अगर किसी व्यक्ति को पेट मे दर्द होने की शिकायत बनी रहती है तो उसे चिकित्सक को दिखाना चाहिए, वैसे तो पेट दर्द सामान्य स्थिति में भी हो सकता है या खाने-पीने की वजह से भी पेट दर्द हो सकता है लेकिन अगर इनमें से बिना किसी वजह के पेट दर्द रहता है तो आपको विपुटीशोध बीमारी होने की आशंका रहती हैं।
- पेट फूला हुआ रहना– पेट फूला हुआ रहना आपको दिक्कत दे सकता हैं कई बार तो बाजार का कुछ गलत खाने से भी पेट फूल सकता है। अगर आपका पेट बिना किसी वजह के फूल रहा है तो ऐसे में आपको अपने डॉक्टर को दिखाना चाहिये क्योंकि विपुटीशोध बीमारी का एक लक्षण पेट फूलना भी होता है।
- कब्ज– ज्यादातर लोगों को कब्ज की शिकायत रहती है लेकिन बहुत से लोग इसका सही तरीक़े से इलाज नही लेते और यह गम्भीर रूप भी धारण कर लेती है। आपको यहां हम यह भी बताना चाहेंगे कि विपुटीशोध बीमारी का एक लक्षण कब्ज भी है और अगर आपको भी कब्ज की ज्यादा दिक्कत है तो कृप्या अपने डॉक्टर से परामर्श कीजिये।
- दस्त की शिकायत– कहा जाता है कि जब किसी का पेट खराब होता है तो उसे दस्त की शिकायत हो जाती है अगर यह समस्या लंबे समय तक बनी रहे तो ऐसे में चिकित्सय सहायता लेनी जरूरी हो जाती है। दस्त होने पर आपको ज्यादा सावधानी रखने की आवश्यकता है क्योंकि विपुटीशोध की बीमारी का एक यह भी लक्षण है।
- मलाशय में से खून का निकलना– मलाशय से खून का निकलना विपुटीशोध का एक लक्षण है।
- जी मिचलाना या उल्टी की शिकायत– अगर किसी को जी मिचलाना या उल्टी की शिकायत होती है तो उसे डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए क्योंकि यह भी इस बीमारी का एक लक्षण है।
विपुटीशोध( डाइवर्टिक्युलाइटिस) के कारण (Causes of Diverticulitis in hindi)
इस बीमारी के होने की मुख्य वजह का अभी तक सटीक पता नही चला है लेकिन इस बीमारी के शोध करने पर यह पता चला है कि इस बीमारी के लिए कुछ आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारक भी जिम्मेदार हो सकते है इनमें से कुछ कारणों के बारे में आपको बताते हैं।
- धूम्रपान– वैसे तो किसी को भी धूम्रपान नही करना चाहिए लेकिन फिर भी आप धूम्रपान करते है तो आपको विपुटीशोध बीमारी होने का अंदेशा रहता है और यह इस बीमारी के होने की मुख्य वजह भी होती है।
- मोटापा या वजन ज्यादा होना– मोटापा कई बीमारियों को दावत देता है अगर किसी का वजन ज्यादा है यह उसे मोटापे की शिकायत है तो उसे सावधान रहने की जरूरत होती है क्योंकि विपुटीशोध बीमारी होने का एक कारण मोटापा भी है।Home remedies for weight loss – वजन घटाने के घरेलु नुश्खे
- आनुवंशिक– अगर किसी परिवार में किसी भी व्यक्ति को पहले से यह बीमारी हैं तो उस परिवार के अन्य सदस्यों को इस बीमारी के होने का खतरा बना रहता है।
- असंतुलित आहार लेना– संतुलित आहार ना लेना या खाने में फाइबर कम मात्रा में लेना भी विपुटीशोध बीमारी होने का कारण होता है।
- शारीरिक कसरत या व्यायाम ना करना- विपुटीशोध बीमारी होने का एक और कारण किसी भी तरह की शारीरिक व्यायाम ना करना है।
डाइवर्टिक्युलाइटिस का ईलाज (Treatment of Diverticulitis)
जैसे किसी भी बीमारी का ईलाज उसकी स्थिति के अनुसार ही किया जाता है बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवाई नही लेनी चाहिये। विपुटीशोध की बीमारी में अगर लक्षण सामान्य दिखाई देते है तो कुछ एंटीबायोटिक से ही इसका ईलाज किया जा सकता है
इस बीमारी में राहत के लिए कुछ दिनों तक तरल पदार्थों का सेवन करने की सलाह दी जाती है जिससे आंतो में आई सूजन ठीक होने लगती है जैसे-जैसे स्थिति में सुधार आने लगता है तो रोगी को तरल पदार्थ के अलावा ठोस आहार भी देना शुरू कर दिया जाता है।
ज्यादा गंभीर होने पर मरीज को अस्पताल में भर्ती किया जा सकता है जहां उनको नसों के द्वारा एंटीबायोटिक दी जाती है और इसके अलावा पेट की आंतो में हुई सूजन को ट्यूब के द्वारा कम किया जाता है।