अरंडी का तेल क्या होता है ?
यह एक वनस्पति यानी की वेज़ीटेबल तेल होता है, जो कि अरंडी के बीजों से निकलकर बनाया जाता है।इस तेल का वैज्ञानिक नाम होता है: रिसिनस कम्युनिस (Ricinus Communis)। अगर हम इसका और भाषाओं में नाम देखें, तो ये जिन परंतो में इस्तेमाल किया जाता है, उनकी भाषाओं के हिसाब से, इसे हिंदी में अरंडी का तेल, तेलगु में आमुदामु, बंगाली में रिरिरा टेला, मराठी में इरांदेला तेला, मलयालम में अवानक्केना और तमिल में अमानक्कु एनी के नाम से जाना जाता है। -Castor Oil in Hindi
इस तेल का इस्तेमाल साबुन में भी किया जाता है। इसमें ऐसे पदार्थ होते हैं जो उसे चिकना करते है। इसके साथ, यह पेट दर्द, पीठ दर्द, कब्ज और सिरदर्द जैसी दिक्कातों को दूर करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
अब हम इस लेख के माध्यम से यह जानेंगे के कि इसके क्या-क्या फ़ायदे और नुक़सान होते हैं। साथ ही, हम यह भी जानेंगे कि इसकी खुराक और कुछ अन्य जानकारियाँ भी क्या होती है।
अरंडी के तेल के प्रकार – Types of Castor Oil in Hindi
अरंडी के तेल के तीन मुख्य प्रकार होते हैं:
- ऑर्गेनिक कोल्ड-प्रेस्ड कैस्टर ऑयल – इस प्रकार को सीधा अरंडी के बीजों से ही निकल जाता है, और इसे निकालने की पूरी प्रक्रिया में किसी भी तरह के हीट का इस्तेमाल नहीं होता है। कहा जाता है कि यदि तेल निकलते समय, हीट का इस्तेमाल किया जाए तो तेल का सभी पोषण ख़त्म हो जाएगा। अगली बार आप जब भी इसे ख़रीदने जाएँ, तो ख़याल रखे कि यह पीले रंग का ही होना चाहिए।
- जमैकन ब्लैक कैस्टर ऑयल – इस प्रकार के तेल को निकालने के लिए, पहले अरंडी के बीजों को हीट के ऊपर भूना जाता है, फिर उन बीजों को दबाकर उनसे तेल का इक्स्ट्रैक्शन किया जाता है। बीजों को भूनते वक़्त जितनी भी राख निकलती है, उसे भी तेल में मिलाया जाता है। इसी वजह से तेल का रंग काला दिखता है। वैसे, इसमें भी कोल्ड-प्रेस्ड कैस्टर ऑयल की तरह सभी पोषण मौजूद रहता है, मगर यह थोड़ा खरा हो जाता है।
- हाइड्रोजनेटेड कैस्टर ऑयल – इस प्रकार में निकल(एक रासायनिक तत्व) मिलाया जाता है। हाइड्रोजनेटेड अरंडी तेल ‘कैस्टर वैक्स’ के नाम से भी प्रचलित है। बाक़ी प्रकारों के मुक़ाबले में, इस प्रकार की ना तो गंध होती है, और यह पानी में घुल नही पता है। इसका उपयोग काज़्मेटिक में होता है।
अरंडी के तेल के फ़ायदे: Benefits of Castor Oil in Hindi
1. कब्ज के लिए :
जब हमें क़ब्ज़ होती है, तो ज़ाहिर सी बात है वो हमें सताती ही है। इस विषय पर NCBI (National Center for Biotechnology Information) की वेब्सायट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार अरंडी का तेल क़ब्ज़ के सिम्पटम्स को कम करने में सहायक होता है। मगर अभी भी इसके बारे में कोई प्रमाणित शोध नाही हो पाए हैं।
इसके साथ, इस तेल का बहुत ज़्यादा इस्तेमाल, ऐंठन की वजह बन सकती है। इसकी वजह इसमें मोजूद रिसिनोलिक एसिड (Ricinoleic Acid) होती है। तो जब भी पेट की कोई भी समस्या हो, तो इसके इस्तेमाल से पहले एक बार अपने चिकित्सक को ज़रूर सम्पर्क करें।
2. गठिया के लिए:
ऑस्टियोआर्थराइटिस (हड्डियों का गठिया) की समस्या को कम करने के लिए यह तेल काफ़ी फ़ायदेमंद होता है। इस तेल का कोई साइड-इफ़ेक्ट नहीं होता, और यह जल्दी ही अपना असर दिखता है (चार हफ़्तों में)।
3. लेबर पेन को बढ़ाने के लिए
अरंडी के टाल का इस्तेमाल प्रसव बढ़ाने के लिए भी किया जा सकता है। इस मुद्दे पर हुए गए एक अध्ययन के हिसाब से, अरंडी के तेल का इस्तेमाल गर्भावस्था के समय 24 घंटे के अंदर ही लेबर पेन को बढ़ाने का काम कर सकता है।
4. एड़ी के दर्द के लिए
एक समस्या जिसे ‘हील स्पर’ भी कहते हैं, उसमें एड़ी के नीचे की हड्डी में दर्द बहुत बढ़ जाती है। उस समस्या को इस तेल के इस्तेमाल से कम किया जा सकता है।
5. बवासीर
कुछ अध्ययन यह बताते हैं की अरंडी के तेल के उपयोग से, बवासीर की समस्या से भी राहत मिल सकती है। इस तेल में उपस्थित लैक्सटिव (पेट को साफ करने की दवा) ख़ूबी कब्ज से आराम दिलाकर, बवासीर की समस्या को कम कर सकता है।
6. एंटी-इंफ्लेमेटरी ख़ूबी
अरंडी का तेल सूजन की दिक्कत से आराम दिलाने में भी फ़ायदेमंद हो सकता है। असल में, इस विषय पर किए गए एक अध्ययन के हिसाब से, अरंडी के तेल में रिकिनोलेइक एसिड उपस्थित होता है, जो कैप्साइसिन (Capsaicin) , जो कि एक एंटी-इंफ्लेमेटरी एजेंट की तरह कार्य कर सकता है।
7. कैंडिडा के लिए अरंडी का तेल
एक फ़ंगस, जो कि काफ़ी जगह रहता है, यानी की इंसान के शरीर पर भी, उस फ़ंगस का नाम कंदीदा होता है। वैसे शरीर में यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को नियंत्रित करने का काम करता है। पर जब यह इंसान बीमार होता है, और ऐंटीबायआटिक लेता है, तो इसकी संख्या अचानक से बढ़ जाती है। इससे यह इन्फ़ेक्शन की वजह बन जाती है।
ऐसी हालत में, अरंडी के तेल का मिक्स्चर काफ़ी फ़ायदेमंद होता है। पर यह बात वैसे अभी भी वैज्ञानिक तरीक़े से प्रमाणित नही है।
8. झुर्रियों के लिए अरंडी का तेल–
अरंडी के तेल के उपयोग से चेहरे पर उभरती झुर्रियों में कमी ला सकते हैं।
9. मुंहासे या दाग-धब्बों के लिए:
अरंडी के तेल का इस्तेमाल मुँह पर आते दाग़-धब्बों को मिटाने के लिए भी किया जाता है।
10. पलकों की ख़ूबसूरती लिए
अरंडी का तेल का उपयोग करने से पलक और ज्यादा सुंदर और घने हो जाते हैं। वैसे यह बात भी अभी तक वैज्ञानिक तरीक़े से प्रमाणित नही है।
11. बालों के लिए अरंडी के तेल का इस्तेमाल
अरंडी के तेल को जब बालों पर लगाया जाता है, तो वह काफ़ी फ़ायदेमंद माना जाता है। बाजार में यह बड़े आराम से मिल जाता है और इसका इस्तेमाल न सिर्फ बालों को लम्बा करने में मददगार हो सकता है, बल्कि रूसी या डैंड्रफ दूर करने में भी सहायता कर सकता है। पर फिर भी, आप एक बार इसके उपयोग से पहले, अपने चिकित्सक के परामर्श को ज़रूर लें।
नोट : यदि किसी को कोई गंभीर सेहत की दिक्कत है या किसी को एलर्जी की समस्या है तो वो अरण्डी के तेल का इस्तेमाल सदा अपने चिकित्सक या विशेषज्ञ के परामर्श के बाद ही करें।
अरंडी के तेल का उपयोग कैसे करें
यहाँ निम्नलिखित बिंदुओं में हम आपको समझाएँगे अरंडी के तेल के इस्तेमाल के तरीक़े:
- जिन को क़ब्ज़ की शिकायत है, वो लोग एक कप संतरे के जूस में एक बूँद अरंडी का तेल मिलाकर पी सकते हैं।
- जब भी पेट में दर्द हो, या गैस हो, तो वो अरंडी के तेल को गुनगुना करके आराम से मालिश कर सकते हैं।
- त्वचा पर, रात को सोने से पहले, आप गुनगुने अरंडी के तेल को लगा सकते हैं, और फिर सुबह उठकर अपने चेहरे को ठंडे पानी से धो सकते हैं।
- डार्क सर्कल को कम करने हेतु, आप एक चम्मच नारियल का तेल लें, फिर उसमें एक बूंद अरंडी का तेल मिलाएँ,और सोने से पहले, आंखों के नीचे लगा लें। फिर अगली सुबह उसे धो लें।
- बालों के लिए, सोने से पहले, रात को नारियल तेल के साथ आप थोड़ा सा अरंडी का तेल मिलकर बालों को जड़ों तक लगा लें । और फिर अगले दिन, बाल शैम्पू कर लें।
अरंडी के तेल की खुराक – Castor Oil Dosage in Hindi
- वैसे अरंडी के तेल की खुराक की कोई वैज्ञानिक खुराक की मात्रा की जानकारी अभी तक हमारे पास नाही है, पर इसकी खुराक हर इंसान के उम्र और सेहत पर निर्भर करेगी।
- अरंडी का तेल वैसे बाक़ी के तेलों के मुक़ाबले काफ़ी गाढ़ा होता है, इसी वजह से इसका बहुत ही कम मात्रा में इस्तेमाल ही बहुत होता है।
- साथ ही, यदि किसी को कोई भी सेहत सम्बंधी दिक्कत हो, तो इसको लेने से पहले, अपने चिकित्सक से परामर्श कर लेनी चाहिए। इसका बहुत ज्यादा इस्तेमाल, अपनी सेहत में दुष्प्रभाव पैदा कर सकता है।
अरंडी के तेल के दुष्प्रभाव: Side Effects of Castor Oil in hindi
कहा जाता है की जब यह तेल शरीर के अंदर चला जाए तो समस्याएँ ला सकता है।वैसे इस तेल का कोई माना हुआ साइड-इफ़ेक्ट नही होता है, पर फिर भी, किसी भी चीज़ की आती अच्छी नही होती। कुछ दुष्प्रभाव:
- उल्टी – तेल का बहुत ज़्यादा पी लेने से उल्टियाँ शुरू हो जाती हैं। इससे दिल की समस्याएँ भी हो सकती हैं।
- दस्त – अरंडी के तेल में प्राकृतिक तौर पर एक लैक्सटिव ख़ूबी होती है, जो कि क़ब्ज़ की दिक्कत को दूर करती है। तो यदि इसको ज़्यादा ले लिया जाए तो दस्त लग सकती है।
- पेट में मरोड़ – इस तेल के अत्याधिक सेवन से पेट के मरोड़ शुरू हो जाते हैं। यह इन बीजों में मिलने वाले एक विशैले तत्व, ‘रिसीन’ की वजह से होता है।
- गर्भपात – अगर प्रेग्नन्सी के वक़्त इसका सेवन किया जाए, तो यह गर्भपात का बड़ा ख़तरनाक काम करवा सकती है।