अस्थालीन(Asthalin) एक प्रकार की दवा है जो कि सीरप में, टेबलेट में इत्यादि रूपों में उपलब्ध हो जाती है। इस दवा का प्रयोग अस्थमा सी ओ पी डी ( क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पलमोनरी डिजीज ) के उपचार में किया जाता है। अस्थालीन फुफ्फसीय रोग, कफ, श्वास रोग आदि इन सभी रोगों से निजात दिलाने में अत्यंत सहायक मानी जाती है। सिर में दर्द तथा कफ इसके सामान्य साइड इफेक्ट्स है।
अस्थालीन की संरचना :- (structure)
अस्थालीन की दवा की में मुख्य रूप से एक घटक प्रयोग किया जाता है जिसे सैल्बुटामोल ( Salbutamol ) कहते हैं।
अस्थालीन कैसे कार्य करता है? :-(How does Asthaline Work?)
अस्थालीन दवा को स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर श्वास रोगों से छुटकारा पाने के लिए बनाई गई है। जैसा की उपर्युक्त बताया गया है कि इस दवा का महत्वपूर्ण घटक सैल्बुटामोल ( Salbutamol ) है जो श्वास लेते समय वायु मार्ग की जो मांस पेशियां है, उन पर जो दबाव होता है, उन दबाव को कम कर उन्हें आराम देता है तथा फेफड़ों के वायु मार्ग को चौड़ा कर देता है जिससे श्वसन दर में वृद्धि हो जाती है।
अस्थालीन का उपयोग किसके लिए किया जाता है? :- (What is Asthalin used for?)
अस्थालीन दवा का उपयोग श्वास संबंधी रोगों में किया जाता है जैसे – दमा, फेफड़ों से जुड़ी बीमारियां आदि। अस्थालीन शॉर्ट – एक्टिंग बीटा – 2 एगोनिस्ट नामक दवाओं के वर्ग से संबंधित है। कुछ मामलों में इसका उपयोग महिलाओं की अकस्मात प्रसव की स्थिति में भी किया जाता है। अस्थलीन दवा का उपयोग निम्न विकार में किया जाता है –
- तीव्र अस्थमा में,
- अस्थमा के रखरखाव में,
- सी ओ पी डी ( क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पलमोनरी डिजीज ) में,
- ब्रोंकाइटिस तथा इस कारण से श्वसन नलिका की सूजन में,
- गंभीर एलर्जी में,
- फेफड़ों के विकार में,
- जीर्ण श्वसन विकार में,
- सांस लेने में परेशानी हो तब भी अस्थालीन का प्रयोग किया जाता है,
- नेत्र विकार में,
- त्वचा संबंधी विकार में इत्यादि।
अस्थालीन का उपयोग करने से पहले डॉक्टर से इसके उपयोग के संबंध में व्यक्तिगत सलाह अवश्य ले लें, बिना सलाह के अस्थालीन का सेवन ना करें।
अस्थलीन कैसे लेना चाहिए? :- (How to take Asthalin?)
- अस्थलीन दवा डॉक्टर के द्वारा रोगी की अवस्था को ध्यान में रख कर दी जाती है। अस्थलीन का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य ले लें।
- अस्थालीन की दवा को अगर सीरप के रूप में ले रहे हैं तो एक सामान्य वयस्क के लिए पूरे दिन में 5 से 10 एमएल ( ml ) की खुराक सुरक्षित मानी जाती है इस खुराक को दो या तीन भागों में विभाजित करके ही इसका सेवन करें, एक बार में इसका सेवन बिल्कुल ना करें।
- 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए इस की खुराक डॉक्टर के द्वारा निश्चित किया जाना सुरक्षित है।
- अस्थालीन को दवा को अगर सीरप के रूप में ले रहे हैं तो इसका प्रयोग करने से पहले इसे अच्छी प्रकार से हिला लेना चाहिये।
- अगर अस्थालीन ओवरडोज हो गया है तो तुरंत इस की खुराक रोक देनी चाहिए तथा डॉक्टर से तुरंत व्यक्तिगत सलाह लेनी चाहिए।
- अगर खुराक छूट गई है तो अस्थालीन का सेवन जल्दी से जल्दी कर ले परंतु अगर अगली खुराक का समय निकट है तो पुरानी खुराक जो छूट गई है उसे ना लें।
- अगर अस्थालीन की दवा को टेबलेट के रूप में ले रहे हैं तो इसे पानी के साथ पूरा निगल लें। पानी के साथ अस्थालीन की टेबलेट को ग्रहण करते समय उसे ना ही तोड़े और ना ही चबायें तथा डॉक्टर जितनी मात्रा में दवा को लेने के लिए कहते हैं उतनी ही मात्रा में लें।
- अस्थालीन की दवा अगर सिरप के रूप में ले रहे हैं तो इसे खाली पेट लेना ज्यादा अच्छा होगा।
अस्थालीन के प्रयोग में सावधानियां :- (Precautions in the use of Asthalin)
- अगर आप थायराइड ग्रंथि से पीड़ित है तो डॉक्टर को इस बात की जानकारी अवश्य दें।
- यदि आपके सीने में दर्द की स्थिति उत्पन्न होती है तो विशेष सावधानी बरतें।
- अगर आप हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, गुर्दो की समस्या अथवा किसी अन्य बीमारी से पीड़ित है तो आवश्यक रूप से डॉक्टर को इसकी जानकारी दें।
- अगर आपको इसका सेवन करने के बाद एलर्जी होती है तो तुरंत इसका प्रयोग बंद कर दें तथा डॉक्टर से परामर्श ले।
- अगर आप स्तनपान कराती हैं तब भी इसका प्रयोग करने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
- अगर आप गर्भवती हैं तो इसका इस्तेमाल करने से पूर्व डॉक्टर की सलाह अवश्य ले।
- यदि आप किसी विटामिन का सेवन कर रहे हैं तब भी डॉक्टर से सलाह अवश्य लें, उसके बाद ही इसका प्रयोग करें। अगर डॉक्टर इसका प्रयोग करने से मना करते हैं तो इसका प्रयोग बिल्कुल ना करें।
- अस्थालीन टेबलेट अथवा सीरप या किसी अन्य रूप में अस्थालीन का सेवन एल्कोहॉल के साथ बिल्कुल ना करें।
- अगर कोई मिर्गी का रोगी है तो इसके इस्तेमाल से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य ले।
अस्थालीन के फायदे :- (Benefits of Asthalin )
अस्थलीन प्रयोग निम्न रोगों में करने से फायदा मिलता है –
- अस्थमा में :- अस्थलीन को अस्थमा के मरीजो के लिए बहुत ही उपयोगी दवा माना जाता है, इस दवा से अस्थमा को ठीक किया जा सकता है।
- किसी प्रकार का फुफ्फसीय विकार :- अगर किसी मरीज को किसी प्रकार का कोई फुफ्फसीय विकार है तो वह मरीज अस्थालीन का उपयोग कर सकते हैं।
- फेफड़ों के रोग के लिए :- यदि किसी को फेफड़ों से संबंधित कोई रोग है जिसके कारण सांस लेने में दिक्कत अथवा कठिनाई का समना करना पड़ता है तो वह अस्थलीन का प्रयोग कर सकता है।
अस्थालीन के नुकसान :-Loss of Asthalin
अस्थालीन का प्रयोग करने से बहुत सारे नुकसान भी होते हैं, कभी-कभी इसके नुकसान आपको महसूस नहीं भी हो सकते हैं। यदि आपको यह दुष्प्रभाव महसूस होते हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए साथ ही साथ इसका सेवन रोक देना चाहिए। अस्थालीन से होने वाले दुष्प्रभाव निम्न प्रकार से हैं :-
- खांसी होना,
- सीने में जकड़न होना,
- असामान्य रूप से दिल का धड़कना,
- सांस लेने में तकलीफ होना,
- हाथ पैर में सूजन होना,
- सिर में दर्द होना,
- मुहँ अथवा गले में सूजन होना,
- रक्तचाप में वृद्धि होना,
- त्वचा पर दाग या धब्बे का होना अथवा त्वचा पर चकत्ते निकलना,
- मोतियाबिंद होना,
- घबराहट होना,
- जी मिचलाना,
- उल्टी होना,
- कमजोर महसूस करना,
- इलेक्ट्रोलाइट्स का असंतुलित होना,
- रक्त में ग्लूकोज के स्तर में वृद्धि होना इत्यादि।
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