अवसाद या डिप्रेशन क्या है? -What is depression
अवसाद या डिप्रेशन(depression in hindi) का अर्थ मनोविज्ञान के की भाषा में मन के भाव से सम्बन्धित दुःखो होता है। इसे सिंड्रोम की संज्ञा दी जाती है। अवसाद या डिप्रेशन की स्थिति अधिकतर प्रेम संबंधों को लेकर देखा जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि किसी भी व्यक्ति के लिए उसके जीवन में उसका सबसे अधिक लगाव उसके जीवन साथी के साथ ही होता है और उसे ही प्रमुख मानता है। यदि व्यक्ति अवसाद या डिप्रेशन में है तो यह उसकी उदासी या गुस्से से जो कि रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित करता है उससे पता चल सकता है।
कई विकासशील देश में डिप्रेशन एक बहुत ही सामान्य समस्या हो गई है। भारत में ही डिप्रेशन के शिकार लोगों की संख्या कम नहीं है, भारत एक युवा देश है, जिस कारण से यहां के युवा बहुत ही तेजी से डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं रिसर्च के अनुसार हर 4 युवाओं में से 1 युवा डिप्रेशन का शिकार होता है। युवावस्था में डिप्रेशन के शिकार व्यक्ति खुद को बहुत अकेला महसूस करते हैं। उन्हें यह महसूस होता है कि वह एक समूह में हैं तथा समूह में उपस्थित सभी लोग उन्हें देखकर हंस रहे हैं। भारत में युवाओं में डिप्रेशन के मामले बहुत तेजी से वृद्धि कर रहे हैं।
डिप्रेशन एक ऐसी मानसिक बीमारी होती है, जो रहती तो थोड़े समय के लिए ही पर यह कई लोगों के लिए थोड़े समय में भी बहुत ही भयानक रूप ले सकती है, इस स्थिति में लोगों का मन जिंदगी से भर जाता है, वे अपने आप को नुकसान पहुंचा सकते हैं यहाँ तक की आत्महत्या करने की कोशिश भी कर सकते हैं। जिस समय व्यक्ति इस तरह के भयावह वह कदम उठाने का विचार करता है उस समय किसी के भी बारे में नहीं सोचता चाहे वह उसके माता-पिता के बारे में हो, चाहे परिवार के बारे में हो या अन्य किसी के बारे में हो। अवसाद या डिप्रेशन की कई वजह हो सकती है –
- जैसे माता-पिता की उम्मीद के अनुसार कार्य नहीं कर पाना
- शिक्षा अथवा रोजगार का दबाव,
- परिवारिक समस्याओं के कारण,
- प्रेम संबंधों में समस्या का उत्पन्न होना,
- अकेलापन होने के कारण इत्यादि।
एक शोध सेंटर फॉर डीजीज कंट्रोल एण्ड प्रिवेंशन अर्थात CDCP का अनुमान है कि 8.1 फ़ीसदी अमेरिकी युवा जिनकी उम्र 20 वर्ष अथवा इसके आसपास है वह साल 2013 से 2016 के बीच औसतन 2 हफ्तों तक अवसाद या डिप्रेशन से ग्रस्त थे।
अवसाद या डिप्रेशन से न केवल व्यक्ति मानसिक समस्याओं का शिकार होता है बल्कि उसे अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है जैसे –
- आर्थराइटिस
- अस्थमा
- कार्डियोवैस्कुलर बीमारियां
- कैंसर
- मोटापा
- डायबिटीज इत्यादि।
हर व्यक्ति के जीवन में उतार चढ़ाव, सुख दुःख तो आते ही रहते हैं। हर व्यक्ति कभी कभी दुखी अथवा उदास रहता है परंतु जब कोई व्यक्ति हमेशा उदास या दुःखी ही रहता है तो हो सकता है वह डिप्रेशन यानी अवसाद का शिकार हो।
अवसाद के प्रकार :- Types of depression
अवसाद के दो भागों में विभाजित किया गया है
- प्रमुख अवसादग्रस्तता विकार
- सतत अवसादग्रस्तता विकार
प्रमुख अवसादग्रस्तता विकार
यह अवसाद का सबसे गंभीर प्रकार माना जाता है। इस प्रकार में व्यक्ति हमेशा उदास, निराश तथा नाकाबिल होने की हीन भावनाएं मन को घेरे रहती हैं, इस तरह की हीन भावना है कभी – कभी मन से दूर नहीं हो पाती हैं। यदि आप निम्न में से किसी लक्षण को देखते हैं तो आप इस प्रकार के अवसाद(depression in hindi) से प्रभावित हैं –
- हमेशा अवसाद में रहना,
- किसी भी तरह के कार्य में रूचि कम लगना,
- वजन का तेज़ी से कम होना या तेजी से बढ़ना,
- नींद ज्यादा आना है या कम आना,
- धीरे धीरे चलना,
- ज्यादातर थकान महसूस करना,
- खुद पर ग्लानि होना,
- हमेशा दुविधा में रहना,
- मन में आत्महत्या करने का विचार आना अथवा शरीर को नुकसान पहुंचाना इत्यादि।
सतत अवसादग्रस्तता विकार :-
अवसाद का यह प्रकार हल्का होता है लेकिन यह भी गंभीर प्रकार का अवसाद है। यदि आपको निम्न लक्षण दिखाई पड़ते हैं तो आप अवश्य ही इस अवसाद से ग्रसित हैं –
- किसी कार्य में मन न लगना,
- किसी व्यक्ति से किसी भी प्रकार की उम्मीद खत्म हो जाना,
- कार्य करने की क्षमता का घटन हो जाना,
- आत्मसम्मान की कमी होना इत्यादि।
डिप्रेशन या अवसाद के लक्षण :- Symptoms of depression-depression in hindi
अवसाद में व्यक्ति लगातार उदास ही रहता है वह कहीं ख्यालों में खोया रहता है। अगर यह स्थिति अधिक समय तक बनी रहती है तो डिप्रेशन या अवसाद के कई लक्षण प्रकट हो सकते हैं और यह लक्षण आपके स्वभाव तथा स्वास्थ्य दोनों के द्वारा ही दिख सकते हैं। कभी-कभी अवसाद या डिप्रेशन के लक्षण दिखाई नहीं पड़ते हैं अथवा दिखाई पड़ते हैं तो पुनः अपने आप ही चले भी जाते हैं। अवसाद के लक्षण निम्न हैं –
- हमेशा गुस्सा आना,
- आक्रामक होना,
- चिड़चिड़ापन,
- हमेशा चिंतित रहना,
- बेचैनी होना,
- निराश रहना,
- बर्बाद हो जाने का डर सताना,
- उदास रहना या दुःखी रहना,
- किसी तरह के कार्य में मन न लगना,
- थकान लगना,
- आत्महत्या तक के विचार आना,
- शराब का सेवन अधिक करना,
- ड्रग्स का सेवन शुरू कर देना,
- संभोग या सेक्स करने की इच्छा में कमी आना,
- शीघ्रपतन होना,
- ध्यान न केंद्रित कर पाना,
- किसी भी कार्य को पूरा करने में कठिनाई होना,
- कहीं बातचीत हो रही हो तो देरी से जवाब देना,
- नींद ना आने की समस्या अथवा बहुत अधिक नींद आने की समस्या,
- सिर अथवा पूरे बदन में दर्द होना,
- पाचन की समस्या होना इत्यादि।
डिप्रेशन या अवसाद के कारण :-causes to depression-depression in hindi
डिप्रेशन या अवसाद के तो बहुत से कारण हो सकते हैं जिनमें से सामान्य कारण निम्न प्रकार से हैं –
- यदि आपके परिवार में आपके पूर्वज में किसी को अवसाद या डिप्रेशन रहा होगा तो आपके अंदर भी यह सिंड्रोम होने की संभावना बढ़ जाती है, इसके अलावा अन्य डिसऑर्डर के कारण भी अवसाद या डिप्रेशन की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
- यदि आपके बचपन में कोई ऐसी घटना घटी है जिससे आप सहम गए हो या जिसका डर आपके मन में बैठ गया हो तो भी अवसाद की स्थिति उत्पन्न हो सकती है क्योंकि बच्चों का मन बहुत ही कोमल होता और उनके मन पर किसी भी घटना का गहरा असर पड़ सकता है।
- डिप्रेशन आपके दिमाग के हिस्से पर भी निर्भर करता है यदि आपके दिमाग का कोई हिस्सा कम सक्रिय है तो अवसाद होने की संभावना कई ज्यादा बढ़ जाती है।
कभी-कभी शरीर की कुछ खास बीमारियों के कारण भी अवसाद की समस्या होने की संभावना अधिक हो जाती है। वह बीमारियां निम्न हो सकती हैं –
- नींद आने की समस्या,
- असहनीय दर्द का अनुभव करना,
- ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होना इत्यादि।
- यदि कोई व्यक्ति किसी मादक पदार्थ का आदी है तो उससे अवसाद या डिप्रेशन होने का खतरा बढ़ जाता है।
- किसी करीबी का मृत्यु हो जाने के कारण अथवा उसके छोड़ जाने के कारण भी अवसाद या डिप्रेशन का खतरा बढ़ सकता है,
- आर्थिक समस्या के कारण,
- पारिवारिक कारणों की वजह से इत्यादि।
अवसाद या डिप्रेशन का उपचार :- Treatment of depression-depression in hindi
यदि कोई व्यक्ति अवसाद(depression in hindi) या डिप्रेशन में रहता है तो निम्न उपचार करके उसे अवसाद से बाहर निकाला जा सकता है –
- यदि कोई व्यक्ति डिप्रेशन में है तो मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर ( मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल्स ) से सहायता ले सकता है।
- अवसाद से घिरा व्यक्ति “कल क्या होगा?” यही सोचता है उसे यह सोचने के बजाय “आज क्या करना चाहिए” यह सोचना होगा तभी वह अवसाद से निकल पाएगा क्योंकि आने वाले कल की चिंता करके अपने आज को कभी बर्बाद नहीं करना चाहिए।
- गाना सुनने से तनाव दूर होगा तथा आप तरोताजा महसूस करेंगे।
- नशे का सेवन बिल्कुल ना करें। लोग अवसाद से बचने के लिए नशे का सेवन करने लगते हैं जिससे कुछ देर के लिए तो बच जाते हैं लेकिन इसका सेवन रोज करने से आपको इसकी लत लग सकती है।
- हफ्ते में तीन से चार दिन 30 मिनट तक व्यायाम या एक्सरसाइज अवश्य करें।
- नेगेटिव लोगों से दूर रखें।
- जो कार्य आपको खुशी देता है उन कार्यों में हिस्सा ले।
- पौष्टिक आहार खायें
- पूरी नींद ले।
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