मंदिर को किस नाम से जाना जाता है – स्वर्ण मंदिर
मंदिर कहां पर है – अमृतसर
स्वर्ण मंदिर जिसको गोल्डन टेम्पल(Golden Temple In hindi) भी कहा जाता है और इस मंदिर को हरमंदिर साहिब का नाम भी दिया गया है, जिसे देखने के लिए दुनिया भर के लाखों लोग आते है, और सिख धर्म का यह मुख्य देव स्थान भी है। और यहां पर हर धर्मों के लोग मंदिर में दर्शन करने को आते है।वहीं आज के समय मे इस मंदिर पंजाब या भारत का ही नहीं बल्कि दुनिया मे घूमने के लिए इस मंदिर को लिस्ट में लिया जाता है।आज के समय मे स्वर्ण मंदिर को हरमिंदर साहेब और श्री दरबार साहिब के नाम से भी बुलाया जाता है। आइए अब हम आपको यह बताने जा रहे है की स्वर्ण मंदिर को बनवाया कैसे गया और इसका इतिहास और इससे जुड़े कुछ जानकरी के बारे में स्पष्ट रूप से की पूरी जानकारी है जो कि इस प्रकार है-
आप किस समय स्वर्ण मंदिर के दर्शन कर सकते है। (At what time can you see the Golden Temple In hindi)
आइए अब हम आपको बताते है कि स्वर्ण मंदिर में दर्शन आप कब कर सकते है इसके लिए आपको बहुत ही लंबी लाइन में लगना होगा क्योंकि वहाँ लाखों श्रद्धालु आते है।आपको दर्शन के लिए ऑनलाइन बुकिंग जैसी कोई चीज भी नहीं होगी।
- अगर आप चाहते है आपके दर्शन जल्दी हो और आप लाइन से बचना चाहते है तो आपको सुबह 4 बजे से लाइन में खड़े हो सकते हैं, इस से आपका नंबर जल्दी आ जाएगा।
- सुबह 3 बजे से रात 10 बजे तक ही मंदिर के दर्शन हो पाते है।
- अगर वीकेंड चल रहा है और आपको दर्शन करने जाने की सोच रहे है तो आप इसको कैंसिल कर दे क्योंकि वीकेंड की वजह से बहुत ही लम्बी होती है जिस वजह से लोग लाइन में खड़े नहीं पाते।
- अगर आप अच्छे से दर्शन करना चाहते हैं तो शनिवार-रविवार को छोड़कर आप किसी भी दिन मंदिर के दर्शन कर सकते है इस से आपको लाइन थोड़ी कम मिलेगी।
- लोग रात को लाइन में भी लग जाते है और उनका नम्बर सुबह आता है इसलिए आप 11 बजे के बाद लाइन में लग सकते है अगर आप बुजुर्ग नही है तो।
स्वर्ण मंदिर को कब बनाया गया था (When was the Golden Temple built)
- अमृतसर में विख्यात स्वर्ण मंदिर का इतिहास 400 साल से भी ज्यादा पुराना है। इस मंदिर को बनाने के लिए 4 सिख गुरू रामदास साहिब जी ने कुछ जमीन को दान में दिया था , जबकि पहले सिख गुरु नानक और पांचवे सिख गुरु अर्जुन साहिब ने गोल्डन टेम्पल के लिए डिजाइन को तैयार किया थी।
- इस मंदिर को बनाने का काम सन् 1577 में ही शुरु कर दिया गया था। जैसे ही मंदिर को बनाने को शुरू किया उसके बाद अर्जुन देव जी ने मंदिर के अमृत सरोवर को पक्का करवाने का काम करवाना शुरू करवा दिया गया।
- इस मंदिर में सिख धर्म के इस पवित्र तीर्थस्थल के अंदर ही एक अकाल तख्त भी बनाया गया है, जिसे सिख धर्म के छठवें गुरु हरगोविंद जी का घर माना जाता है।
- सन् 160 इस मंदिर को बनाने का सारा काम पूरा कर दिया गया लेकिन जैसे ही इस मंदिर को बनाया गया का जैसे ही यह बना तो बहुत से मुसलमान ने लोगो के साथ मिल कर मंदिर पर हमला किया गया था। इस हमले के बाद मंदिर को काफी हद तक नुकसान हो गया था। सरदार जस्सा सिंह आहलूवालिया ने मंदिर के इतने नुकसान को देखा तो उन्होंने फिर से इस मंदिर का बनवाना शुरू कर दिया गया।
आइए अब हम आपको स्वर्ण मंदिर(Golden Temple In hindi) से जुड़े हुए कुछ रोचक तथ्य बताने जा रहे है जो कि आपके लिए काफी महत्वपूर्ण हो सकता है।
- इस मंदिर में कभी भी रात नहीं होती है यह 24 घन्टे खुला हुआ होता है और 365 दिन मंदिर पर लगी हुई लाइट बहुत ही अच्छे से चमकती है इस मंदिर को इसलिए बन्द नहीं किया जाता क्योंकि यहाँ 24 घँटे रोनक लगी रहती है जो कि श्रद्धालुओं की वजह से होती है। इसलिए मंदिर को कभी भी बंद नही किया जाता।
- स्वर्ण मंदिर को अमृतसर में सबसे पहले पत्थर से बनवाया गया था,लेकिन कुछ समय के बाद ही मंदिर को सफेद मार्बल का इस्तेमाल करके उस से बनवाया गया था। इस मंदिर के गुंबद पर सोने की परत को 19वीं शताब्दी चढ़वाया गया था।
- दुनिया का सबसे बड़ा रसोई घर जो है स्वर्ण मंदिर में है और यहाँ लाखों की तादाद में श्रद्धालुओं का आना जाना होता है और इस रसोई घर मे उन लाखों श्रद्धालुओं के लिए लंगर बनाया जाता है और लंगर को बहुत ही भक्ति के साथ बनाया जाता है । लंगर को बनाते समय बहुत ही सफाई रखी जाती है। और सिर को रूमाल से ढका जाता है।
- स्वर्ण मंदिर के अंदर चार दरवाजे बने हुए है। जो कि अलग अलग चारों धर्मों का वर्णन करते हैं, जिसका मतलब यह होता है कि यहां कोई भी और किसी भी धर्म के लोग गुरु के आगे अपना अपने सिर को गुरु के आगे झुकाते है।
- स्वर्ण मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस मंदिर की सीढ़ियां ऊपर की तरफ नहीं, बल्कि नीचे की तरफ जाती हैं जो कि लोगों को यह सिख देती है कि ऊपर से नीचे की तरफ आना सिखाती है।
- इस स्वर्ण मंदिर में सिखों के धर्म के आस्था के लिए बैसाखी, लोड़ी, मकर संक्रांति, शहीदी दिवस जैसे बहुत से त्योहार है जो इस मंदिर में बहुत अच्छी तरह से मनाए जाते हैं।
स्वर्ण मन्दिर के कुछ नियम (Some rules for the temple)
आइए अब हम आपको बताते है मंदिर में होने वाले नियम जिसे मंदिर में आने वाले सभी श्रदालुओं को मान ना होगा चाहे वो कोई भी धर्म का हो या सिख हो। वो नियम कुछ इस प्रकार है।
- जूते पहनकर गुरुद्वारे के नहीं जा सकते जूतों को निकाल कर और हाथ धोकर ही लोग गुरद्वारे के अंदर जा सकते है।
- गुरुद्धारा के अंदर प्रवेश करने के लिए सिर को ढकना जरूरी है। अगर आप बिना सिर को ढके जाते है तो जाना साफ साफ मना है, स्कार्फ या फिर रुमाल, दुप
- आप मंदिर में किसी भी प्रकार का कोई भी नशा जैसे सिगरेट पीना,तंबाकू खाना ऐसे नशे नहीं कर सकते इस वजह से आपको जुर्माना भी भरा जा सकता है।
- दरबार साहिब गुरद्वारे में जाकर गुरुवाणी को सुनने के लिए भक्तों को जमीन पर ही बैठना चाहिए।