आटिज्म(Autism in hindi) एक ऐसी समस्या है जो कि हमारे दिमाग मे होती है जो लोग आटिज्म से पीड़ित होते है वो बहुत ही मुश्किल से दूसरे व्यक्ति से बात कर पाते है इस बीमारी की वजह से व्यक्ति का दिमाग और किसी के मुकाबले धीरे काम करता है,क्योंकि आटिज्म से पीड़ित व्यक्ति ओर लोगों के मुताबिक अलग सुनते, देखते और महसूस करते हैं।इस समस्या के कारण उनके साथ वालो को समझाने में या बात करने में बहुत से प्रकार की समस्या होती है। तो इसलिए अब आपको हम आटिज्म से जुड़ी कुछ समस्या व इलाज के बारे में जानकारी देने जा रहे है ।तो आइए जानते है और आटिज्म के कितने प्रकार होते है इसके बारे में पूरी जानकारी देते है।
आटिज्म कितने प्रकार के होते है?(What are the types of Autism in hindi?)
आटिज्म(Autism in hindi) तीन प्रकार का होता है।जो कि कुछ इस प्रकार है:-
- क्लासिक ऑटिज्म: क्लासिक ऑटिज्म यानि ऑटिस्टिक डिसऑर्डर से जो व्यक्ति पीड़ित होता है उसको बोलने में काफी मुश्किलों होती है। ऑटिस्टिक डिसऑर्डर के कारण व्यक्ति को बौद्धिक समस्या का सामना करना पड़ता है।
- परवेसिव डेवलपमेंटल विकार की समस्या: जिस किसी व्यक्ति को परवेसिव डेवलपमेंटल होता है। तो उस व्यक्ति में ऑटिस्टिक डिसऑर्डर या एस्पर्जर सिंड्रोम के लक्षण पाए जाते है। इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति बौद्धिक व बोलने के साथ साथ किसी चीज की गढ़ना करने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
- एस्पर्जर सिन्ड्रोम की परेशानी: एस्पर्जर सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति को ज़्यादातर ऑटिस्टिक डिसऑर्डर के भी लक्षण पाए जाते है। इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति को सामाजिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता हैं। जिसके कारण उस व्यक्ति को असामान्य व्यवहार की समस्या भी हो सकती हैं।लेकिन उन्हें आमतौर पर भाषा से सम्बंधित या बौद्धिक से जुड़ी किसी भी प्रकार की कोई समस्याएं नहीं होती हैं।
आटिज्म के लक्षण क्या है?(What are the symptoms of Autism in hindi?)
आइए अब हम आपको बताते है कि ऑटिज्म के लक्षण क्या होते है। अगर आपको ऐसे कुछ लक्षण दिखाई देते है तो आपने डॉक्टर से संपर्क करें।
- किसी भी सवाल का जवाब न दे पाना या फिर जवाब देने में समय लगाना चाहे उनसे उनका नाम ही पूछा जाए।
- अगर कोई टच करता है तो गुस्सा करना और लड़ाई करना।
- नज़रें मिलाने से बचना और चेहरे के अभिभावों का न होना।
- किसी से बिल्कुल न बोलना या फिर बोलने में देरी करना या पहले ठीक से बोलने में दिक्कत का आना ।
- बात को शुरू नहीं कर पाना या केवल अनुरोध के लिए बातचीत शुरू करना ।
- एक असामान्य लय से बोलना ।
- एक ही बात को बार बार दोहराते रहना ।
- किसी भी प्रशन या दिशा को समझने में दिक्कत का होना ।
- अपनी भावनाओं को बोल और समझा न पाना।
- जो व्यक्ति आटिज्म से पीड़ित होते है वो किसी भी चीज को बार बार दोहराते रहते है। जैसे हिलना, घूमना या हाथ फड़फड़ाना ।
- लगातार शरीर को हिलाना ।
- किसी भी खेल में हिस्सा लेने से बचने का मौका मिलना चाहिए।
- भोजन को सही से नहीं खाना।
- रौशनी में या तेज़ आवाज को सुन कर उनके सिर दर्द महसूस होना।
- पैर के पंजों पर चलना ।
- असहयोगी व्यवहार करना ।
ऑटिज़्म के लिए क्या-क्या सावधानियां हैं?(What are the precautions for Autism in hindi?)
आइए अब हम आपको बताते है की ऑटिज्म से बचने की कुछ सावधानियां को बरते अगर कोई बच्चा ऑटिज्म से पीड़ित पाया जाता है, तो उनकी सुरक्षा करने के लिए कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए।
- अगर आप प्रेग्नेंट है तो गर्भावस्था के दौरान महिलाओं का सही से देखभाल करनी चाहिए।जिसका मतलब यह है कि उनको ऐसी दवाई का सेवन नहीं करना चाहिए जो कि डॉक्टर ने उन्हें नहीं बोली हो, गर्भावस्था में महिलाओ को शराब या किसी भी प्रकार का नशा नहीं करना चाहिए।
- एक स्वस्थ जीवन जीना और किसी भी व्यक्ति को प्रभावित करने वाली किसी भी बीमारी से प्रभावित हो तो उनको सही से इलाज और ध्यान से वह खुद को सही कर सकते है।
- ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों और किशोरों पर हमेशा नजर रखनी चाहिए और उन के साथ समय बिताना चाहिए अगर हम ऐसा नहीं करते है तो बच्चे या किशोरों को अकेला छोड़ देने से वो अकेला महसूस करते है औऱ अपने आप को सुरक्षित महसूस भी नहीं कर पाते।
- ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों और युवा को सुरक्षित वातावरण से बाहर निकलने या भागने की संभावना ज्यादा होती है।तो माता-पिता को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनके बच्चों को ऐसा कोई भी मौका न मिल पाएं।
ऑटिज्म के लिए कुछ घरेलू उपचार क्या हैं?(What are some home remedies for autism?)
अब हम आपको ऑटिज्म के कुछ घरेलू इलाजों के बारे में बताने जा रहे है ।
- उचित डाइट, सप्लीमेंट डाइट और उपचार प्रदान करना शामिल है।
- आपको कौन सी चीजें और खाद्य पदार्थों के लिए डॉक्टर ने मना किया है उसको याद रखने के लिए आपको लिस्ट बनानी चाहिए।
- आपके आहार में मैग्नीशियम युक्त, विटामिन डी , फिश आयल, आवश्यक तेल आदि जैसी चीजें खानी चाहिए।
- आपको चीनी, सोया जैसी चीजों से डॉक्टर आपको बचने की सलाह दी जाती है।
- ऑटिज्म से पीड़ित व्यक्ति को अपने घर पर कैसे व्यवहार करते है, बोलने की कोशिश करने जैसे अभ्यास करना है ताकि रोगी को सुरक्षित और पोसिटिव महसूस कराया जा सके।
ऑटिज्म के लिए बेस्ट थेरेपी क्या है?(What is the best therapy for autism?)
आइए अब हम आपको ऑटिज्म का इलाज करने के आपको इन की थैरेपी के बारे में बताने जा रहे है अगर आपको आपके बच्चे पर लक्षण दिखाई देते है तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
स्पीच थेरेपी: इस थेरेपी में कुछ ऐसी तकनीकें शामिल होती हैं जो आत्मकेंद्रित वाले बच्चों को चतुराई से विचारधारा करने में मदद करती हैं। यह लोगों से बातचीत करने की बच्चों की क्षमता में सुधार करता है। स्पीच ट्रीटमेंट और बोलने को पिक्चर, इशारों और लिखने के माध्यम से अपने विचारों को व्यक्त करा जाता है।
ऑक्यूपेशनल थेरेपी: इस थेरेपी में आत्मकेंद्रित वाले बच्चों को चतुराई से विचारधारा करने में मदद करती हैं। इस से उन लोगो के बात करने में सुधार आता है और वो सही से बात कर सकते है।
एप्लाइड व्यवहार विश्लेषण: इसमे, सबसे पहला आत्मकेंद्रित वाले व्यक्तियों के व्यवहार की जाँच करना है।उसके बाद, उसका जितना भी नकारात्मक व्यवहार होता है तो उसको धीरे-धीरे हटा दिया जाता है और सकारात्मक व्यवहार को प्रोत्साहित किया जाता है।
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