- वल्लभभाई पटेल(Sardar Vallabhbhai Patel Biography) एक बहुत ही अच्छे वकील थे, भारत के महान नेता और भारत देश के स्वतंत्रता सेनानी थे।
- बारडोली के सत्याग्रह आंदोलन का मार्ग दर्शन कर रहे वल्लभ भाई पटेल को सत्याग्रह का नेतृत्व सफलतापूर्वक होने से वहाँ की महिलाए उन्हें सरदार कहकर बुलाती थी।
- सरदार पटेल ने भारत देश के राज्यो को एक बनाए रखने में अपना महान योगदान दिया, जिससे वह एक मात्र पुरुष थे जिनको आयरन मैन के नाम से लोग उनको जानते हैं। भारत देश के आज़ाद होने के बाद ही वल्लभभाई पटेल को भारत देश के प्रथम गृह मंत्री और उप-प्रधानमंत्री बनाया गया।
जन्म, शिक्षा एंव प्राथमिक जीवन (Birth, education and primary life)
- सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर सन् 1875 में गुजरात के नडियाद में हुआ था। इनके पिता का नाम झवेरभाई पटेल और इनकी माता का नाम लाडबाई था। वो अपने माता-पिता के चौथे बच्चे थे। सरदार वल्लभभाई बचपन से ही मेहनती स्वभाव वाले व्यक्ति थे।
- सरदार वल्लभभाई पढ़ाई में बहुत अच्छे थे। उन्होंने अपनी सेकंडरी क्लास को सन् 1896 में पूरी कर ली। उनकी सेकंडरी क्लास पूरी होने बाद ही उनके पिता ने उन्हें विश्वविद्यालय में दाखिला करवाना चाहते थे, लेकिन वल्लभभाई पटेल ने जाने से इंकार कर दिया। उन्होंने तीन साल तक घर में रहकर बैरिस्टर बनने के लिए परीक्षा की तैयारी की,ओर वह एग्जाम को सफलतापूर्वक पार कर लिया।बाद में वह अपनी बैरिस्टर की पढ़ाई के लिए लंदन चले गए और लंदन से अपनी बैरिस्टर की डिग्री लेकर भारत वापस आ गए और भारत आने के बाद उन्होंने अहमदाबाद शहर में रहने लग गए और एडवोकेसी करने लगे। कुछ समय बाद वल्लभभाई पटेल शहर के एक जाने माने वकील बन गए।
- सरदार वल्लभभाई पटेल का विवाह सन्1893 में सरदार वल्लभभाई पटेला ने झबेरबा पटेल से उनकी शादी हुई थी और कुछ समय बाद उनके दो बच्चे hue जिन में से एक बेटी और उसका नाम मणिबेन और बेटे का नाम दह्याभाई पटेल था। सन् 1909 में वल्लभभाई पटेल की पत्नी झबेरबा पटेल कैंसर से पीड़ित हो गयी और उनकी सेहत ज्यादा खराब होने से उनकी मृत्यु हो गयी झबेरबा पटेल की मृत्यु के बाद उन्होंने दूसरी शादी करी ताकि उनके बच्चों का जीवन बिन माँ के न जी पाए और वह उनके लिए मेहनत करने लगें।
सरदार वल्लभभाई पेटल के प्रारंभिक कार्य(Early work of Sardar Vallabhbhai Patel Biography)
- बल्लभ भाई पटेल ने इंग्लैंड में 36 महीने की पढ़ाई को 30 महीने में पूरा किया। इसके बाद उन्होंने भारत में वापिस आकर अहमदाबाद में वकिल बन गए ताकि वो अपने बच्चों का भविष्य अच्छा दे सकें।
- सन् 1917 में अंग्रेजी भाषा का विरोध करने के लिए गुजरात में एक सभा हुई। वहाँ महात्मा गांधी ने सभी नेताओं से गुजराती भाषा में बोलने को कहा,और जिन लोगों को गुजराती भाषा बोलनी नहीं आती उन लोगों के लिए वल्लभ भाई पटेल ने गुजराती भाषा ट्रांसलेट करने लिए थे। वल्लभ भाई पटेल गुजरात सभा में महात्मा गांधी के भाषण से बहुत ही प्रभावित हुए।
- सन् 1917 में वल्लभभाई पटेल ने अहमदाबाद में नगरपालिकाका का चुनाव लड़ा और वहाँ के चेयरमैन बने।
- गुजरात में सन् 1918 के खेड़ा जिले में भूख मरी की वजह से वहाँ के किसानों ने अंग्रेजों से लगान को कम करने की मांग करी लेकिन अंग्रेजों ने किसानों की मांग को नजर अंदाज कर दिया, जिस वजह से किसानों ने वल्लभभाई पटेल से यह मांग की , वल्लभभाई पटेल, महात्मा गाँधी और अन्य साथियों ने किसानों को यह मार्ग दर्शन देते हुए किसानों को लगान ना देने के लिए प्रेरित किया। उसके बाद परिणामस्वरूप अंग्रेजों को किसानों की मांग को पूरा करना पड़ा और किसानों को भारी लगान की छूट मिली।
- सन् 1921 में महात्मा गांधी ने असहयोग आन्दोलन शुरू किया, वहाँ पर वल्लभ भाई पटेल, मोतीलाल नेहरु जैसे सभी वकील bhi शामिल हुए थे।इस आंदोलन से पहले सरदार पटेल ने कभी भी किसी भी आन्दोलन में भाग नहीं लिया था । वल्लभभाई पटेल महात्मा गाँधी जी के विचारों से इंस्पायर्ड होकर वल्लभभाई पटेल भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में शामिल हो गये।
- अंग्रेज सरकार ने सन् 1923 में राष्ट्रीय ध्वज को हटा दिया था। सरदार पटेल ने राष्ट्रीय ध्वज हटाए जाने के खिलाफ अंग्रेज़ो के ख़िलाफ़ आवाज उठाई और अलग-अलग जगहों से लोगों को इकठ्ठा करके मोर्चा निकाला। इस मोर्चे की वजह से अंग्रेज सरकार ने अपनी हार मान ली और बहुत से कैदियों को छोड़ दिया गया।
- अंग्रेजो ने सन् 1928 में गुजरात के बारडोली कस्बे में 30 प्रतिशत लगान बढ़ा दिया था। जिस वजह से किसानों को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था जब किसानों ने वहां के नेताओं से लगान को कम करने के मांग की,लेकिन तब भी उनको कोई मदद नहीं मिली। इसलिए किसानों ने वल्लभ भाई पटेल से लगान को कम करवाने की मांग की, तब पटेल ने वसूली कर के विरोध में बारडोली सत्याग्रह आन्दोलन की घोषणा करी और सत्याग्रह का मार्ग दर्शन सरदार वल्लभभाई पटेल ने खुद किया, जिसमें उन्होंने किसानों के प्रति लगे तीस प्रतिशत लगान का जमकर पूरा लड़े उन्होंने इस आंदोलन के चलते वल्लभभाई पटेल ने नेताओं पर पूरा दबाव डालने की कोशिश करी लेकिन तब भी उनको कोई सफलता नहीं मिल पाई।
सरदार वल्लभभाई पटेल ने अपने जीवन में क्या क्या काम किया है(What has Sardar Vallabhbhai Patel done in his life)
- सन् 1917 में वल्लभ भाई पटेल ने अहमदाबाद में नगरपालिका का चुनाव लड़ा और चेयरमैन बने। इन्होंने अपने स्थानीय क्षेत्रों में महिलाओं से हो रहे जुर्म और अत्याचार, छुआछुत एवं शराब के खिलाफ लड़ाई लड़ी और अपने क्षेत्र में सभी हिन्दू-मुस्लिम लोगो के अंदर एकता बनाए रखने के लिए जम कर सामना किया।
- सन् 1920 में सरदार पटेल गुजरात कांग्रेस में शामिल हुए।
- सरदार पटेल सन् 1932 से सन् 1945 तक गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष बने रहे। सरदार वल्लभ भाई पटेल ने महात्मा गाँधी के हर आन्दोलन में उनका साथ दिया।
- 15 अगस्त 1947 में भारत आज़ाद हो गया। भारत के आज़ाद होने के बाद पूरी कांग्रेस समितियाँ वल्लभभाई पटेल को प्रधानमंत्री बनाना चाहती थी, लेकिन बापू की इच्छा का पालन करते हुए वल्लभ भाई पटेल ने महात्मा गाँधी जी को इच्छा का पालन करते हुए खुद को प्रधानमंत्री के पद से दूर रखा और नेहरु जी का समर्थन करते रहे।
- वल्लभ भाई पटेल को उप-प्रधानमंत्री और गृहमंत्री का कार्य दिया गया। भारत की आज़ादी के बाद देश की हालत बहुत गंभीर थी। पाकिस्तान के भारत से अलग होने के कारण बहुत से राज्य अलग हो चुके थे । हर राज्य एक स्वतंत्र देश की तरह था, जिन्हें भारत में मिलाना बहुत जरूरी था। गृहमंत्री के रूप में सरदार पटेल की पहली अग्रता यह थी कि वह जितने भी राज्य अलग हुए है उनको भारत से मिलना था।
- पी.वी मेनन के साथ मिलकर वल्लभभाई पटेल ने भारत के एकीकरण के काम को करने लग गए। उन की इतनी मेहनत के बाद सिर्फ जम्मू-कश्मीर, जूनागढ़ तथा हैदराबाद के राजाओं को छोड़कर बिना सैन्यबल के सभी राजाओं ने भारत में शामिल होने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। लेकिन जम्मू-कश्मीर, जूनागढ़ और हैदराबाद के राजाओं के खिलाफ सैन्यबल का उपयोग करके इन राज्यों को भारत में शामिल कर लिया गया।
सरदार वल्लभभाई पटेल जी की मृत्यु कब हुई(When did Sardar Vallabhbhai Patel ji die)
सन् 1950 की गर्मियों के मौसम में वल्लभ भाई(Sardar Vallabhbhai Patel Biography) की सेहत बहुत ज्यादा बिगड़ने लग गई ,उसके बाद में उन्हें खून की खाँसी भी शुरू हो गई, जिसकी वजह से उनकी बेटी मनीबेन ने वल्लभ भाई पटेल की सभाओं और काम करने के समय को लिमिटेड कर दिया और उनके लिए पर्सनॉल डॉक्टर रखा गया लेकिन कुछ समय बाद 2 नवम्बर सन् 1950 को वल्लभ भाई की तबियत बहुत ज्यादा बीमार होने लगी जिसके कारण डॉक्टर ने उनको बेड रेस्ट के लिए कह दिया।
वल्लभभाई पटेल(Sardar Vallabhbhai Patel Biography) की सेहत बिगड़ती जा रही थी इसलिए डॉ० रॉय ने उनको यह सलाह दी की उनको 12 नवम्बर सन् 1950 में उनके इलाज के लिए मुंबई भेजा गया। मुंबई में उनके अभिवादन के लिए भारी संख्या में लोग सांताक्रूज़ एयरपोर्ट पर इकठ्ठे हुए। वल्लभभाई पटेल की स्वास्थ गंभीरता को देखते हुए उन्हें इस तनाव से बचाने के लिए उनके जहाज को जुहू एरोड्रोम पर उतारा गया, जहाँ से उन्हें बिरला हाउस ले जाया गया। 15 नवम्बर सन् 1950 को वल्लभ भाई पटेल को दूसरा दिल का दौरा पड़ा, जिसके कारण उनकी बिरला हाउस में मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु पर भारत के 1500 से ज्यादा नागरिक और पुलिस सेवाओं के अधिकारियों ने उनके निवास गृह पर शोक मनाया और प्रतिज्ञा की, “भारत की सेवा में पूर्ण वफादारी और निरंतर उत्साह के साथ समर्पित रहेंगे”।