आज के समय में यौन से संबंधित बहुत से रोग देखे जाते हैं। आज हम अपने इस लेख में एक ऐसे ही यौन से संबंधित रोग क्लैमाइडिया(Chlamydia) की चर्चा करने जा रहे हैं।
क्लैमाइडिया क्या है(
What is chlamydia)?
क्लैमाइडिया(chlamydia) एक प्रकार का यौन संचारित रोग है। यह क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस बैक्टीरिया के कारण संक्रमित होता है। यह महिला एवं पुरुष दोनों को ही प्रभावित करता है। यह महिला के प्रजनन अंगों को प्रभावित करता है। एक बार यह रोग होने के बाद महिला का गर्भवती होना या तो असंभव हो जाता है। या फिर बहुत मुश्किल संभव होता है। और यदि कोई महिला गर्भवती हो भी जाती है तो भूर्ण गर्भ के बाहर विकसित होने लगता है।
क्लैमाइडिया के कारण(Reason of Chlamydia)
क्लैमाइडिया एक प्रकार का संक्रमण रोग है। जोकि बैक्टीरिया द्वारा फैलता है। जब इस रोग का संक्रमण फैलता है तो बैक्टीरिया संक्रमित व्यक्ति के गर्भाशय ग्रीवा, मूत्र मार्ग, योनि या फिर मलाशय में मौजूद होता है। माना जाता है कि यह गले में भी रह सकता है। यदि किसी संक्रमित व्यक्ति के साथ संबंध बनाए तो यह रोग एक से दूसरे में फैल सकता है। यह योनि, गुदा या मौखिक किसी भी कारण फैल जाता है। ऐसे व्यक्ति जो यौन संबंध बनाने में अत्यधिक सक्रिय होते हैं उनमें क्लैमाइडिया का सबसे अधिक खतरा रहता है।
यह संक्रमण एक महिला के गर्भ में पल रहे उसके बच्चे को भी फैल सकता है। यानी कि जब बच्चा योनि के नली से गुजरता है, तो इस रोग का संक्रमण बच्चे को प्रभावित करता है। जब बच्चा पैदा होता है तो सबसे आम प्रभाव बच्चे में नेत्र क्षति और निमोनिया देखा जाता है।
यह कैसा रोग है जो कि एक बार ठीक होने के बाद भी दोबारा आसानी से हो जाता है। यह एक से दूसरे को संक्रमित करने वाला रोग है।
क्लैमाइडिया के संभावित लक्षण(possible symptoms of Chlamydia)
बहुत बार ऐसा होता है कि क्लैमाइडिया के लक्षण लोगों को नहीं समझ में आते या फिर कुछ लोगों में इसके लक्षण नजर ही नहीं आते। अक्सर लक्षण महसूस होने पर भी लोग यह समझ नहीं पाते कि यह किस रोग के लक्षण है अथवा हमें कुछ भी अटपटे लक्षण महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। आइए बात करते हैं क्लैमाइडिया के लक्षणों की।
- इसरो का प्रमुख लक्षण है पेशाब में जलन होना यानी जब आप मूत्र स्त्राव के लिए जाएंगे तो आपको कुछ जलन महसूस होगी।
- महिलाओं के लिंग में या योनि में पीले या हरे रंग का द्रव निकलना क्लैमाइडिया का एक लक्षण है।
- अक्सर पेट के निचले हिस्से में दर्द महसूस होता है।
- अंडकोष में दर्द होना भी इस रोग का लक्षण है
कुछ महिलाओं एवं पुरुषों को यौन संबंध करने के बाद या करने के दौरान अत्यधिक दर्द महसूस होता है तो यह क्लैमाइडिया का लक्षण है।
इसी के साथ-साथ क्लैमाइडिया गुदा में भी फैल जाता है। जिसका मुख्य लक्षण गुदा से खून बहना माना जाता है। या फिर गुदा में दर्द भी हो सकता है।
इस रोग के संक्रमित व्यक्ति के साथ ओरल सेक्स करने से भी यह रोग दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। जोकि बहुत ही चीजें लक्षित करता है। जैसे कि
- आपके गले में खराश पैदा हो जाती है।
- आपको धीरे-धीरे बुखार होने लगता है एवं साथ ही साथ खासी भी हो जाती है।
- अक्सर ऐसा देखा जाता है कि यह बैक्टीरिया आपकी गले में पहुंच जाता है परंतु यह आपको पता ही नहीं चलता।
बहुत ही महिलाओं में यह रोग फेलोपियन ट्यूब से फैलता है। जिसके कारण महिलाओं को पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (पीआईडी) का सामना करना पड़ सकता है। यह बहुत ही गंभीर स्थिति होती है जिसके लिए तुरंत डॉक्टर के पास संपर्क करना चाहिए। इसके लक्षण कुछ इस प्रकार है।
- इसमें तेज बुखार होने लगता है
- पेल्विक में महिला को अत्यधिक दर्द महसूस होता है।
- जी मिचलाना और उल्टी जैसी स्थिति पैदा हो जाती है।
- मासिक धर्म में असामान्यता बन जाती है यानि कि मासिक धर्म या तो बहुत ही अत्यधिक हो जाता है या फिर बहुत कम होता है।
क्लैमाइडिया से बचाव(prevention of Chlamydia)
- इस रोग से संक्रमित व्यक्ति को हर बार कंडोम यूज करने के पश्चात ही सेक्स करना चाहिए।
- बहुत ज्यादा लोगों के साथ यौन संबंध नहीं बनाने चाहिए।
- कोशिश करें कि किसी भी आ संक्रमित व्यक्ति के साथ ही संपर्क बनाए।
- अगर आपको लगता है कि आप इस रोग से संक्रमित है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।।
- किसी भी प्रकार का डिस्चार्ज होना, पेशाब करते समय जलन होना या एक असामान्य प्रकार का छाला किस बात का संकेत है कि यह रोग आपको जल्द ही संक्रमित कर सकता है। इस दौरान सेक्स से बचे एवं डॉक्टर से संपर्क करें।
- यदि आपको यह महसूस होता है कि आपके पार्टनर को इस प्रकार की कोई बीमारी है तो उनसे संबंध ना बनाएं।
- अक्सर देखा जाता है कि इस रोग के लक्षण नजर नहीं आते इसके लिए आपको समय-समय पर डॉक्टर से इस रोग की जांच करवानी चाहिए।
क्लैमाइडिया का उपचार एवं इलाज(Treatment)
- क्लैमाइडिया एक ऐसा रोग है जिसे थेरेपी के द्वारा ठीक किया जा सकता है। डॉक्टर द्वारा एंटीबायोटिक्स की खुराक 7 दिन की अवधि तक दी जाती है।
- इस रोग से पीड़ित महिला को 7 दिन का पूरा कोर्स डॉक्टर द्वारा बताए गए समय के अनुसार करना चाहिए एवं पुरुषों से संबंध नहीं बनाना चाहिए ताकि पुरुष इससे संक्रमित ना हो।
- अक्सर इस रोग की दवा में एजिथ्रोमाइसिन और डॉक्सीसाइक्लिन जैसे एंटीबायोटिक का इस्तेमाल किया जाता है। परंतु अन्य एंटीबायोटिक दवा भी इस रोग से छुटकारा पाने में समर्थ हैं।
- किसी भी गर्भवती महिला को बिना डॉक्टर की सलाह के किसी प्रकार की दवा का सेवन नहीं करना चाहिए एवं गर्भवती महिला के लिए एजिथ्रोमाइसिन, एमोक्सिसिलिन और इरिथ्रोमाइसिन एथिल स्यूसिनेट, लेकिन डॉक्सीसाइक्लिन आदि एंटीबायोटिक सुरक्षित साधन है।
- इस रोग का इलाज एक पूर्ण अवधि तक एवं बीमारी के खत्म होने तक करना चाहिए नहीं तो यह रोग दोबारा संक्रमित होने में समर्थ हो जाता है।
क्लैमाइडिया की मुख्य जांचें(main investigations)
बहुत से अधिकारियों के द्वारा क्लैमाइडिया की जांच स्क्रीनिंग के द्वारा की जाती है जिसके अंतर्गत 25 साल से कम उम्र की महिला, गर्भवती महिला या फिर उच्च जोखिम वाली महिला को इस स्क्रीनिंग के लिए मना किया जाता है।
इस स्क्रीनिंग टेस्ट के लिए महिला के निचले हिस्से से मोटर का एक नमूना लिया जाता है और वह कंटेनर में रखकर लैब में भेज दिया जाता है जिसके द्वारा महिला में इस रोग की जांच की जाती है।
पुरुषों में यह जांच उनके मूत्र के द्वारा की जाती है।
किसी भी प्रकार के लक्षण देखते ही हमें तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए तभी हम किसी भी बीमारी से समय पर निजात पा सकते हैं।
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